पूर्व-उत्तर का स्वर्ग गोलपाड़ा

अगर आप असम जा रहे है तो गोलपाड़ा की खूबसूरती का आनंद अवश्य लें। गोलपाडा प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग कहा जाता है। इस जिले की स्थापना 1983 में की गई थी। पर्यटकों के लिए यहां पर बहुत कुछ है। यहां की ऐतिहासिक विरासतों और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों को देखने के लिए पर्यटक खींचे चले आते हैं। यहां पंचरत्न, श्रीसुरया, तुर्केश्वरी और नालंगा पहाड़ियां हैं। पहाड़ियों के अलावा अनेक खूबसूरत नदियां भी हैं।

हूलूकुण्डा पहाड़ : यह गोलपाड़ा जिले में स्थित अत्यंत सुंदर पहाड़ी है। ब्रिटिश काल में यहां पर अनुमण्डलाधिकारी का दफ्तर था। इस पहाड़ से पूरे गोलपाड़ा का खूबसूरत और मनोहारी दृश्य देखा जा सकता है। यहां से विशेष रूप से ब्रह्मपुत्र नदी और नारायण सेतू का खूबसूरत दृश्य देखना, पर्यटकों को बहुत भाता है।

कुमरी बील : कुमरी बील गोलपाड़ा की उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित अत्यंत खूबसूरत प्राकृतिक झील है। यह गोलपाड़ा से 11 किमी दूर है। इस झील के पास ही नारायण सेतू और पगलाटेक मन्दिर भी है। झील से नारायण सेतू 1 किमी और पगलाटेक मन्दिर 5 किमी दूर है। पगलाटेक मन्दिर ऐतिहासिक विरासत है। यह बहुत खूबसूरत है। पर्यटक यहां पर वाटर स्पोर्ट्स का आनंद भी ले सकते हैं।

श्री श्रीसुरया पहाड़ : गोलपाड़ा से श्रीसुरया पहाड़ 16 किमी दूर है। गोलपाड़ा से इस पहाड़ तक जाने के रास्ते में मोरनोई और सैनिक स्कूल भी आते हैं। इस पहाड़ पर पर्यटक अनेक देवी-देवताओं की सुन्दर प्रतिमाएं देख सकते हैं। इन प्रतिमाओं में दुर्गा, गणेश, सूरज, चन्द्रमा और बुध्द की प्रतिमाएं प्रमुख हैं। माघ-बिहू में पूर्णिमा के दिन यहां पर तीन दिन तक मेले का आयोजन भी किया जाता है।

देखधोवा : देखधोवा श्रीसुरया पहाड़ से 4 किमी दूर है। इसको पहाड़ सिंह के नाम से भी जाना जाता है। इसके पास ही ब्रह्मपुत्र नदी भी बहती है। ब्रह्मपुत्र देखने के बाद कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों तक आसानी से पहुंचते हैं। पास ही रायखासिनी पहाड़, नंदेश्वर देवालय और सैनिक स्कूल स्थित है।

बाराड़ा चिबनांग : मेघालय में स्थित बाराड़ा चिबनांग बहुत ही खूबसूरत स्थान है। यह गोलपाड़ा के बिल्कुल पास स्थित है। पिकनिक मनाने के लिए यह बेहद उम्दा और खूबसूरत स्थान माना जाता है।

श्रीसत्यान्य गौडिया मठ : श्रीमंत मठ के पास ही एक मठ है श्रीसत्यान्य गौडिया। यह तिलपाड़ा में ही है। इसका उद्धाटन श्री श्रीमद्भक्ति देईता माधव गोस्वामी महाराज ने किया था। श्रीमंत शंकर मठ : यह मठ मध्यकालीन वैष्णव संत श्रीमंत शंकर देव को समर्पित है। इसका निर्माण 11 फरवरी 1979 को पूरा हुआ था। मठ में शंकर देव की एक अस्थि भी रखी हुई है। इसको पूटा अस्थि के नाम से जाना जाता है। श्री शंकर देव का मठ गोलपाड़ा शहर के हृदय तिलपाड़ा में स्थित है।

कोई टिप्पणी नहीं: