श्रावण में महादेव के जलाभिषेक की परंपरा है। श्रद्धालु शिवलिंग पर जल, दूध व पंचामृत से अभिषेक करते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर के देव गुराड़िया स्थित गुप्तेश्वर महादेव एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जहां गौमुख से जलधारा आती है और वह खुद ही शिवजी का अभिषेक करती है। इस दृश्य को देखने के लिए अनेक श्रद्धालु शिव के मंदिर में दर्शन-पूजन करने आते हैं। श्रावण में यहां काफी भीड़ होती है और गौमुख का ये जल लोग मस्तक से लगाकर शिव को नमन करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं|
देव गराड़िया मंदिर इंदौर शहर से करीब 15 किमी की दूरी पर स्थित है। यह नेमावर रोड़ पर एक छोटा सा गांव हैं। जहां अतिप्रचीन शिव मंदिर है। मंदिर की परंपराएं और मान्यताएं श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर में भगवान शिव के गण माने जाने वाले नाग का जोड़ा भी रहता है। कभी कुंड में तो कभी शिवालय में ये नाग-नागिन भक्तों दर्शन देते हैं। मान्यता है कि जिस भक्त को इनके दर्शन होते हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग के ऊपर एक गौमुख बना है। जिसमें प्राकृतिक रूप से जल आता है। जो कि महादेव का अभिषेक स्वतः ही होता है। यह जलाअभिषेक ही इस मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था को दृढ़ करता है। यह जल पिंडी के ऊपर से गिरकर मंदिर के पास बने कुंड में गिरता है और यहां इकट्ठा हो जाता है। मान्यता है कि मंदिर के आसपास बने यह कुंड कभी सूखते नहीं हैं। मंदिर के अंदर ही बना जलकुंड पूरे गांव की प्यास बुझाता है। पूरे गांव के लोग इसी जलकुंड का पानी पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस जलकुंड में साल के 12 महीनों पानी भरा रहता है।
मंदिर के अंदर के कुंड के अलावा मंदिर में 5 कुंड और बने हैं जो कि हमेशा पानी से भरे होते हैं। इनका पानी कभी खाली नहीं होता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ ने यहां आकर भगवान शिव की तपस्या की थी। इसलिए ही इस स्थान का नाम देव गुराड़िया पड़ा है। इस स्थान को गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में देवी अहिल्याबाई ने करवाया था।