पहाड़ों की वादियों का रोमांचक सफ़र


पूरे साल के काम, पढ़ाई, भाग दौड़ के बाद हर इन्सान गर्मियों की छुट्टियों का इंतजार करता है। मन इस भाग-दौड़ से दूर कहीं सुकून की जिंदगी तलाशता है। अपने परिवार के साथ गर्मी के तपिश से दूर ठंडी-ठंडी जगहों पर आनंद लेने का मन भला किसका नहीं करता होगा। अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोच रहें हैं तो हिमालय की विभिन्न पर्वत श्रृंखलाओं में एक के बाद एक अनेक ऐसे स्थल मौजूद हैं, जहां से लौटने का भी मन नहीं होता। एक स्थान देखिए दूसरे की ओर बढ़ जाइए। जहां आपको प्रकृति का एक और नया रूप नजर आएगा। इन अद्भुत नजारों से किसी का मन नहीं भरता। 

कुल्लू 

कुल्लू घाटी में पर्वतीय स्थलों की इस लंबी श्रृंखला की शुरुआत वैसे कश्मीर की मनोरम घाटियों से होती है। कश्मीर की खूबसूरती के बाद कुल्लू घाटी एवं मनाली का प्राकृतिक सौंदर्य के मामले में पहला स्थान है। कुल्लू घाटी को तो देवताओं की घाटी ही कहा जाता है। ब्यास नदी के दोनों ओर बसा कुल्लू शहर घाटी के मध्य स्थित है। कुल्लू के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में सुल्तानपुर पैलेस, रघुनाथ मंदिर, बिजली महादेव मंदिर, जगन्नाथी देवी, बशेश्वर महादेव मंदिर कैसधर, रायसन और देव टिब्बा प्रमुख नाम हैं। इन स्थानों पर देवदार के जंगल स्थित हैं और बर्फीले झीलों से ट्रैकिंग के द्वारा पहुँचा जा सकता है। कुल्लू आकर यात्रियों को ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में वन्य जीवन की एक विस्तृत विविधता को देखने का मौका मिलता है जो पशुओं के 180 से अधिक प्रजातियों का घर है।

कुल्लू ट्रैकिंग, पर्वतारोहण, लंबी पैदल यात्रा, पैराग्लाइडिंग, और रिवर राफ्टिंग जैसी विभिन्न साहसिक खेलों के लिए भी जाना जाता है। लोकप्रिय ट्रैकिंग ट्रेल्स लद्दाख घाटी, जांस्कर घाटी, लाहौल और स्पीति हैं। साहसिक खेल पैराग्लाइडिंग के लिए कुल्लू भारत में प्रसिद्ध है। यहाँ आदर्श लांच साइटें सोलंग, महादेव, और बीर हैं।

कैसे पहुँचे 
कुल्लू वायुमार्ग, रेलवे, और सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है। यहां से निकटतम हवाई बेस भुटार हवाई अड्डा है, जो लोकप्रिय रूप में कुल्लू मनाली हवाई अड्डे के जाना जाता है। कुल्लू शहर से सिर्फ 10 किमी दूर पर स्थित हवाई अड्डा दिल्ली, शिमला, चंडीगढ़, पठानकोट, धर्मशाला और जैसे प्रमुख भारतीय शहरों के साथ जुड़ा हुआ है। यहां से निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली है जो अन्य देशों के पर्यटकों को गंतव्य से जोड़ता है। कुल्लू के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन, शहर से 125 किलोमीटर दूर स्थित है। रेलवे स्टेशन वाया चंडीगढ़ अन्य स्थानों के साथ जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से स्टेट परिवहन निगम की बसें पास के स्थानों के कुल्लू से जोड़ती हैं जबकि हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम चंडीगढ़, शिमला, दिल्ली और पठानकोट से कुल्लू के लिए कई डीलक्स बसें चलाता है। गर्मी के एक आदर्श गंतव्य के रूप में कुल्लू का मौसम हमेशा सुखद रहता है। 

