खाने का स्वाद ही नहीं बीमारियों में रामबाण है लहसुन

आमतौर पर लहसुन को सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही उपयोग में लिया जाता था और ऐसा माना भी जाता था कि यह सिर्फ खाने में स्वाद बढ़ाने वाली वस्तु हैं, लेकिन लहसुन में स्वाद बढ़ाने के अलावा भी कई ऐसी खूबियां होती हैं जो लहसुन को बेजोड़ और बहुत कीमती बनाती हैं| तो आइए जानते है इस लहसुन में छुपे हुए अनमोल गुण-

आमतौर पर सब्जियों में प्रयोग होने वाला लहसुन रासायनिक तत्वों का भंडार होता है। लहसुन में कई रसायनिक तत्व जैसे- वाष्पशील तेल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, खनिज पदार्थ, चूना व आयरन पाए जाते हैं| 

आपको बता दें कि भोजन में लहसुन का प्रयोग मनुष्य प्राचीन समय से ही करता आ रहा है। इसकी गंध बहुत ही तेज और स्वाद तीखा होता है। कहा जाता है कि प्राचीन रोम के लोग अपने सिपाहियों को इसलिए लहसुन खिलाते थे क्योंकि उनका विश्वास था कि इसे खाने से शक्ति में वृद्धि होती है। मध्ययुग में प्लेग जैसे भयानक रोग के आक्रमण से बचने के लिए भी लहसुन का इस्तेमाल किया जाता था।

औषधि के रूप में लहसुन के महत्व का पता मनुष्य को कुछ वर्ष पहले ही लगा है। लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक होता है जो बहुत से रोगों के बचाव में लाभप्रद है। नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर कम या ज्यादा होने की बीमारी नहीं होती। गैस्टिक ट्रबल और एसिडिटी की शिकायत में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है। 

इसके अलावा अगर आपके बदन में दर्द है तो आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है बस 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम अजवाइन व एक लहसुन की कलियां डालकर धीमी आंच पर पका लें। लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें। तेल की मालिश करने से पहले इसे हल्का गर्म कर लें, जब तेल गुनगुनी हो जाए, तब इसका इस्तेमाल करें। हर प्रकार का बदन दर्द दूर हो जाएगा ।

लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे की शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है। 

जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है। जिन बच्चों को सर्दी ज्यादा होती है उन्हें लहसुन की कली की माला बनाकर पहनाना चाहिए। 

इसमें कई पोषक तत्व भी पाये जाते हैं। प्रतिदिन लहसुन की एक कली के सेवन से शरीर को विटामिन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं। इसमें लौह तत्व होते हैं, इसलिए यह रक्त निर्माण में सहायक है। इसमें विटामिन 'सी' होने से यह स्कर्वी रोग से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा लहसुन का सेवन करने वालों को टीबी रोग नहीं होता। 

लहसुन एक शानदार कीटाणुनाशक है, यह एंटीबायोटिक दवाइयों का अच्छा विकल्प है। लहसुन से टीबी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके लिए सबसे पहले लहसुन को छील लीजिए। एक कली के तीन-चार टुकड़े कर लें। दोनों समय भोजन के आधा घंटे बाद काटे हुए दो टुकड़ों को मुंह में रखें। धीरे-धीरे चबाएं। जब अच्छी तरह से उसका रस बन जाए तब ऊपर से पानी पीकर सारी चबाई लहसुन निगल लें। लहसुन का तीखापन सहन नहीं कर पाते हों तो एक-एक मनुक्का में दो-दो टुकड़े रखकर चबाएं।

लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

अक्सर युवाओं को मुहासे परेशान करते रहते हैं। ये शरीर में हार्मोनल चेंज, पेट की खराबी की वजह से हो सकते हैं। मुंहासों में लहसुन बहुत ही कारगर साबित होता है। इतना ही नहीं अगर गला बैठ रहा है तो गुनगुने पानी में लहसुन का रस मिलाकर गरारे करें, गला ठीक हो जायेगा। लहसुन की 2-3 कलियां और प्‍याज का प्रतिदिन सेवन से यौन-शाक्ति बढ़ती है।

सावधानियां-

बेशक लहसुन कुदरती खूबियों से भरपूर है। लेकिन इसका इस्तेमाल उचित मात्रा में ही करें| ऐसा इसलिए क्योंकि लहसुन की तासीर काफी गर्म और खुश्क होती है कुछ लोगों को रास नही आती। इसलिए इसका इस्तेमाल संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए खासकर गर्मियों में। अगर एक या दो लहसुन की कली का इस्तेमाल करने पर भी इसका कोई साइडइफेक्ट हो तो इसके लिए अपने डाक्टर से सलाह लें। मौसम के हिसाब से लहसुन को खाने में बदलाव करें। जाड़ों में लहसुन अधिक मात्रा में खाया जा सकता है लेकिन गर्मी में इसकी मात्रा सीमित करें।

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