इसी दिन पार्वती का गौना लेकर काशी आये थे बाबा विश्वनाथ

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है| इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है| इस बार रंगभरी एकादशी 12 मार्च दिन बुधवार को पड़ रही है| कहते हैं बाबा विश्वनाथ की आज्ञा बिना पत्ता तक नहीं हिलता। इसलिए रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार कर होली का पर्वकाल प्रारंभ हो जाता है | 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा विश्वनाथ फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि के दिन मां पार्वती से विवाह रचाने के बाद फाल्गुन शुक्ल एकादशी पर गौना लेकर काशी आये थे| अवसर पर शिव परिवार की चल प्रतिमायें काशी विश्वनाथ मंदिर में लायी जाती हैं और बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंगल वाध्ययंत्रो की ध्वनि के साथ अपने काशी क्षेत्र के भ्रमण पर अपनी जनता, भक्त, श्रद्धालुओं का यथोचित लेने व आशीर्वाद देने सपरिवार निकलते है|

वहीँ, इस बार रंगभरी एकादशी पर 12 मार्च को बाबा विश्वनाथ की दो प्रमुख आरतियों के समय में परिवर्तन कर दिया गया है। शाम की सप्तर्षि आरती निर्धारित समय से चार घंटा पहले ही हो जाएगी। रात की शृंगार-भोग आरती का भी समय बदल दिया गया है।

मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुशील कुमार मौर्य ने रंगभरी एकादशी के दिन 12 मार्च हो होने वाली बाबा की दो प्रमुख आरती के समय में बदलाव की सूचना जारी की है। इस दिन सप्तर्षि आरती शाम सात बजे की बजाय अपराह्न तीन बजे होगी। वहीं, रात 9.30 बजे होने वाली शृंगार भोग आरती शाम पांच बजे होगी। इसके बाद रात 11 बजे तक बाबा का सुसज्जित दरबार भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहेगा।

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