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राम की अयोध्या बनी सियासत का कुरूक्षेत्र!

उत्तर प्रदेश में राम की नगरी अयोध्या एक बार सियासत का कुरूक्षेत्र बन गयी है। सियासत की इस अयोध्या रूपी बिसात पर विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) जहां अपनी 84 कोसी परिक्रमा को लेकर अडिग है वहीं राज्य सरकार ने भी इस परिक्रमा को रोकने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 

विहिप और राज्य सरकार के टकराव के बीच अब इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी कूद पड़ा है तो भारतीय जनता पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। आरएसएस के प्रवक्ता राम माधव ने इलाहाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान खुलेआम यह घोषणा कर दि कि आरएसएस भी संतों का पूरा सहयोग करेगा। संघ सूत्रों के मुताबिक 84 कोसी परिक्रमा जिन छह जिलों से गुजरनी है वहां संघ ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। राम माधव ने कहा, राज्य सरकार यदि संतों से टकराएगी तो उसका सत्तामद चूर-चूर हो जाएगा।

माधव के बयान से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विहिप के साथ ही संघ भी 84 कोसी परिक्रमा के बहाने अपनी खोई हुई जमीन हासिल करना चाहता है। संघ सूत्रों ने बताया कि संघ की शाखाएं पहले गांवों में खूब लगा करती थीं लेकिन बीते एक दशक में इतनी भारी कमी आयी है। संघ की पकड़ जैसे जैसे गावों से ढीली हुई वैसे-वैसे भाजपा का जनाधार भी घटता चला गया। 

विहिप के सूत्र बताते हैं कि 84 कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध लगने के बावजूद विहिप ने संतों की भीड़ जुटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। अयोध्या में लगने वाले सावन मेले में करीब 5 हजार से अधिक संत अन्य राज्यों से यहां आए हुए हैं। विहिप की रणनीति बाहर से आए उन संतांे को मठों में रोकना और परिक्रमा में शामिल होने का निवेदन करना है।

विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा भी यह स्वीकार करते हैं कि मठ-मंदिरों में जाकर अयोध्या में होने वाली 84 कोसी परिक्रमा में शामिल होने का निवेदन किया जाएगा। उनके रहने का इंतजाम अलग अलग जगहों पर गांवों में किया जाएगा। लोग भी संतो के ठहरने की सूचना से काफी खुश हैं। इस बीच विहिप की रणनीति को भांपते हुए प्रशासन ने भी अयोध्या में लगे सावन मेले के समाप्त होने के साथ ही बाहर से आए साधु संतों को वापस भेजने की रणनीति तैयार कर रहा है। 

अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक स्थानीय प्रशासन इस दिशा में पहल कर रहा है और उसने कई टीमें गठित करने का फैसला किया है जो अलग अलग मठों में जाकर बाहर से आए संतों को वापस जाने का निवेदन करेगी। प्रशासन को भी इस बात का अंदाजा है कि बाहर से आए हजारों संत विहिप की ताकत बन सकते हैं।

सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रशासन की ओर से खुफिया विभाग को भी भीड़ पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है और अधिकारियों द्वारा उन जगहों को चिन्हित किया जा रहा है जहां आवश्यकता पड़ने पर अस्थायी जेलें बनायी जा सकें। इधर, 84 कोसी परिक्रमा को लेकर भाजपा ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा की तरफ से यही कहा जा रहा है कि परिक्रमा पर सरकार लोग नहीं सकती। विहिप का साथ देने के सवाल पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं, सरकार कुतर्कों के सहारे संतों की यात्रा रोक रही है। सरकार को संतों को परिक्रमा करने की इजाजत देनी चाहिए और सरकार को यात्रा की सुरक्षा का प्रबंध करना चाहिए ताकि सौहार्दपूर्ण वातावरण में यात्रा सम्पन्न हो सके।

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