जब भी आप मंदिर या मस्जिद गए होंगे तो एक चीज जरुर देखा होगा वह यह कि सभी मंदिर या मस्जिदों की छतें गुम्बद नुमा बनी होती हैं| क्या आपको पता है कि आखिर मंदिर या मस्जिद की छत गुम्बदनुमा क्यों बनाई जाती है?
वास्तु विज्ञान के अनुसार, गुंबदनुमा छत अथवा पिरामिड के नीचे रहने से सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि गुम्बद या पिरामिड के नीचे उर्जा विभिन्न दिशाओं में बंटती नहीं है। उर्जा गुंबदनुमा छत की खोखली सतह से टकराकर सीधे मनुष्य के ऊपर पड़ती है। इससे ध्यान केन्द्रित होता और ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ती है। यही कारण है कि मंदिर व मस्जिद की छत गुम्बदाकार या पिरामिडनुमा होती है| आपने देखा होगा कि प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपने कुटिया गुम्बदाकार ही बनाया करते थे इसकी वजह यही है| ताकि नकारात्मक उर्जा उनकी तपस्या में कोई विघ्न न डाल सके|
वास्तु शास्त्र में यह भी कहा गया है कि पिरामिड नरात्मक उर्जा को सोख लेता है। वास्तु के इन्हीं नियमों को ध्यान में रखकर संभवतः मस्जिद और बौद्ध स्तूपों की छत को गुंबदनुमा बनाया गया होगा।
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