कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में प्रचार के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उसी के अंदाज में जवाब देने की रणनीति बनाई है। इस क्रम में उसने उमा भारती के मुकाबले साधना भारती को मैदान में उतारा है। इन दिनों साधना भारती पूरे राज्य में उमा भारती की तर्ज पर प्रचार में जुटी हुई हैं।
भाजपा ने राज्य में उमा भारती को स्टार प्रचारक के तौर पर कई सभाओं की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके जवाब में कांग्रेस ने साधना भारती को मैदान में उतारा है।
साध्वी उमा भारती गेरुआ वस्त्र पहनती हैं तो साधना भारती पीतांबर धारण करती हैं। दोनों अपने अंदाज में एक-दूसरे दल पर हमले बोल रही हैं। उमा राज्य सरकार की खूबी और केंद्र की नाकामी गिना रही हैं तो साधना राज्य सरकार की विफलताओं व केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं का ब्यौरा दे रही हैं।
उल्लेखनीय है कि उमा और साधना दोनों ही लोधी समाज से आती हैं। उमा भारती धार्मिक प्रवचन के साथ ही राजनीति में लम्बे अरसे से सक्रिय हैं, तो कांग्रेस ने बाल कथावाचक से चर्चा में आईं साधना को राजनीति में उतारा है। साधना पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रचार करने आई थीं।
साधना ने बताया कि पार्टी के निर्देश पर उन्होंने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। साधना ने अपने अभियान की शुरुआत उमा भारती के बुंदेलखंड क्षेत्र से की है। उन्होंने गुरुवार को छतरपुर जिले में तीन सभाएं की। इन सभाओं में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे।
साधना ने बताया कि कांग्रेस ने उन्हें 23 नवंबर तक राज्य में रहकर चुनाव प्रचार करने को कहा है। वह शनिवार को गुना जिले में प्रचार पर जा रही हैं। साधना का कहना है कि भाजपा वह दल है, जिसके लिए किसी वर्ग की कोई अहमियत नहीं हैं। उसे न तो महिलाओं के सम्मान की चिंता है और न ही समाज में सद्भाव बनाने की।
साधना ने कहा कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, यह सभी वर्गो को साथ लेकर चलती है और इस दल का नेतृत्व जिस गांधी परिवार के पास है, उसे प्रधानमंत्री पद का कोई लालच नहीं है।
साधना का कहना है कि एक ओर कांग्रेस है तो दूसरी ओर भाजपा, बसपा व सपा हैं, जिनका धर्म निरपेक्षता में कोई भरोसा नहीं हैं। वे अपने स्वार्थो की पूर्ति के लिए किसी हद तक जाकर सांप्रदायिकता का जहर घोल सकते हैं।
साधना भारती ने आरोप लगाया कि भाजपा ने मध्य प्रदेश का बुरा हाल कर रखा है। यहां भ्रष्टाचार चरम पर है, भाजपा नेता प्रदेश लूटने में लगे हैं। उन्हें जनता के दुख-दर्द का ख्याल नहीं है। राज्य में भाजपा सड़क, बिजली और पानी केमुद्दे पर सत्ता में आई थी, मगर उसने इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया।
उमा भारती की तर्ज पर साधना भारती को प्रचार में उतारे जाने के सवाल पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर ने कहा कि उमा भारती और साधना भारती का कोई जोड़ नहीं है। साधना, उमा का कितना विकल्प बन पाएंगी, यह कहना कठिन है। लेकिन राजनीतिक दल ऐसे प्रयोग चुनाव के दौरान भीड़ जुटाने के लिए करते रहते हैं, और साधना भी इसका हिस्सा हैं।
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