काठमांडू : पर्वतराज हिमालय की गोद में बसा नेपाल। सारी दुनिया में नेपाल का बेदाग खूबसूरती और बेपनाह सौंदर्य के चलते एक अलग स्थान है। सैर-सपाटे के लिये दुनियाभर के पर्यटकों की ये पसंदीदा है। खूबसूरत वादियाँ, अनगिनत चमकती पर्वत माला, हरे-भरे जंगल,कल-कल करती नदियां, झीलें, झरने और दूर तक फैली मखमली हरियाली लुभा लेती है। लगता है जैसे कुदरत ने बड़ी फुर्सत में हसीन नजारे गढ़े हैं।
कुदरती नाजो अदा का दीदार होने पर हर नजारा दिल को अपने आगोश में ले लेता है। प्राकृतिक सौंदर्य से छलकता नेपाल मन्दिरों, स्तूपों, पैगोडा और आस्था के कई अन्य स्थलों के साथ ऐतिहासिक धरोहरों को भी समेटे हुए हैं। नेपाल में ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी 8848 मीटर की माउंट एवरेस्ट है, जिसके साथ अदभुत और रोमांचकारी बर्फ से ढकी पर्वत मालाएं हैं। आप को जान कर हैरत होगी कि दुनिया के दस सबसे ऊंचे शिखरों में से आठ नेपाल में हैं। एवरेस्ट के साथ ही कंचनजंगा, लाहोत्से, मकालू, चू-ओपू, धौलागिरी, मांसलू और अन्नपूर्णा- इन सभी की ऊंचाई 8000 मीटर से ज्यादा है। बादल तो ऐसे मचलते हैं, जैसे मस्ती के आलम में बेसुध हों। जब ये पर्वत मालाओं से टकराते हैं तो मानो मचलते हुए बाँहों में भर रहे हैं। मौसम इतना खुशगवार कि तबियत गार्डन- गार्डन हो जाये।
नेपाल के उत्तर में तिब्बत और चीन, पूर्व में सिक्किम, दक्षिण में भारत के उत्तर प्रदेश व बिहार और पश्चिम में उत्तराखण्ड राज्यों की सीमाएं लगती हैं। वैसे तो नेपाल का हर कोना प्राकृतिक हुस्न का जीता जगता शाहकार है, किन्तु फिर भी कुछ बहुत खास हैं।
काठमांडू : नेपाल की राजधानी काठमांडू विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है। पहले इसे कांतीपुर कहा जाता था। यह काफी खूबसूरत शहर है। यहां ज़बरदस्त चहल-पहल रहती है। हवाई अड्डा है। छोटे-बडे काफी होटल हैं। कई फाइव स्टार होटल हैं। बाजार अच्छा है। न्यू रोड पर मशहूर अत्याधुनिक किस्म का बाजार है। कई मॉल भी हैं। विदेशी सामानों की यहां भरमार है। काठमांडू में ही थामेल मशहूर बाजार है, जहां सभी तरह के सामानों के अलावा छोटे-बडे कई रेस्तरां हैं, जहां पर आपको मनपसन्द भोजन मिल सकता है। इसी क्षेत्र में ‘नेपाली चुलू’ अर्थात नेपाली भोजन का स्वाद गीत-संगीत-नृत्य के साथ लिया जा सकता है, वो भी नेपाली स्टाइल में।
पशुपतिनाथ का भव्य मन्दिर काठमांडू में है, जो बागमती नदी के तट पर स्थित है। यहां श्रद्धालुओं की हमेशा भीड रहती है। काफी लम्बे-चौडे भूभाग में बने भगवान शिव के मन्दिर के साथ ही कई और मन्दिर भी दर्शनीय हैं। काठमांडू में ही भगवान बुद्ध से सम्बन्धित दो प्रमुख स्तूप हैं- बौद्धनाथ और स्वयंभूनाथ स्तूप। ये दोनों काफी ऊंचाई पर हैं। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी भी नेपाल में है।
