आपने हमेशा देखा होगा कि किसी धार्मिक अनुष्ठानों में पत्नी को पति के बायीं ओर ही बिठाया जाता है क्या आपको पता है इसके पीछे क्या मान्यता है ? अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि पति के बायीं ओर ही क्यों बैठती है पत्नी|
पति-पत्नी का रिश्ता बड़ा ही कोमल और पवित्र होता है। यह विश्वास की डोर से बंधा होता है। कहते हैं पत्नी, पति का आधा अंग होती है। दोनों में कोई भेद नहीं होता। हमारे धर्म-ग्रथों में पत्नी को पति का आधा अंग बताया गया है। उसमें भी उसे वामांगी कहा जाता है अर्थात पति का बायां भाग। शरीर विज्ञान और ज्योतिष ने पुरुष के दाएं और महिलाओं के बाएं हिस्से को शुभ माना है।
इतना ही नहीं अगर हस्त ज्योतिष की बात करें तो भी महिलाओं का बाया हाथ ही देखा जाता है| मनुष्य के शरीर का बायां हिस्सा खास तौर पर मस्तिष्क रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है। दायां हिस्सा कर्म प्रधान होता है। मनुष्य का मस्तिक भी दो हिस्सों में बंटा होता है| बायाँ हिस्सा कला प्रधान और दायाँ हिस्सा कर्म प्रधान होता है| यही कारण है कि महिलाएं पुरुषों के बाईं ओर ही बैठती हैं|
स्त्री का स्वभाव सामान्यत: वात्सल्य का होता है और किसी भी कार्य में रचनात्मकता तभी आ सकती है जब उसमें स्नेह का भाव हो। दायीं ओर पुरुष होता है जो किसी शुभ कर्म या पूजा में कर्म के प्रति दृढ़ता के लिए होता है, बायीं ओर पत्नी होती है जो रचनात्मकता देती है, स्नेह लाती है।
पति-पत्नी का रिश्ता बड़ा ही कोमल और पवित्र होता है। यह विश्वास की डोर से बंधा होता है। कहते हैं पत्नी, पति का आधा अंग होती है। दोनों में कोई भेद नहीं होता। हमारे धर्म-ग्रथों में पत्नी को पति का आधा अंग बताया गया है। उसमें भी उसे वामांगी कहा जाता है अर्थात पति का बायां भाग। शरीर विज्ञान और ज्योतिष ने पुरुष के दाएं और महिलाओं के बाएं हिस्से को शुभ माना है।
इतना ही नहीं अगर हस्त ज्योतिष की बात करें तो भी महिलाओं का बाया हाथ ही देखा जाता है| मनुष्य के शरीर का बायां हिस्सा खास तौर पर मस्तिष्क रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है। दायां हिस्सा कर्म प्रधान होता है। मनुष्य का मस्तिक भी दो हिस्सों में बंटा होता है| बायाँ हिस्सा कला प्रधान और दायाँ हिस्सा कर्म प्रधान होता है| यही कारण है कि महिलाएं पुरुषों के बाईं ओर ही बैठती हैं|
स्त्री का स्वभाव सामान्यत: वात्सल्य का होता है और किसी भी कार्य में रचनात्मकता तभी आ सकती है जब उसमें स्नेह का भाव हो। दायीं ओर पुरुष होता है जो किसी शुभ कर्म या पूजा में कर्म के प्रति दृढ़ता के लिए होता है, बायीं ओर पत्नी होती है जो रचनात्मकता देती है, स्नेह लाती है।
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