भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं| भगवान विष्णु ईश्वर के तीन मुख्य रुपों में से एक रूप हैं इन्हें त्रिमूर्ति भी कहा जाता है ब्रह्मा विष्णु, महेश के मिलन से ही इस त्रिमूर्ति का निर्माण होता है| सर्वव्यापक भगवान श्री विष्णु समस्त संसार में व्याप्त हैं कण-कण में उन्हीं का वास है उन्हीं से जीवन का संचार संभव हो पाता है संपूर्ण विश्व श्री विष्णु की शक्ति से ही संचालित है वे निर्गुण, निराकार तथा सगुण साकार सभी रूपों में व्याप्त हैं|
पुराणों में भगवान विष्णु के दशावतारों का वर्णन है। इनमें से नौ अवतार हो चुके हैं, दसवें अवतार का आना अभी शेष है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु का यह अवतार कल्कि अवतार कहलाएगा। पुराणों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह अवतार होगा| यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। पुराणों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे।
भारत में कल्कि अवतार के कई मंदिर भी हैं, जहां भगवान कल्कि की पूजा होती है। यह भगवान विष्णु का पहला अवतार है जो अपनी लीला से पूर्व ही पूजे जाने लगे हैं। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान कल्कि के साथ ही उनके घोड़े की प्रतिमा भी स्थापित है।