काठमांडू की घाटी में तीन प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं- काठमांडू दरबार स्क्वायर, पाटनऔर भक्तपुर दरबार स्क्वायर। भक्तपुर में काफी लम्बे चौडे क्षेत्र में कई भवनों, मंदिरों आदि में कलात्मक नमूना देखा जा सकता है। यहां पर पचपन खिडकियों का सुन्दर भवन कलात्मक लकडी का अदभुत नमूना पेश करता है।
नागरकोट :- यह काठमांडू से 32 किलोमीटर की दूरी पर काफी ऊंचाई पर स्थित है। यहां से प्रातःकाल सूरज निकलने का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। इसके लिये पर्यटक रात में ही नगरकोट पहुंच जाते हैं। यहां ठण्ड अधिक होती है।
मनोकामना देवी मन्दिर: यह गोरखा नाम के कस्बे से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। मन्दिर में दर्शन और मन्नत मांगने के लिए 1302 मीटर के पहाड पर जाने के लिये ‘केबिल कार’ से जाया जाता है।
पोखरा :- यह काठमांडू से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां प्रकृति का हुस्न देखने लायक है। यहां से हिमालय पर्वत श्रेणियों को अपेक्षाकृत नजदीक से देखा जा सकता है। अन्नपूर्णा, धौलागिरी और मांसलू चोटियों को यहां निकट से देखा जा सकता है। यह कुदरत का अदभुत करिश्मा है कि 800 मीटर की ऊंचाई पर बसे पोखरा से 8000 मीटर से भी ऊंचे पहाड सिर्फ 25-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पहाडों के अलावा झीलें, नदियां, झरनों के साथ-साथ मन्दिर, स्तूप और म्यूजियम भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां भी हवाई अड्डा है। सडकें अच्छी हैं। शॉपिंग का भरपूर मजा लिया जा सकता है। अब तो एक कैसिनो भी खुल गया है।
यहां पर भी सूर्य के उदय के दर्शन के लिये लोग सारंगकोट में 1591 मीटर की ऊंचाई पर तडके ही पहुंच जाते हैं। जब सूरज की पहली किरण बर्फ जमे पहाडों पर पडती है तो उस समय का सुनहरापन पहाड का श्रृंगार कर देता है। प्रकृति का यह अदभुत दृश्य कभी न भूलने वाला बन जाता है।
पोखरा को झीलों का शहर कहते हैं। पोखरा में आठ झीलें हैं- फेवा, बनगास, रूपा, मैदी, दीपपांग, गुंडे, माल्दी और खास्त। फेवा झील में तो बाराही मन्दिर भी है, जहां लोग दर्शन करने जाते हैं। इसमें बोटिंग का मजा लिया जा सकता है। इसके अलावा बर्ड वाचिंग, स्विमिंग, सनबाथिंग आदि को अपना बना सकते हैं। यहां पर काली-गंडक नदी में विश्व में सबसे संकरी गहराई वाला स्थान है। कई नदियां भी हैं। एक है सेती नदी! नेपाली में सेती का अर्थ सफेद! अर्थात सफेद दूधिया पानी की नदी! खास बात- यह नदी कहीं अंडरग्राउंड तो कहीं सिर्फ दो मीटर चौडी और कहीं-कहीं यह 40 मीटर गहरी है। महेन्द्र पुल, के.एल. सिंह ब्रिज, रामघाट, पृथ्वी चौक से इस नदी का उफान देखा जा सकता है।
झीलों, नदियों के साथ मनमोहक झरना दिलोदिमाग को ताजगी से भर देता है। यहीं पर गुप्तेश्वर महादेव गुफा के अन्दर शिवजी का मन्दिर देखने लायक बना है। इनके अलावा गुफाएं भी रोमांच पैदा करती हैं। पोखरा में इंटरनेशनल म्यूजियम और गोरखा मेमोरियल म्यूजियम अपनी अपनी कहानी बताकर इतिहास से परिचित कराते हैं। तितली म्यूजियम का भी मजा लिया जा सकता है।
