धर्म शास्त्रो में भगवान शिव को जगत पिता बताया गया हैं, क्योकि भगवान शिव
सर्वव्यापी एवं पूर्ण ब्रह्म हैं। हिंदू संस्कृति में शिव को मनुष्य के
कल्याण का प्रतीक माना जाता हैं। शिव शब्द के उच्चारण या ध्यान मात्र से ही
मनुष्य को परम आनंद प्रदान करता हैं। भगवान शिव भारतीय संस्कृति को दर्शन
ज्ञान के द्वारा संजीवनी प्रदान करने वाले देव हैं। इसी कारण अनादि काल से
भारतीय धर्म साधना में निराकार रूप में होते हुवे भी शिवलिंग के रूप में
साकार मूर्ति की पूजा होती हैं।
शास्त्रों में शिव के अनेक कल्याणकारी रूप और नाम की महिमा बताई गई है। शिव ने विषपान किया तो नीलकंठ कहलाए, गंगा को सिर पर धारण किया तो गंगाधर पुकारे गए। भूतों के स्वामी होने से भूतभावन भी कहलाते हैं। इनका एक नाम और भी है वह है शशिधर। आपको बता दें कि भगवान शिव अपने सिर पर चन्द्र धारण किये हुए हैं इसलिए उन्हें शशिधर कहा जाता है|
क्या आपको पता है कि भगवान शिव अपने सिर पर चन्द्रमा क्यों धारण किया है? अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि भगवान शिव ने क्यों चन्द्रमा धारण किया है|
शिव पुराण में उल्लेख है कि जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया, तब 14 रत्नों के मंथन से प्रकट हुए। इस मंथन में सबसे पहले विष निकला। विष इतना भयंकर था कि इसका प्रभाव पूरी सृष्टि पर फैलता जा रहा था परंतु इसे रोक पाना किसी भी देवी-देवता या असुर के बस में नहीं था। इस समय सृष्टि को बचाने के उद्देश्य से शिव ने वह अति जहरीला विष पी लिया। इसके बाद शिवजी का शरीर विष प्रभाव से अत्यधिक गर्म होने लगा। शिवजी के शरीर को शीतलता मिले इस वजह से उन्होंने चंद्र को धारण किया।
शास्त्रों में शिव के अनेक कल्याणकारी रूप और नाम की महिमा बताई गई है। शिव ने विषपान किया तो नीलकंठ कहलाए, गंगा को सिर पर धारण किया तो गंगाधर पुकारे गए। भूतों के स्वामी होने से भूतभावन भी कहलाते हैं। इनका एक नाम और भी है वह है शशिधर। आपको बता दें कि भगवान शिव अपने सिर पर चन्द्र धारण किये हुए हैं इसलिए उन्हें शशिधर कहा जाता है|
क्या आपको पता है कि भगवान शिव अपने सिर पर चन्द्रमा क्यों धारण किया है? अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि भगवान शिव ने क्यों चन्द्रमा धारण किया है|
शिव पुराण में उल्लेख है कि जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया, तब 14 रत्नों के मंथन से प्रकट हुए। इस मंथन में सबसे पहले विष निकला। विष इतना भयंकर था कि इसका प्रभाव पूरी सृष्टि पर फैलता जा रहा था परंतु इसे रोक पाना किसी भी देवी-देवता या असुर के बस में नहीं था। इस समय सृष्टि को बचाने के उद्देश्य से शिव ने वह अति जहरीला विष पी लिया। इसके बाद शिवजी का शरीर विष प्रभाव से अत्यधिक गर्म होने लगा। शिवजी के शरीर को शीतलता मिले इस वजह से उन्होंने चंद्र को धारण किया।
ليست هناك تعليقات:
إرسال تعليق