हम सभी जानते हैं, कि आजकल की भाग दौड़ से भरी ज़िन्दगी में हमें जीवन शैली की अनियमितताओं का सामना करना पड़ता हैI शरीर पर आलस्य या परिश्रम की कमी से हावी होने वाला दोष दिल की बीमारी के रूप में देखा जा सकता है। बच्चे हो या बूढ़े किसी की भी जिंदग़ी की गति को थामने वाली इस बीमारी में खोया मनोबल और इच्छाशक्ति को पाने के लिए इलाज के साथ धार्मिक उपाय भी कारगर साबित होते हैं। कहा जाता है कि दवा के साथ दुवा की बहुत जरुरत होती है|
आज आपको हम ह्रदय रोग से बचने का एक अचूक मंत्र बताने जा रहे हैं| यह मंत्र भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप की उपासना का अंग है। शिव का यह रूप काल, रोग और भय से रक्षा करने वाला माना जाता है। यह महामृत्युंजय मंत्र का ही एक रूप है, जो चार अक्षरी महामृत्युंजय मंत्र कहलाता है।
यह अद्भुत मंत्र है - ऊँ वं जू़ स: ।।
आपको बता दें कि अगर आप हृदय रोग से पीडि़त हैं तो अब आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है बस अब से आप प्रतिदिन या सोमवार को स्नानादि के बाद शिवालय में बिल्वपत्र, रोली, चंदन, सफेद फूल, धूप, दीप अर्पित कर इस अद्भुत मंत्र का कम से 108 बार उच्चारण करें।
आज आपको हम ह्रदय रोग से बचने का एक अचूक मंत्र बताने जा रहे हैं| यह मंत्र भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप की उपासना का अंग है। शिव का यह रूप काल, रोग और भय से रक्षा करने वाला माना जाता है। यह महामृत्युंजय मंत्र का ही एक रूप है, जो चार अक्षरी महामृत्युंजय मंत्र कहलाता है।
यह अद्भुत मंत्र है - ऊँ वं जू़ स: ।।
आपको बता दें कि अगर आप हृदय रोग से पीडि़त हैं तो अब आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है बस अब से आप प्रतिदिन या सोमवार को स्नानादि के बाद शिवालय में बिल्वपत्र, रोली, चंदन, सफेद फूल, धूप, दीप अर्पित कर इस अद्भुत मंत्र का कम से 108 बार उच्चारण करें।
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