बात यूनान की है। वहां एक बार बड़ी प्रदर्शनी लगी थी। उस प्रदर्शनी में अपोलो की बहुत ही सुंदर मूर्ति थी। अपोलो को यूनानी अपना भगवान मानते हैं। वहां राजा और रानी प्रदर्शनी देखने आए। उन्हें वह मूर्ति बड़ी अच्छी लगी। राजा ने पूछा, "यह किसने बनाई है?"
सब चुप। किसी को यह पता नहीं था कि इस मूर्ति को बनाने वाला कौन है। थोड़ी देर में ही सिपाही एक लड़की को पकड़ लाए। उन्होंने राजा से कहा, "इसे पता है कि यह मूर्ति किसने बनाई है, पर बताती नहीं।"
राजा ने उससे बार-बार पूछा, लेकिन उसने बताया नहीं। तब राजा ने गुस्से में कहा, "इसे जेल में डाल दो।" यह सुनते ही एक नौजवान सामने आया। राजा के पैरों में गिरकर बोला, "आप मेरी बहन को छोड़ दीजिए। कसूर इसका नहीं, मेरा है। मुझे दंड दीजिए। यह मूर्ति मैंने बनाई है।"
राजा ने पूछा, "तुम कौन हो?" उसने कहा, "मैं गुलाम हूं।" उसके इतना कहते ही लोग उत्तेजित हो उठे। एक गुलाम की इतनी हिमाकत कि भगवान की मूर्ति बनाए! वे उसे मारने दौड़े।
राजा बड़ा कलाप्रेमी था। उसने लोगों को रोका और बोला, "तुम लोग शांत हो जाओ। देखते नहीं, मूर्ति क्या कह रही है? वह कहती है कि भगवान के दरबार में सब बराबर हैं।"
राजा ने बड़े आदर से कलाकार को इनाम देकर विदा किया।
सब चुप। किसी को यह पता नहीं था कि इस मूर्ति को बनाने वाला कौन है। थोड़ी देर में ही सिपाही एक लड़की को पकड़ लाए। उन्होंने राजा से कहा, "इसे पता है कि यह मूर्ति किसने बनाई है, पर बताती नहीं।"
राजा ने उससे बार-बार पूछा, लेकिन उसने बताया नहीं। तब राजा ने गुस्से में कहा, "इसे जेल में डाल दो।" यह सुनते ही एक नौजवान सामने आया। राजा के पैरों में गिरकर बोला, "आप मेरी बहन को छोड़ दीजिए। कसूर इसका नहीं, मेरा है। मुझे दंड दीजिए। यह मूर्ति मैंने बनाई है।"
राजा ने पूछा, "तुम कौन हो?" उसने कहा, "मैं गुलाम हूं।" उसके इतना कहते ही लोग उत्तेजित हो उठे। एक गुलाम की इतनी हिमाकत कि भगवान की मूर्ति बनाए! वे उसे मारने दौड़े।
राजा बड़ा कलाप्रेमी था। उसने लोगों को रोका और बोला, "तुम लोग शांत हो जाओ। देखते नहीं, मूर्ति क्या कह रही है? वह कहती है कि भगवान के दरबार में सब बराबर हैं।"
राजा ने बड़े आदर से कलाकार को इनाम देकर विदा किया।
पर्दाफाश से साभार
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