चितवन नेशनल पार्क, एवरेस्ट नेशनल पार्क, बरदिया नेशनल पार्क, लांगटांग नेशनल पार्क, शिवपुरी नेशनल पार्क हैं, जो नेपाल की 19.42 प्रतिशत भूमि को घेरे हुए हैं। नेपाल को चिडियों से प्यार है तभी तो यहां 848 किस्म की चिडियां पाई जाती हैं। ‘मोनल’ यहां का राष्ट्रीय पक्षी है। रंग-बिरंगी तितलियां हर ओर मिलती हैं। देश में तितलियों की 300 किस्में पाई जाती हैं।
भारतीयों के साथ जापान, मलेशिया, सिंगापुर, कोरिया, बांग्लादेश, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैण्ड, इटली आदि देशों से भी यहाँ पर्यटक आते हैं।
नेपाल की राष्ट्रीय भाषा नेपाली है लेकिन अंग्रेजी और हिन्दी में बातचीत की जा सकती है। यहां नेपाली रुपया चलता है। भारतीय एक सौ रुपया नेपाल के 160 रुपये के बराबर होता है। नेपाल में कैसिनो का मज़ा लिया जा सकता है। काठमांडू में सात और पोखरा में एक कैसिनो है।
भारतीयों को नेपाल जाने के लिये किसी वीजा की जरुरत नहीं होती। उन्हें वहां जाने के लिये एक फोटो पहचान पत्र जरूरी होता है जो पासपोर्ट भी हो सकता है और पासपोर्ट भी न हो तो मतदाता पहचान पत्र या अन्य किसी सरकारी फोटो पहचान पत्र से भी काम चलाया जा सकता है।
कैसे जायें :-
दिल्ली व यूपी के वाराणसी के साथ ही भैरहवा से वायुयान की सुविधा। काठमांडू से पोखरा के लिये कई हवाई उडान! काठमांडू से पोखरा हवाई यात्रा समय 20-25 मिनट।
सडक मार्ग: उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती स्थानों से काठमांडू और पोखरा के लिये बस, टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं |
कुदरती नाजो अदा का दीदार होने पर हर नजारा दिल को अपने आगोश में ले लेता है। प्राकृतिक सौंदर्य से छलकता नेपाल मन्दिरों, स्तूपों, पैगोडा और आस्था के कई अन्य स्थलों के साथ ऐतिहासिक धरोहरों को भी समेटे हुए हैं। नेपाल में ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी 8848 मीटर की माउंट एवरेस्ट है, जिसके साथ अदभुत और रोमांचकारी बर्फ से ढकी पर्वत मालाएं हैं। आप को जान कर हैरत होगी कि दुनिया के दस सबसे ऊंचे शिखरों में से आठ नेपाल में हैं। एवरेस्ट के साथ ही कंचनजंगा, लाहोत्से, मकालू, चू-ओपू, धौलागिरी, मांसलू और अन्नपूर्णा- इन सभी की ऊंचाई 8000 मीटर से ज्यादा है। बादल तो ऐसे मचलते हैं, जैसे मस्ती के आलम में बेसुध हों। जब ये पर्वत मालाओं से टकराते हैं तो मानो मचलते हुए बाँहों में भर रहे हैं। मौसम इतना खुशगवार कि तबियत गार्डन- गार्डन हो जाये।
नेपाल के उत्तर में तिब्बत और चीन, पूर्व में सिक्किम, दक्षिण में भारत के उत्तर प्रदेश व बिहार और पश्चिम में उत्तराखण्ड राज्यों की सीमाएं लगती हैं। वैसे तो नेपाल का हर कोना प्राकृतिक हुस्न का जीता जगता शाहकार है, किन्तु फिर भी कुछ बहुत खास हैं।