मन लुभावन शिमला 

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला समुद्र तल से 2215 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है आजादी से पूर्व यह शहर अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी। शिमला की बात ही निराली है खूबसूरत वादियों के साथ ऐतिहासिक इमारतों का का ताल-मेल वाकई जबर्दस्त है। शिमला में पहुँचने की आसानी और अनेक आकर्षक स्थलों के कारण शिमला भारत का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। हिमालय पर्वत की निचली श्रृंखलाओं में अवस्थित शिमला शहर देवदार, चीड़ और माजू के जंगलों से घिरा है। इसके उत्तर में बर्फ़ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएँ है। यहाँ घाटी का सुंदर दृश्‍य दिखाई देता है और महान हिमालय पर्वत की चोटियाँ चारों ओर दिखाई देती है। 12 किलोमीटर की दूरी में फैले शिमला शहर में पहाड़ी ढलानों पर बने मकानों और खेतों, देवदार, चीड़ और माजू के जंगलों से घिरा शिमला बहुत आकर्षक दिखाई देता है। कालका से धीमी रफ्तार से चलती छोटी रेलगाड़ी से यहाँ आना सुखद महसूस होता है। शिमला की घाटियों में बहते झरने और मैदान शिमला की शोभा बढ़ाते हैं। शहर के भीतर अनूठे कॉटेज और शानदार रास्तों में औपनिवेशिक प्रभाव देखा जा सकता है। शिमला में ख़रीदारी, खेलकूद और मनोरंजन के विभिन्न विकल्प मौजूद हैं। यहाँ ठण्‍डी हवाएँ बहती रहती है। शिमला का सुखद मौसम, आसानी से पहुँच और ढेरों आकर्षण इसे उत्तर भारत का एक सर्वाधिक लोकप्रिय पर्वतीय स्‍थान बना देते हैं।

कैसे पहुँचे 

दिल्ली और चंडीगढ़ से शिमला के लिए नियमित बसें चलती हैं। रेलमार्ग से दिल्ली से कालका तक पहुंचा जा सकता है। कालका से आठ घंटे का सफर तय कर शिमला पहुचा जा सकता है। शिमला-कालका के मध्य टॉय ट्रेन द्वारा पहाड़ी मार्ग तय करने का अपना अलग आनंद है। कालका देश के अनेक शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है। शिमला वैसे हवाई मार्ग द्वारा भी जुड़ा है। इसके अलावा चंडीगढ़ भी यहां से निकटतम हवाई अड्डा है।

शोर शराबे से दूर नाहन 

खरीदारी करना, छोटे-छोटे होटलों में रुकना, ऊँची नीची ढ़लानों से होकर अपना सफ़र तय करना, कभी थकना, कभी बैठना ये तो हर यात्रा का अंग होता है। इन सब के बाद मन होता है कि कोई ऐसी जगह हो जहाँ सुकून से बैठने का दिल करे, तो हम आपको बतातें हैं, ऐसी जगह है नाहन। चंडीगढ़ से 90 किलोमीटर दूर शिवालिक पहाड़ियों में समुद्र तल से 933 मीटर ऊंचाई पर 1621 में बसा शहर नाहन। यहां के मंदिर, बाग एवं यहां का रानीताल दर्शनीय स्थान है। सीधे नाहन पहुंचना हो तो अंबाला होकर आसानी से पहुंच सकते हैं। वहां से यह 64 किमी दूर है नाहन। नाहन से 45 किमी की दूरी पर रेणुका झील है। अप्रतिम सौंदर्य वाली यह झील पर्यटकों को जैसे सम्मोहित ही कर लेती है। इसी क्षेत्र में रेणुका अभ्यारण्य भी देखने योग्य स्थल है। दूसरी ओर पोंटा साहिब भी लगभग 45 किमी दूर है। सिक्खों के इस पवित्र स्थल का संबंध दशम गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन से रहा है। पोंटा से अगर चाहें तो पर्यटक देहरादून होकर वापस लौट सकते हैं अथवा उत्तरांचल के पर्वतीय स्थलों की सैर कर सकते हैं। 

