मनमोहक वादियों और शांत वातावरण के लिए आइये केरल

केरल| शहर की भाग-दौड से दूर अगर आप किसी शांत एवं भक्तिमय जगह पर जाना चाहते है तो केरल से बेहतर कोई जगह नहीं है| डोसा, सांबर, कडाला कढी, स्वीट डिश में पायसम, उबला हुआ मीठा केला और आस-पास का पारंपरिक माहौल आपको केरल की संस्कृति से रू-ब-रू कराएगी| केरल के एर्नाकुलम पुर्तगाली शैली के खूबसूरत घर, नारियल के पेड और हिप्पी संस्कृति की झलक लिए इस स्थान को फोर्ट कोच्चि भी कहते हैं| फोर्ट कोच्चि के अलावा यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर वायपिन आयलैंड जरूर जाएं। यहां चेरई बीच है। ये बीच काफी साफ-सुथरा और तैराकी के लिए माकूल है।

केरल में भाषाई समस्या आडे नहीं आती क्योंकि यहां लोगों को अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान है और साथ ही स्थानीय लोग काम-चलाऊ हिंदी भी बोल लेते हैं। फोर्ट के अलावा केरल का सबसे खूबसूरत नजारा मुन्नार में ही देखने को मिलता है। दूर-दूर तक फैले चाय के बागान और लुभावना मौसम वाला यह खूबसूरत हिल स्टेशन मुन्नार केरल के इडुक्की जिले में स्थित है। इसे एशिया में जापान के टोक्यो के बाद सबसे अच्छे पर्यटन केंद्र का दर्जा भी मिला है।अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और पहाडों के हसीं मौसम का जमकर लुत्फ उठाना चाहते हैं तो कम-से-कम 4-5 दिन मुन्नार में जरूर ठहरें।मन्नार में अनगिनत किस्म के रंग-बिरंगे फूल और एक ख़ास तरह का फल 'पैशन फ्रूट' मिलता है| मुन्नार की एक और खासियत है- वो है यहां उगने वाला नीलकुरुंजी नाम का एक खूबसूरत फूल। लेकिन इसे देखने के लिए आपको भी मेरी तरह वर्ष 2018 तक इंतजार करना होगा क्योंकि ये फूल 12 साल में सिर्फ एक ही बार खिलता है।

मुन्नार शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर है टाटा टी म्यूजियम। यहां आप चाय-पत्ती तैयार होने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। इतना ही नहीं, अपनी आंखों के सामने तैयार की गई चाय की चुस्कियां भी ले सकते हैं। 250 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है शहर कोल्लम। यहां अष्टमुडी में आप बैकवॉटर्स का असल लुत्फ उठा सकते हैं| यहां की केरल टूरिज्म की नौका यात्रा बहुत मशहूर है। पानी की संकरी सडक पर गुजरते हुए हम मुनरो गांव की तरफ बढ रहे थे। जहां नारियल के पेडों के झुरमुट का दृश्य बहार खूबसूरत लगता है| यहं पर आप ताडी बनाते हुए भी देख सकते हैं जो नारियल के फूल से तैयार किया जाता है|

इसके पास में है 144 फुट ऊंचा थंगासेरी लाइट-हाउस। यह एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा लाइट हाउस है| स्थानीय भाषा में थंगासेरी का मतलब है- सोने का गांव। यहां आने का सबसे अच्छा मौका तो तब है जब पारंपरिक त्योहार विशू मनाया जा रहा हो। इस मौके पर पूरे 10 दिन तक कई तरह के सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। खासकर सजे-संवरे हाथियों की झांकी और पारंपरिक कथकली नृत्य इसका मुख्य आकर्षण है। कोल्लम में ही मौजूद है कृष्ण आश्रम मंदिर। कहा जाता है कि यह मंदिर 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है इसलिए इसे देखना बिल्कुल न भूले|

तो अपने दिल दिमाग को तरोताजा करना चाहते है तो आइये केरल और लीजिए मज़ा यहां की हसीन वादियों और मनमोहक मौसम का| एक बार आने के बाद आप यहां दोबारा जरूर आना चाहेंगे|

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