उन्नाव जिले के डौंड़ियाखेड़ा गांव में राजा राव रामबक्श सिंह के किले में सोने खजाना होने का सपना देखने वाले संत शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में ही ‘वैराग्य’ उत्पनन हो गया था और वह अपना घर त्याग दिए थे।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जिस संत के सपने को सच मानकर किले में सोने का दबा खजाना खोज रही है, उनके बारे में डौंड़ियाखेड़ा गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि करीब 38 साल पहले इस गांव में रघुनंदन दास नाम के संत हुआ करते थे। समाधि लेते समय इस संत ने गांव वालों से कुछ दिन बाद ‘चमत्कारी बालक’ के आने की बात कही थी और 16 साल की उम्र का बालक संत शोभन सरकार के रूप में आ गया था।
गांव के बुजुर्ग मकसूदन बताते हैं कि 65 वर्षीय संत शोभन सरकार का जन्म कानपुर देहात के शुक्लन पुरवा गांव में हुआ था, इनके पिता का नाम कैलाशनाथ तिवारी था।’ वह बताते हैं कि ‘संत शोभन सरकार का असली नाम ‘परमहंस स्वामी विरक्तानंद’ है, लेकिन इस इलाके में उन्हें ‘शोभन सरकार’ के नाम से सोहरत मिली है।
इस बुजुर्ग का यह भी मानना है कि ‘संत त्रिकाल दर्शी हैं, उन्होंने सोने के खजाना का सपना देखा है तो सच साबित होगा।’ गांव के एक अन्य बुजुर्ग मोहन बाबा का कहना है कि ‘शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में ‘वैराग्य’ उत्पन्न हो गया था और उन्होंने अपना घर त्याग दिया था।’
यह बुजुर्ग इस संत की वेषभूषा के बारे में कहते हैं कि ‘किले से करीब दो किलोमीटर दूर बने अपने बक्सर आश्रम में ही ज्यादातर रहते हैं और तन में ‘लाल लंगोटी’ व सिर में ‘साफा’ बांधते हैं।’ इनका कहना है कि ‘संत रघुनंदन दास की भविष्यवाणी याद कर गांव वाले उनसे यहीं रुकने का आग्रह किया था, तब वह गंगा किनारे आश्रम बनाकर ठहर गए।’
डौंड़ियाखेड़ा से रामलाल जयन की रिपोर्ट
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