कैसे पहुँचे 

नाहन के लिए अंबाला एवं चंडीगढ़ से बस सेवा उपलब्ध है तथा पोंटा के लिए देहरादून से भी बस या टैक्सी द्वारा जा सकते हैं।

पर्वतों की रानी मसूरी

प्रकृति की गोद में सुकून का पल देने वाली मसूरी देहरादून से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। मसूरी का सौंदर्य सैलानियों को इस कदर प्रभावित करता है कि इसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। मसूरी के बारे में कहा जाता है कि यहां पुराने डाक बंगले और प्राचीन मंदिर बहुसंख्‍या में हैं। गढ़वाल पर्वत श्रृंखला पर समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मसूरी हनीमून कपल्‍स के लिए वाकई किसी स्‍वर्ग से कम नहीं। यहां से दूर तक फैले पर्वतीय दृश्य नजर आते हैं। रोपवे द्वारा गनहिल पर पहुंचकर दूरबीन के जरिये अनेक हिमाच्छादित शिखर देखे जा सकते हैं। इनके अलावा लाल टिब्बा, हैप्पी वैली, म्युनिसिपल गार्डन देखने योग्य अन्य स्थान हैं। करीब 11 किमी दूर केंप्टी फॉल भी यहां का खास आकर्षण है। यहां के हरे-भरे वनों की खूबसूरती को परखना हो तो आप धनोल्टी पहुंच सकते हैं। मसूरी से अगर आप ऋषिकेश पहुंच जाएं तो आपके पास अनेक विकल्प हो सकते हैं। दरअसल ऋषिकेश उत्तरांचल के चार धामों का प्रवेश द्वार है। यहां से तीर्थ यात्रा बसों द्वारा या टैक्सी करके आप बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री की यात्रा कर सकते हैं। जिसके लिए लगभग एक सप्ताह का समय होना चाहिए। ध्यान रहे इसमें यमुनोत्री एवं केदारनाथ में 13-14 किमी की पैदल यात्रा भी शामिल है। ऋषिकेश अपने आपमें एक धार्मिक नगरी है। यहां लक्ष्मण झूला, शिवानंद झूला, स्वर्गाश्रम, परमार्थ निकेतन आदि अनेक स्थल दर्शनीय हैं।

कैसे पहुँचे 

देहरादून और देश के अन्‍य हिस्‍सों से मसूरी के लिए कई निजी बसें और सरकारी बसें चलती हैं। पर्यटक, नई दिल्‍ली और नैनीताल जैसे नजदीकी स्‍थानों से प्राइवेट डीलक्‍स बस की सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। मसूरी का सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन देहरादून रेलवे स्‍टेशन है जो मात्र 60 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह रेलवे जंक्‍शन, भारत के कई हिस्‍सों से भली प्रकार से जुड़ा हुआ है। पर्यटक देहरादून रेलवे स्‍टेशन से मसूरी के लिए टैक्‍सी किराए पर ले सकते हैं। आप हवाई यात्रा की सुविधा का भी इस्तेमाल कर सकतें हैं। देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, मसूरी से लगभग 60 किमी. की दूरी पर स्थित सबसे नजदीकी एयरबेस है। यह एयरपोर्ट, दिल्‍ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे से अच्‍छी तरह जुडा हुआ है। पर्यटक, एयरपोर्ट से गंतव्‍य स्‍थल तक पहुंचने के लिए टैक्‍सी हॉयर कर सकते हैं।

2 टिप्‍पणियां:

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत खूब | बढ़िया यात्रा वर्णन | बधाई

Vineet Verma ने कहा…

thanks tushar ji