‏إظهار الرسائل ذات التسميات नौसेना दिवस. إظهار كافة الرسائل
‏إظهار الرسائل ذات التسميات नौसेना दिवस. إظهار كافة الرسائل

नौसेना दिवस पर विशेष: गौरवमयी है भारतीय नौसेना का इतिहास

भारतीय जल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रही भारतीय नौसेना की शुरुआत वैसे तो 5 सितंबर 1612 को हुई थी, जब ईस्ट इंडिया कंपनी के युद्धपोतों का पहला बेड़ा सूरत बंदरगाह पर पहुंचा था और 1934 में 'रॉयल इंडियन नेवी' की स्थापना हुई थी, लेकिन हर साल चार दिसंबर को 'भारतीय नौसेना दिवस' मनाए जाने की वजह इसके गौरवमयी इतिहास से जुड़ी हुई है। 

भारतीय नौसेना दिवस का इतिहास 1971 के ऐतिहासिक भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुड़ा है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान पर न केवल विजय हासिल की थी, बल्कि पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराकर स्वायत्त राष्ट्र 'बांग्लादेश' का दर्जा दिलाया था। भारतीय नौसेना अपने इस गौरवमयी इतिहास की याद में प्रत्येक साल चार दिसंबर को नौसेना दिवस मनाती है।

आधुनिक भारतीय नौसेना की नींव 17वीं शताब्दी में रखी गई थी, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक समुद्री सेना के बेड़े रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की। यह बेड़ा 'द ऑनरेबल ईस्ट इंडिया कंपनीज मरीन' कहलाता था। बाद में यह 'द बॉम्बे मरीन' कहलाया। पहले विश्व युद्ध के दौरान नौसेना का नाम 'रॉयल इंडियन मरीन' रखा गया। 

26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना और इसी दिन भारतीय नौसेना ने अपने नाम से 'रॉयल' को त्याग दिया। उस समय भारतीय नौसेना में 32 नौ-परिवहन पोत और लगभग 11,000 अधिकारी और नौसैनिक थे। 15 अगस्त 1947 में भारत को जब देश आजाद हुआ था, तब भारत के नौसैनिक बेड़े में पुराने युद्धपोत थे। 

आईएनएस 'विक्रांत' भारतीय नौसेना पहला युद्धपोतक विमान था, जिसे 1961 में सेना में शामिल किया गया था। बाद में आईएनएस 'विराट' को 1986 में शामिल किया गया, जो भारत का दूसरा विमानवाही पोत बन गया। आज भारतीय नौसेना के पास एक बेड़े में पेट्रोल चालित पनडुब्बियां, विध्वंसक युद्धपोत, फ्रिगेट जहाज, कॉर्वेट जहाज, प्रशिक्षण पोत, महासागरीय एवं तटीय सुरंग मार्जक पोत (माइनस्वीपर) और अन्य कई प्रकार के पोत हैं।

इसके अलावा भारतीय नौसेना की उड्डयन सेवा कोच्चि में आईएनएस 'गरुड़' के शामिल होने के साथ शुरू हुई। इसके बाद कोयम्बटूर में जेट विमानों की मरम्मत व रखरखाव के लिए आईएनएस 'हंस' को शामिल किया गया। 

भारतीय नौसेना ने जल सीमा में कई बड़ी कार्रवाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें प्रमुख है जब 1961 में नौसेना ने गोवा को पुर्तगालियों से स्वतंत्र करने में थल सेना की मदद की। इसके अलावा 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा तो नौसेना ने अपनी उपयोगिता साबित की। 

भारतीय नौसेना ने देश की सीमा रक्षा के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा शांति कायम करने की विभिन्न कार्यवाहियों में भारतीय थल सेना सहित भाग लिया। सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्रवाई इसी का एक हिस्सा थी। 

देश के अपने स्वयं के पोत निर्माण की दिशा में आरंभिक कदम उठाते हुए भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बंबई (मुंबई) के मजगांव बंदरगाह को 1960 में और कलकत्ता (कोलकाता) के गार्डन रीच वर्कशॉप (जीआरएसई) को अपने अधिकार में लिया। वर्तमान में भारतीय नौसेना का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह मुख्य नौसेना अधिकारी 'एडमिरल' के नियंत्रण में होता है। भारतीय नौ सेना तीन क्षेत्रों की कमान (पश्चिम में मुंबई, पूर्व में विशाखापत्तनम और दक्षिण में कोच्चि) के तहत तैनात की गई है, जिसमें से प्रत्येक का नियंत्रण एक फ्लैग अधिकारी द्वारा किया जाता है।

www.pardaphash.com