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सोने की खोज: 'एस-5 के फेर में अंधविश्वासी बना देश!

इसे अंधविश्वास की जकड़न ही कहेंगे कि 'शोभन-सपना-सोना-संप्रग-सोनिया जैसे पांच 'एस अक्षर से शुरू होने वाले नामों यानि 'एस-5 पर विश्वास कर उन्नाव के डौंडि़याखेड़ा किले से सोने का कथित 'महाखजाना मिलने की आस में समूचा देश 'अंधविश्वासी बन गया और वहां एक टका सोना हाथ नहीं लगा।

पूरे देश को मालूम है कि बक्सर आश्रम के संत शोभन सरकार को उन्नाव के डौंडि़याखेड़ा के राजा राव रामबक्श सिंह के 155 साल से वीरान और खंड़हर हो गए किले में एक हजार टन सोना दबा होने का सपना आया था, इस सपने को सच मान कर केन्द्रीय मंत्री चरणदास महंत ने केन्द्र की संप्रग सरकार के कैबिनेट के कर्इ मंत्रियों के अलावा सोनिया गांधी व राहुल गांधी तक न सिर्फ पहुंचाया, बलिक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्राचार तक किया था। मंत्री पर भरोसा करना लाजमी भी है, इसी से पीएमओ ने आनन-फानन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआर्इ) को निर्देश दिया और उसने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआर्इ) से सर्वे कराया तो जीएसआर्इ ने भी अपनी रिपोर्ट में किले के नीचे 'धातु दबी होने की पुषिट कर दी, जिससे महाखजाना की संभावना प्रबल हो गर्इ। फिर क्या था, इस वीरान किले में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में एएसआर्इ व जीएसआर्इ के अधिकारियों की टीम द्वारा ग्यारह दिन चली खुदार्इ में न तो सोना हाथ लगा और न कोर्इ धातु या पुरातत्व महत्व की वस्तु ही मिल पार्इ, लाखों रुपये खर्च होने के बाद जग हंसार्इ अलग हुर्इ। अब तो सभी यह कहने लगे हैं कि 'शोभन-सपना-सोना-संप्रग-सोनिया यानि 'एस-5 के अजीब मिलन ने इस देश को ही नहीं, बलिक विज्ञान को भी सपने पर यकीन करने के लिए मजबूर कर दिया।

सनद रहे, संत शोभन सरकार के सहयोगी बाबा ओमजी महराज ने कर्इ बार यह दावा कर चुके थे कि '15 फुट की गहरार्इ में सोना है। उन्होंने यह भी कहा था कि 'सोना न मिले तो सरकार मेरा सिर कलम करवा दे। अब तब 11 दिन में 4.90 मीटर (लगभग 15 फुट) गहरार्इ तक खुदार्इ हुर्इ और कुछ न मिला तो वह अपने दावे से पलटते हुए कह दिये कि 'सोना न निकला तो सरकार को नुकसान नहीं होगा। मंगलवार की खुदार्इ तक जब सोना या अन्य कोर्इ धातु नहीं मिली तो एएसआर्इ के अधिकारी एस.बी. शुक्ल कहते हैं कि 'जीएसआर्इ की रिपोर्ट के आधार पर एएसआर्इ ने खुदार्इ शुरू की थी। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एएसआर्इ व जीएएसआर्इ जैसी एजेंसिया भी विज्ञान पर नहीं, सपने (अंधविश्वास) पर ज्यादा भरोसा करती हैं? चूंकि सोना न मिलने की दशा में जीएसआर्इ की रिपोर्ट के अनुसार कोर्इ 'धातु का मिलना जरूरी था।

किले की खुदार्इ में सोना नहीं मिला, फिर भी डौंडि़याखेड़ा गांव के कुछ बुजुर्ग संत शोभन सरकार के सपने को अब भी सच मान रहे हैं, बुजुर्ग सरवन का कहना है कि 'खुदार्इ की गति बहुत धीमी थी, 'शोभन सरकार ने पहले ही कह दिया था कि समय से खुदार्इ न की गर्इ तो सोना 'राख हो जाएगा। स्नातक की शिक्षा ग्रहण कर रहे इस गांव के युवक राजेन्द्र सिंह का कहना है कि 'यह पहले से ही तय था कि सोना नहीं मिलेगा, सिर्फ अंधविश्वास फैलाया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार का कहना है कि 'संत शोभन के सपने के आधार पर केन्द्र सरकार ने अंधविश्वास को बढ़ावा दिया है, इसके जिम्मेदारों के खिलाफ वैधानिक कार्रवार्इ होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बसपा विधायक दल के उपनेता और बांदा की नरैनी सीट से विधायक गयाचरण दिनकर कहते हैं कि 'शोभन-सपना-सोना-संप्रग-सोनिया (एस-5) के अजीब मिलन ने देश में अंधविश्वास फैलाने का निकृष्टतम कार्य किया है। वह कहते हैं कि 'संत के सपने को केन्द्र सरकार तक पहुंचाने वाले मंत्री चरणदास महंत के खिलाफ विधि संगत कार्रवार्इ अमल में लार्इ जानी चाहिए।

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खागा क्षेत्र में भी मिल सकता है खजाना!

