जानिए भगवान विष्णु को क्यों माना जाता है सर्वश्रेष्ठ देवता?

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस सम्पूर्ण सृष्टि का पालन पोषण और संचालन का जिम्मा तीन देवताओं पर हैं यह हम सभी जानते हैं| ब्रह्मदेव को जगत का रचनाकार, भगवान विष्णु को पालनकर्ता और भगवान शिव को संहारकर्ता माना गया है। तीनों ही देव सर्वशक्तिमान और परम पूज्यनीय हैं। कई युगों पहले ऋषि मुनियों में त्रिदेव को लेकर यह जिज्ञासा हुई कि इन तीनों देवताओं में सर्वश्रेष्ठ कौन है?

इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए सभी ऋषि-मुनियों ने महर्षि भृगु से निवेदन किया। महर्षि भृगु परम तपस्वी और तीनों देवों के प्रिय थे। अब इस प्रश्न का उत्तर जाने के लिए सभी ऋषि मुनि बिना आज्ञा के ही ब्रम्हा जी के पास पहुँच गए| इस तरह अचानक आए महर्षि भृगु को देख ब्रह्मा क्रोधित हो गए। इसके बाद महर्षि भृगु इसी तरह शिवजी के सम्मुख जा पहुंचे और वहां भी उन्हें शिवजी द्वारा अपमानित होना पड़ा। अब भृगु भी क्रोधित हो गए और इसी क्रोध में वे भगवान विष्णु के सम्मुख जा पहुंचे। उस समय भगवान विष्णु शेषनाग पर सो रहे थे। महर्षि भृगु के आने का उन्हें ध्यान ही नहीं रहा और वे महर्षि के सम्मान में खड़े नहीं हुए। अतिक्रोधित स्वभाव वाले भृगु ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोध से विष्णु की छाती पर लात मार दी। 

इस प्रकार जगाए जाने पर भी विष्णु ने धैर्य रखा और तुरंत ही महर्षि भृगु के सम्मान में खड़े होकर उन्हें प्रणाम किया। भगवान विष्णु ने विनयपूर्वक कहा कि मेरा शरीर वज्र के समान कठोर है, अत: आपके पैर पर चोट तो नहीं लगी? औरे उन्होंने महर्षि के पैर पकड़ लिए और सहलाने लगे। विष्णु की इस महानता से महर्षि भृगु अति प्रसन्न हुए। भगवान विष्णु के इस धैर्य और सम्मान के भाव से प्रसन्न महर्षि ने उन्हें तीनों देवों में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया।

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