भारत 2013 में 90 करोड़ टेलीफोन कनेक्शन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार बना रहा और एक साल पहले के उहापोह से बाहर निकल गया, लेकिन अगली पीढ़ी की सेवा को अपनाने की दिशा में कुछ अधिक प्रगति नहीं हुई।
राष्ट्रीय दूरसंचार नीति (एनटीपी) 2012 के जारी होने से सरकार को हालांकि आगे की दिशा मिल गई, लेकिन 2008 में स्पेक्ट्रम बिक्री से संबंधित मामलों के कारण फैसला लेने की प्रक्रिया कुंठित रही। सरकार ने हालांकि अधिग्रहण और विलय नीति जारी करने और इस क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश को अनुमति देने जैसे कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने आईएएनएस से कहा, "2013 की शुरुआत एनटीपी 2012 जारी करने से हुई, जिससे क्षेत्र में स्थिरता कायम हो सकती है।" उधर दूरसंचार परामर्श कंपनी कॉम फर्स्ट के निदेशक महेश उप्पल ने हालांकि कहा, "एनटीपी 2012 लागू करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसका तत्काल प्रभाव अधिक नहीं होगा।"
उप्पल ने कहा, "2जी और 3जी पर मौजूदा विवाद का अधिक संबंध नीति से नहीं है, बल्कि प्रक्रिया से है।" क्षेत्र के कारोबारी हालांकि नई अधिग्रहण और विलय नीति से उत्साहित हैं। उप्पल का मानना है कि इससे मध्यम आकार की कंपनियों को फायदा मिलेगा और बड़ी कंपनियों को अधिक विकल्प मिलेंगे।
गार्टनर के प्रमुख शोध विश्लेषक ऋषि तेजपाल ने कहा, "अधिग्रहण और विलय नीति का गहरा प्रभाव होगा। एक बार बाजार में स्थिरता आ जाए, तो यह अपना असर दिखाने लगेगा। स्पष्टता का माहौल बने तो कुछ और विदेशी कंपनियां निवेश कर सकती हैं।"
100 फीसदी विदेशी निवेश से हालांकि विश्लेषकों को अधिक उम्मीद नहीं है। उप्पल ने कहा, "वोडाफोन के अलावा कम ही कंपनियां अधिक उत्सुक हैं। वोडाफोन अपनी हिस्सेदारी 64.38 फीसदी से बढ़ाना चाहती है। इस क्षेत्र के लिए निवेश एक प्राथमिकता है, लेकिन विदेशी निवेश नहीं।"
केपीएमजी के साझेदार जयदीप घोष ने कहा, "कंपनियों ने ग्राहकों की गुणवत्ता पर ध्यान देना शुरू कर दिया है और मोटा डीलर कमिशन तथा प्रमोशनल मिनट देना छोड़ दिया है। 2008 के बाद पहली बार कॉल दर बढ़ी है।"
उन्होंने कहा कि डाटा ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए कंपनियों ने 3जी किराया 75-80 फीसदी तक घटाते हुए 2जी के समकक्ष कर दिया है। ग्राहकों के मोर्चे पर 2013 में देश में विकास जारी रहा। 2012 के दिसंबर के आखिर में मोबाइल ग्राहकों की संख्या 86.472 करोड़ थी और बुनियादी तार वाले टेलीफोन कनेक्शन की संख्या 3.079 करोड़ थी। इस तरह तार रहित और तार वाले कुल टेलीफोन कनेक्शन की संख्या 89.551 करोड़ थी।
इस साल अक्टूबर के आखिर तक मोबाइल ग्राहकों की संख्या बढ़कर 87.548 करोड़, तार वाले बुनियादी टेलीफोन कनेक्शन की संख्या घटकर 2.908 करोड़ हो गई और तार युक्त तथा तार रहित सभी तरह के टेलीफोन कनेक्शन की कुल संख्या बढ़कर 90.456 करोड़ हो गई।
समग्र टेलीफोन घनत्व जहां पिछले साल के आखिर में 73.01 थी, वह अक्टूबर आखिर में बढ़कर 73.32 हो गई। विश्लेषकों के मुताबिक तरंगों की नीलामी में अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं हो पाई। उनके मुताबिक अत्यधिक ऊंचे रिजर्व मूल्य के कारण मार्च में तरंगों की नीलामी से कोई लाभ नहीं मिला।
अब सभी की निगाहें अगले वर्ष 23 जनवरी से शुरू होने वाली स्पेक्ट्रम की अगले दौर की नीलामी पर टिकी हुई है। सरकार के मुताबिक उसने इस वर्ष रिजर्व मूल्य पहले से कम रखा है और इस नीलामी से करीब 65 करोड़ डॉलर का राजस्व हासिल होगा।
2013 संक्षेप में :
- राष्ट्रीय दूरसंचार नीति-2012 जारी
- दूरसंचार क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी हिस्सेदारी को अनुमति
- वोडाफोन ने भारतीय साझेदार की पूरी हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई
- अधिग्रहण और विलय नीति मंजूर
- टेलीकॉम टॉवर कारोबार को अधोसंरचना का दर्जा
- प्रौद्योगिकी के संदर्भ में एकीकृत दूरसंचार लाइसेंस को मंजूरी
- कुल टेलीफोन कनेक्शन अक्टूबर अंत तक 90.456 करोड़।
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