काठमांडू : नेपाल की राजधानी काठमांडू विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है। पहले इसे कांतीपुर कहा जाता था। यह काफी खूबसूरत शहर है। यहां ज़बरदस्त चहल-पहल रहती है। हवाई अड्डा है। छोटे-बडे काफी होटल हैं। कई फाइव स्टार होटल हैं। बाजार अच्छा है। न्यू रोड पर मशहूर अत्याधुनिक किस्म का बाजार है। कई मॉल भी हैं। विदेशी सामानों की यहां भरमार है। काठमांडू में ही थामेल मशहूर बाजार है, जहां सभी तरह के सामानों के अलावा छोटे-बडे कई रेस्तरां हैं, जहां पर आपको मनपसन्द भोजन मिल सकता है। इसी क्षेत्र में ‘नेपाली चुलू’ अर्थात नेपाली भोजन का स्वाद गीत-संगीत-नृत्य के साथ लिया जा सकता है, वो भी नेपाली स्टाइल में।
पशुपतिनाथ का भव्य मन्दिर काठमांडू में है, जो बागमती नदी के तट पर स्थित है। यहां श्रद्धालुओं की हमेशा भीड रहती है। काफी लम्बे-चौडे भूभाग में बने भगवान शिव के मन्दिर के साथ ही कई और मन्दिर भी दर्शनीय हैं। काठमांडू में ही भगवान बुद्ध से सम्बन्धित दो प्रमुख स्तूप हैं- बौद्धनाथ और स्वयंभूनाथ स्तूप। ये दोनों काफी ऊंचाई पर हैं। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी भी नेपाल में है।
काठमांडू की घाटी में तीन प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं- काठमांडू दरबार स्क्वायर, पाटनऔर भक्तपुर दरबार स्क्वायर। भक्तपुर में काफी लम्बे चौडे क्षेत्र में कई भवनों, मंदिरों आदि में कलात्मक नमूना देखा जा सकता है। यहां पर पचपन खिडकियों का सुन्दर भवन कलात्मक लकडी का अदभुत नमूना पेश करता है।
नागरकोट :- यह काठमांडू से 32 किलोमीटर की दूरी पर काफी ऊंचाई पर स्थित है। यहां से प्रातःकाल सूरज निकलने का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। इसके लिये पर्यटक रात में ही नगरकोट पहुंच जाते हैं। यहां ठण्ड अधिक होती है।
मनोकामना देवी मन्दिर: यह गोरखा नाम के कस्बे से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। मन्दिर में दर्शन और मन्नत मांगने के लिए 1302 मीटर के पहाड पर जाने के लिये ‘केबिल कार’ से जाया जाता है।
पोखरा :- यह काठमांडू से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां प्रकृति का हुस्न देखने लायक है। यहां से हिमालय पर्वत श्रेणियों को अपेक्षाकृत नजदीक से देखा जा सकता है। अन्नपूर्णा, धौलागिरी और मांसलू चोटियों को यहां निकट से देखा जा सकता है। यह कुदरत का अदभुत करिश्मा है कि 800 मीटर की ऊंचाई पर बसे पोखरा से 8000 मीटर से भी ऊंचे पहाड सिर्फ 25-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पहाडों के अलावा झीलें, नदियां, झरनों के साथ-साथ मन्दिर, स्तूप और म्यूजियम भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां भी हवाई अड्डा है। सडकें अच्छी हैं। शॉपिंग का भरपूर मजा लिया जा सकता है। अब तो एक कैसिनो भी खुल गया है।
यहां पर भी सूर्य के उदय के दर्शन के लिये लोग सारंगकोट में 1591 मीटर की ऊंचाई पर तडके ही पहुंच जाते हैं। जब सूरज की पहली किरण बर्फ जमे पहाडों पर पडती है तो उस समय का सुनहरापन पहाड का श्रृंगार कर देता है। प्रकृति का यह अदभुत दृश्य कभी न भूलने वाला बन जाता है।
