मप्र में जीतेंगे सब तो हारेगा कौन!


खेल का मैच हो या चुनाव इसमें एक जीतता है तो दूसरा हारता है, मगर मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद दोनों प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता अपनी जीत के दावों के बीच हार की चर्चा तक करने को तैयार नहीं हैं। अब सवाल यही उठ रहा है कि अगर सब जीत जाएंगे तो हारेगा कौन? मतदान सोमवार 25 नवंबर को हो चुका है और नतीजे आठ दिसंबर को आएंगे।
राज्य के विधानसभा चुनाव रोचक रहे हैं और मुकाबला भी भाजपा तथा कांग्रेस के बीच कांटे का रहा है। इस चुनाव में कुछ इलाके जिनमें बुंदेलखंड, विंध्य व ग्वालियर-चंबल ऐसे हैं जहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है तो महाकौशल में यही स्थिति गोंडवाना गणतंत्र पार्टी व जनता दल यूनाइटेड के गठबंधन की रही है।

चुनाव से पहले की तैयारियों की समीक्षा करें तो साफ नजर आता है कि शुरुआत में भाजपा संगठन व अन्य मामलों में कांग्रेस से कहीं आगे थी, यही कारण है कि भाजपा की हैट्रिक की संभावनाएं भरपूर थी। मगर वक्त गुजरने के साथ कांग्रेस ने अपनी स्थिति सुधारी और गुटबाजी को दिखावटी ही सही खत्म होने का प्रदर्शन किया। यह बात अलग है कि यह एकता ज्यादा दिन नहीं चली। टिकट वितरण को लेकर भी कांग्रेस में मारामारी कम नहीं हुई तो भाजपा में भी लगभग यही आलम रहा।

चुनाव प्रचार में भाजपा और कांगेस ने अपनी भरपूर ताकत झोंकी। दोनों दलों के स्टार प्रचारकों के अलावा बंद कमरे में रणनीति बनाने वाले भी किसी मामले में पीछे नहीं रहे। दोनों ने ही मतदाताओं को लुभाने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दिया। जो चुनाव के दौरान एक दूसरे पर जवाबी हमले में लगे थे तो अब वे अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बीत 10 वर्षो में भाजपा ने राज्य की तस्वीर बदलने का काम किया। हर वर्ग के लिए योजनाएं बनाई है। वे इस क्रम को आगे बढ़ाना चाहते हैं, वे उम्मीद करते हैं कि जनता का साथ और समर्थन उन्हें मिलेगा।

वहीं कांग्रेस के नेता और केद्रीय मंत्री शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने कहा है कि राज्य का किसान, नौजवान, आमआदमी परेशान है और भ्रष्टाचार ने उसका बुराहाल कर रखा है। जनता इस भ्रष्ट सरकार से मुक्ति चाहती है। यही कारण है कि राज्य की जनता बदलाव चाहती है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीद है कि राज्य की जनता एक बार फिर भाजपा को सरकार बनाने का अवसर देगी। जनता के सामने वह सब कुछ है जो भाजपा करना चाहती है, वहीं कांग्रेस के पास करने को कुछ नहीं है, लिहाजा मतदाता कांग्रेस को क्यों वोट देगा।

इसके ठीक उलट केंद्रीय उर्जा राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं कि हर चुनाव चुनौतीपूर्ण होता है, यह चुनाव भी ऐसा ही है, यही कारण है कि कांग्रेस ने इस चुनाव को गंभीरता से लिया है। राज्य में बदलाव की लहर है और लोग भाजपा सरकार से परेशान हो चुके हैं। यही कारण है कि कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत होगी ओर सरकार बनेगी।

राज्य के पिछले चुनावों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा ने 173 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज कर कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया था। वहीं 2008 के चुनाव में भाजपा को जीत तो मिली मगर सीटें घटकर 143 रह गई। दूसरी ओर कांगेस ने सीटें बढ़ी थी। 2008 में कांग्रेस का आंकड़ा 71 तक पहुंच गया।

राज्य के 2013 के विधानसभा चुनाव पिछले दो चुनाव से अलग है। भाजपा के खिलाफ कई इलाकों में असंतोष है वहीं केंद्र सरकार के कामकाज से भी जनता खुश नहीं है। यही कारण है कि दोनों दलों में जीत की आस है, मगर हार मानने को कोई तैयार नहीं है। नेताओं को कौन बताए कि एक की हार तो होगी ही। 

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