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जन्माष्टमी विशेष: जहां आज भी गोपियों संग रास-लीला रचाते हैं भगवान मुरली मनोहर

उत्तर प्रदेश के वृंदावन शहर के बीचोबीच एक ऐसी वाटिका है जिसमें लोग मानतें हैं कि रात में भगवान श्रीकृष्ण यहां आते हैं और गोपियों के साथ रास-लीला रचाते हैं। ये वन यमुना नदी से भी ज्यादा दूरी पर नहीं है। इस वाटिका को लोग ‘निधि-वन’ के नाम से जानते है। 

मथुरा बृंदावन में स्थित वाटिका निधि वन, जहाँ की मान्यता है की रात श्री कृष्ण गोपियों संग रास लीला करतें हैं। साथ में ये भी मान्यता प्रचलित है कि यहाँ मौजूद पेड़ पौधे रात में गोपियों में बदल जातें हैं। रात्रि के समय निधि वन में कोई प्राणी नहीं रहता है, पशु-पक्षी भी नहीं। लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस परिसर में रात्रि में रुक जाता है और भगवान की क्रीड़ा का दर्शन कर लेता है, तो सासारिक बंधन से मुक्त हो जाता है। ऐसे उदाहरण विगत कई वर्षों में देखने में भी आये हैं। इस वन में मौजूद मंदिर में भगवान के स्वागत के लिए आज भी मंदिर के रंग महल में प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है। 

शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। राधारानी के लिए श्रृंगार कि हर वस्तु रखी जाती है। सबको बाहर निकलने का आदेश दे दिया जाता है। रात में मंदिर के दरवाजे पर पांच ताले लगाये जातें हैं। ताकि कोई अंदर न जा सके। सुबह जब मंदिर का दरवाजा खुलता है तो सब कुछ अस्त व्यस्त मिलता है देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद (माखन मिश्री) भी ग्रहण किया है। लोगों का कहना है कि रात में बांसुरी और घुंघुरुओं कि आवाज सुनाई देती है। 

निधि वन कहने से इंसान के मस्तिष्क में किसी जंगल का दृश्य सामने आता है लेकिन ये कोई जंगल नहीं है। वास्तव में यहाँ आने पर वन जैसा ही दृश्य देखने को मिलते हैं, यहाँ के वृक्ष आज भी अपनी पौराणिकता को दर्शाते हैं। इन वृक्षों को देखने से आभास होता है कि यह अति प्राचीनकाल से स्थापित वृक्ष हैं। इस प्रकार के वृक्ष वृन्दावन में निधि वन, सेवाकुंज एवं तटिय स्थान पर ही देखने को मिलते हैं, इन वृक्षों की खासियत है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिल पायेंगे तथा इन वृक्षों की डालिया नीचे की ओर झुकी हुई प्रतीत होती हैं। मान्यता है कि ये वृक्ष भगवान को प्रणाम करने की मुद्रा में हमेशा झुके रहते हैं। इन वृक्षों के बारे में शास्त्रों गोपी रूप से वर्णन किया गया है।

इस वन में कई साधू संतों की समाधियां मौजूद हैं जो अपने प्रिय भगवान के एक दर्शन-मात्र करना चाहते थे। मौत से पहले उन्होने दर्शन कर भी लिए हो, कौन जानता है। लेकिन लोगों की मान्यता है कि उनकी मौत भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के बाद ही होती होगी। यही वजह है कि उन सभी लोगों की समाधि इसी वन में बनाई गई है। इस निधि वन में आकर अजीब अनुभूति होती है। एक बार आने के बाद यहाँ बार-बार आने कि इच्छा जागृत हो जाती है।