शोधकर्ताओं ने एक दिलचस्प तथ्य खोजा कि पूर्ण चांद (पूर्णिमा) के दौरान मनुष्य के मस्तिष्क की गहरी नींद से जुड़ी गतिविधि में 30 प्रतिशत तक की गिरावट आ जाती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि पूर्णिमा के दौरान मनुष्यों को नींद आने में पांच मिनट अधिक समय लगता है तथा वे अपने सोने के कुल समय से 20 मिनट कम ही सो पाते हैं। एक वेबसाइट के अनुसार, स्विट्जरलैंड के बासेल विश्वविद्यालय के मनोरोग अस्पताल में क्रोनोबायोलॉजिस्ट और नींद पर शोध करने वाले क्रिस्टियन काओशेन के मन में इसकी आशंका तब उत्पन्न हुई जब उन्होंने देखा कि लोग ज्यादातर पूर्णिमा की रात नींद न आने की शिकायत करते हैं।
काओशेन ने अपने सहयोगियों के साथ कुछ समय पूर्व चार वर्ष तक किए गए शोध के आंकड़ों का पुन: अध्ययन किया। यह शोध पूर्ण रूप से स्वस्थ, खूब नींद लेने वाले और किसी तरह के मादक पदार्थ का सेवन न करने वाले लोगों पर किया गया था। शोध के आंकड़ों का दोबारा अध्ययन करने के बाद काओशेन और उनके सहयोगियों ने पाया, "चांद की गतिविधि का मानव की नींद से गहरा संबंध है, यहां तक कि जब मनुष्य चांद को न देखे तब भी और उसे चांद की अवस्था के बारे में न पता हो तब भी।"
लाइवसाइंस ने काओशेन के हवाले से कहा, "मैं अपने परिणामों को प्रकाशित करवाता इसमें मुझे चार वर्ष लग गए, क्योंकि खुद मुझे ही इस पर विश्वास नहीं हो रहा था।"काओशेन का यह शोधपत्र विज्ञान शोध की पत्रिका 'करेंट बायोलॉजी' में प्रकाशित हुआ। काओशेन तो यहां तक कहते हैं कि हो सकता है कि चांद में हमारे स्वभाव, जैसे हमारी संज्ञानात्मक प्रतिक्रियाएं या हमारे मूड को भी प्रभावित करने वाली शक्ति हो।
pardaphash
هناك 3 تعليقات:
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - इंतज़ार उसका मुझे पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
Jankari dene ke liye shukriya
behtreen jaankari....
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