विश्व एड्स दिवस पर विशेष: नशे की सुई लेने वालों को एचआईवी का ज्यादा खतरा

भारत में एचआईवी संक्रमण में कमी आई है, लेकिन एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इंजेक्शन के जरिए नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले लोग एचआईवी या एड्स से सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नेको) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की सामान्य जनसंख्या में एचआईवी का प्रसार 0.40 प्रतिशत है जबकि इंजेक्शन से नशे का सेवन करने वाले लोगों में इसका प्रसार 7.17 प्रतिशत है।

विशेषज्ञ इसका दोष मादक पदार्थ उपयोगकर्ताओं का गरीबी की हालत में गुजर-बसर करना और नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज (एनडीपीएस) अधिनियम को देते हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) तृतीय के तहत चलाई जा रही परियोजना 'हृदय' के कार्यक्रम अधिकारी फ्रांसिस जोसेफ ने बताया, "जो लोग इंजेक्शन के जरिए नशा करते हैं वे सामाजिक, चिकित्सकीय और कानूनी स्तर पर बड़े पैमाने पर उत्पीड़न का सामना करते हैं। यह स्थिति उन्हें एचाआईवी/एड्स की रोकथाम वाली सेवाओं का लाभ उठाने से वंचित कर देती है।" 

भारत के कई हिस्सों में इसके नुकसान को कम करने वाले कार्यक्रमों में बाधा के लिए उन्होंने एनडीपीएस अधिनियम को भी दोष दिया। उन्होंने कहा, "कानून में कुछ बदलावों की जरूरत है। विशेष रूप से जहां तक नशा करने वालों का संबंध है वहां इसे नरम होने की जरूरत है।" एक वरिष्ठ नेको अधिकारी के मुताबिक, एनडीपीएस अधिनियम अपने आप में कठोर है लेकिन इसमें नशा करने वालों से अलग तरह से व्यवहार करने का प्रावधान है लेकिन ये प्रावधान पुलिस के लिए नहीं है।

जोसेफ ने बताया कि यह तथ्य है कि भारत में अधिकतर नशा करने वाले गरीबी की पृष्ठभूमि से आते हैं और नासमझी के कारण अपनी सुई और सीरिंज साझा करते हैं जो एचआईवी संक्रमण फैलाते हैं। नेको के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में युवा आबादी के बीच एचआईवी संक्रमण में अनुमानित 57 प्रतिशत वार्षिक की कमी आई है। 2011 में एचआईवी संक्रमित लोगों की अनुमातित संख्या 20.8 लाख थी।
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