पोखरा को झीलों का शहर कहते हैं। पोखरा में आठ झीलें हैं- फेवा, बनगास, रूपा, मैदी, दीपपांग, गुंडे, माल्दी और खास्त। फेवा झील में तो बाराही मन्दिर भी है, जहां लोग दर्शन करने जाते हैं। इसमें बोटिंग का मजा लिया जा सकता है। इसके अलावा बर्ड वाचिंग, स्विमिंग, सनबाथिंग आदि को अपना बना सकते हैं। यहां पर काली-गंडक नदी में विश्व में सबसे संकरी गहराई वाला स्थान है। कई नदियां भी हैं। एक है सेती नदी! नेपाली में सेती का अर्थ सफेद! अर्थात सफेद दूधिया पानी की नदी! खास बात- यह नदी कहीं अंडरग्राउंड तो कहीं सिर्फ दो मीटर चौडी और कहीं-कहीं यह 40 मीटर गहरी है। महेन्द्र पुल, के.एल. सिंह ब्रिज, रामघाट, पृथ्वी चौक से इस नदी का उफान देखा जा सकता है।
झीलों, नदियों के साथ मनमोहक झरना दिलोदिमाग को ताजगी से भर देता है। यहीं पर गुप्तेश्वर महादेव गुफा के अन्दर शिवजी का मन्दिर देखने लायक बना है। इनके अलावा गुफाएं भी रोमांच पैदा करती हैं। पोखरा में इंटरनेशनल म्यूजियम और गोरखा मेमोरियल म्यूजियम अपनी अपनी कहानी बताकर इतिहास से परिचित कराते हैं। तितली म्यूजियम का भी मजा लिया जा सकता है।
चितवन नेशनल पार्क, एवरेस्ट नेशनल पार्क, बरदिया नेशनल पार्क, लांगटांग नेशनल पार्क, शिवपुरी नेशनल पार्क हैं, जो नेपाल की 19.42 प्रतिशत भूमि को घेरे हुए हैं। नेपाल को चिडियों से प्यार है तभी तो यहां 848 किस्म की चिडियां पाई जाती हैं। ‘मोनल’ यहां का राष्ट्रीय पक्षी है। रंग-बिरंगी तितलियां हर ओर मिलती हैं। देश में तितलियों की 300 किस्में पाई जाती हैं।
भारतीयों के साथ जापान, मलेशिया, सिंगापुर, कोरिया, बांग्लादेश, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैण्ड, इटली आदि देशों से भी यहाँ पर्यटक आते हैं।
नेपाल की राष्ट्रीय भाषा नेपाली है लेकिन अंग्रेजी और हिन्दी में बातचीत की जा सकती है। यहां नेपाली रुपया चलता है। भारतीय एक सौ रुपया नेपाल के 160 रुपये के बराबर होता है। नेपाल में कैसिनो का मज़ा लिया जा सकता है। काठमांडू में सात और पोखरा में एक कैसिनो है।
भारतीयों को नेपाल जाने के लिये किसी वीजा की जरुरत नहीं होती। उन्हें वहां जाने के लिये एक फोटो पहचान पत्र जरूरी होता है जो पासपोर्ट भी हो सकता है और पासपोर्ट भी न हो तो मतदाता पहचान पत्र या अन्य किसी सरकारी फोटो पहचान पत्र से भी काम चलाया जा सकता है।
कैसे जायें :-
दिल्ली व यूपी के वाराणसी के साथ ही भैरहवा से वायुयान की सुविधा। काठमांडू से पोखरा के लिये कई हवाई उडान! काठमांडू से पोखरा हवाई यात्रा समय 20-25 मिनट।
सडक मार्ग: उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती स्थानों से काठमांडू और पोखरा के लिये बस, टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं |
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