उत्तर प्रदेश में आदमपुर के पुरातात्विक स्थल पर अकूत संपदा की बात सामने आने के बाद तहसील क्षेत्र के पुरातात्विक स्थल भी चर्चा का विषय बन गया है। पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के शिकार ऐसे स्थानों के प्रति जहां धन के लालची तांत्रिक सक्रिय हो गए हैं, वहीं स्थानीय ग्रामीणों का कौतूहल भी जाग्रत हो गया है।

खागा कस्बे के करीब स्थित कुकरा कुकरी ऐलई ग्राम का टीला तथा टिकरी गांव का टीला इन दिनों जिज्ञासु लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इन स्थानों पर लोगों की चहल कदमी बढ़ गई है, जबकि कुछ ऐसे विवादास्पद स्थानों के प्रति भी लोग आकर्षित हुए हैं जिन्हें लोगों ने अपना कब्जा जमा रखा है।

जनपद मुख्यालय के भिटौरा ब्लॉक अंर्तगत गंगा तट पर स्थित आदमपुर गांव में सोने का खजाना दबे होने की चर्चा ने क्षेत्र के पुरातात्विक महत्व के स्थानों का जनाकर्षण बढ़ा दिया है। लोगों के बीच ऐसे स्थान चर्चा के विषय बने हुए हैं।

लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक घटनाओं या प्राकृतिक आपदाओं से भूगर्भ में समा चुके पुराने वैभव का समाज व राष्ट्रहित में उपयोग के प्रति संत शोभन सरकार की पहल पर सरकार की सक्रियता को प्रशासन विस्तार दे दे तो खागा की सरजमीं भी देश का भाग्य बदलने में सहायक साबित हो सकती है।

जनचर्चा के अनुसार, नगर के संस्थापक राजा खड़क सिंह के इतिहास से जुड़ा कुकरा कुकरी स्थल में भी अकूत भू-संपदा होने की संभावना है। इस स्थान को लेकर लंबे समय तक सक्रिय रहे पत्रकार सुमेर सिंह का कहना है कि इस टीले के आसपास के ग्रामीणों को कई मर्तबा बहुमूल्य नगीने पत्थर व सिक्के हाथ लगे हैं। इनका कहना है कि टीले की थोड़ी बहुत खुदाई उन्हांेने करा दी थी, जिसमंे कतिपय भग्नावशेष उनके हाथ लगे थे। बताया कि इस बारे मे उन्होंने पुरातत्व विभाग को पत्र भी लिखा था लेकिन कोई जवाब न मिलने के कारण निराश हो कर बैठ गए।

अब जबकि आदमपुर के खजाने की बात सामने आ गई है, इन दिनों उस स्थान पर लोगों की चहल कदमी बढ़ गई है। प्राचीन धरोहरों और सामानों के शौकीन कुंवर लाल रामेंद्र सिंह के अनुसार, इस स्थान के चक्कर लगाते हुए उन्हें कई बार ऐसे तांत्रिक भी मिले हैं, जिन्होंने टीले के अंदर बहुमूल्य संपदा होने के का दावा किया है।

फिलहाल इन दिनों इस स्थान पर धनाकांक्षी लोगांे की चहल पहल बढ़ गई है। नहर किनारे रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि आजकल शाम को कुछ लोग टीले के आसपास मंडराते देखे जाते हैं। नगर के दक्षिण-पूर्व सीमा के बाहर ऐलई गांव के पहले प्रवेश मार्ग के पास जिस टीले पर माइक्रो टावर लगा है, वह भी इस समय चर्चा में शुमार है।

बताते हैं कि सन् 1984 में जब टावर लगाने के लिए टीले की सतही की खुदाई हुई थी, उस समय भारी मात्रा में चांदी व ताबे के सिक्के निकले थे। अरबी भाषा की लिखाई वाले ये सिक्के कुछ ग्रामीणों के हाथ भी लगे थे, लेकिन डर और लोभ की वजह से लोगों ने सिक्कों के बाबत चुप्पी साध ली। लगभग 200 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैले इस टीले के आसपास अब आबादी बढ़ जाने के बावजूद रात मे टीले का वातावरण रहस्यमय रहता है, ग्रामीण भी टीले में जाने से भय खाते हैं। 

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