एक ऐसा चमत्कारिक शिला जिसके चारों तरफ कच्चा धागा बांधकर यदि मन्नत माँगी जाए तो पुराना सा पुराना ज्वर ठीक हो जाता है| यह सुनकर आपको बड़ा अजीबो- गरीब लगा होगा| आप सोच रहे होंगे कि यदि ऐसा हो जाता तो डाक्टरों और हकीमों की क्या जरुरत| लेकिन यह सच है यह शिला ऊधमपुर जिले के टिकरी इलाके के दरयाबड में स्थित है| मान्यता है कि यह शिला एक दुल्हन की डोली है, जिसने अपने पति द्वारा एक ग्वाले से मजाक में लगाई शर्त को पूरा करने के लिए अपने प्राण त्यागकर डोली व दहेज सहित शिला रूप ले लिया था।
किंवदंती के मुताबिक, एक बारात इस इलाके से गुजर रही थी। दुल्हन को तेज प्यास लगने पर उसने पानी मांगा। पानी की बावली दूर पहाडी के नीचे थी। थके हुए दूल्हे व बारातियों में वहां से पानी लाने की हिम्मत न थी। इसी दौरान दूल्हे की नजर वहां बकरियां चरा रहे एक ग्वाले पर पडी, जो चोरी-छुपे दुल्हन को देख रहा था। उसने ग्वाले को बेवकूफ बनाकर पानी मंगवाने के लिए उसे अपने पास बुलाया और कहा कि यदि वह एक ही सांस में नीचे से पानी लेकर ऊपर आयेगा तो दुल्हन उसकी हो जाएगी।
सीधा-साधा ग्वाला उसकी बातों में आ गया। दूल्हे ने पानी लाने के लिए ग्वाले को दहेज के सामान में से एक गडवा निकाल कर दिया। तय शर्त के मुताबिक ग्वाला एक ही सांस में पानी लेकर ऊपर तो पहुंच गया, लेकिन पानी का गडवा दूल्हे को सौंपते ही उसके प्राण निकल गए।
दुल्हन को पानी पिलाने के बाद जब बारात चलने लगी, तो पति ने सारी बात अपनी पत्नी को बताई। जिसके मुताबिक अब वह ग्वाले की पत्नी बन चुकी है। इसके बाद दुल्हन ने अपने प्राण त्याग दिए। उसके सती होते ही दुल्हन, ग्वाला व डोली शिला में तबदील हो गए। साथ ही दुल्हन का सारा दहेज भी पत्थर में बदल गया। इस घटना के बाद से ही इस शिला का नाम लाडा लाडी दा टक्क नाम पड़ा| इस पत्थर के चहरों तरफ सफ़ेद सूत बांधा नज़र आता है| खार ठीक होने के लिए मांगी गई मन्नत की निशानी है।
ग्रामीणों के मुताबिक, यहाँ सती हुई दुल्हन का वास माना जाता है| ग्रामीणों का कहना है कि यहाँ हर मन्नत पूरी हो जाती है लेकिन ज्वर के मामले में यह जगह सबकी आजमाई हुई है| बताते हैं कि जिस व्यक्ति का लम्बे समय तक बुखार नहीं टूटता है वह कच्चा धागा अपने सिर से लेकर पैरों तक नाप लेता है उसके बाद उस सिले के चारों तरफ लपेटकर मन्नत मांगता है| धागा बंधने के अगले दो दिन में बुखार जड़ से ख़त्म हो जाता है|
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