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विघ्नविनाशक गणपति के इस मंत्र से पूरी कर सकते हैं कोई भी मन्नत

हमारे हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत ईश्वर के नाम के बिना नहीं होती| हिंदू धर्म के अनुयायी भगवान श्रीगणेश की पूजा सर्वप्रथम करते हैं। भगवान श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। गणपति की पूजा सम्पूर्ण मानी जाती है| हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि गणपति सब देवताओं में अग्रणी हैं।

गणेश के इस नाम का शाब्दिक अर्थ – भयानक या भयंकर होता है। क्योंकि गणेश की शारीरिक रचना में मुख हाथी का तो धड़ पुरुष का है। सांसारिक दृष्टि से यह विकट स्वरूप ही माना जाता है। किंतु इसमें धर्म और व्यावहारिक जीवन से जुड़े गुढ़ संदेश है। धार्मिक आस्था से श्री गणेश विघ्रहर्ता है। इसलिए माना जाता है कि वह बुरे वक्त, संकट और विघ्रों का भयंकर या विकट स्वरूप में अंत करते हैं। आस्था से जुड़ी यही बात व्यावहारिक जीवन का एक सूत्र बताती है कि धर्म के नजरिए से तो सज्जनता ही सदा सुख देने वाली होती है, लेकिन जीवन में अनेक अवसरों पर दुर्जन और तामसी वृत्तियों के सामने या उनके बुरे कर्मों के अंत के लिये श्री गणेश के विकट स्वरूप की भांति स्वभाव, व्यवहार और वचन से कठोर या भयंकर बनकर धर्म की रक्षा जरूर करना चाहिए।

शास्त्रों में श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के विधि विधान बताये गए हैं| आज हम आपको एक ऐसा चमत्कारी गणेश मंत्र बताने जा रहे हैं जो तुरंत मन्नत पूरी करता है!

मंत्र

“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरदे नम:”

इस मंत्र का जाप करने लिए सुबह स्नान के बाद मन्दिर या घर में पूर्व दिशा की ओर मुख कर पीले आसन पर बैठें| एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर अक्षत की ढेरी या अष्टदल कमल पर श्रीगणेश मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। श्रीगणेश को फूल, चंदन, धूप, दीप व भोग में पीले रंग के लड्डू चढ़ाएं। गौ माता के घी का दीप श्रीगणेश के सामने जलाएं|

श्रीगणेश की कामना विशेष मंत्र को संकल्प लेकर हर रोज 108 बार मंत्र स्मरण करें। चंदन, रुद्राक्ष की माला से 108 बार स्मरण न कर पाएं तो 9, 18, 27 या 54 बार भी जप कर सकते हैं। यह विशेष गणेश मंत्र आसान व मनोरथसिद्धी करने वाला बताया गया है| 

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