फ़िल्म समीक्षा: धूम-3

निर्माता : आदित्य चोपडा
निर्देशक : विजय कृष्ण आचार्य 
कलाकार : आमिर खान, कैटरीना कैफ, अभिषेक बच्चन, उदय चोप़डा, जैकी श्रॉफ 

आज बॉक्स ऑफिस पर धूम मची है। जी हाँ, यशराज बैनर तले निर्मित फिल्म "धूम-3" आज रिलीज हो गयी। धूम-3 एक हिंदी एक्शन थ्रीलर फिल्म हैं। इस फिल्म आमिर का लीक से हटकर अवतार देखने को मिलेगा। फिल्म को देशभर के सिनेमाघरों में जबरदस्त ओपनिंग मिली। हालांकि फिल्म समीक्षकों के पैमाने पर खरी नहीं उतर सकी। ज्यादातर समीक्षकों ने फिल्म को अच्छी रेटिंग नहीं दी है। फ़िल्म में आमिर निगेटिव किरदार में हैं। उनके स्टंट को देखने के लिए दर्शक काफी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। इस फ़िल्म का इंतज़ार अभिषेक बच्चन को भी था ये फ़िल्म उनके करियर के डूबती नैया को पार लगा सकती है। यह पहला मौका है जब है कोई हिंदी फिल्म आईमैक्स सिनेमाघर में रिलीज हुई है। देश में करीब पांच आईमैक्स सिनेमाघर हैं, ये सिनेमाघर केवल मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु शहरों में ही हैं। इसके चलते इन थियेटरों में धूम 3 की टिकट दरें सामान्य से अधिक है। 

धूम सीरीज कि तीसरी फिल्म "धूम-3" की पूरी कहानी साहिर (आमिर खान) के इर्द-गिर्द घूमती है। साहिर यानी आमिर जो अपने पिता (जैकी श्रॉफ) के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश करता है और उनसे बहुत सी ट्रिक्स सीखता है। आमिर की पिता जैकी श्रॉफ इस फिल्म के सर्कस को चलाते है। बैंक का लोन इतना ज़्यादा हो चुका है कि सर्कस को नीलाम करने की नौबत आ जाती है। जब जादूगर इक़बाल का आख़िरी शानदार करतब भी उसके सर्कस को बचा नहीं पाता तो वो आत्महत्या कर लेता है। लेकिन इसी बीच एक सर्कस प्रोग्राम के दौरान उनके पिता यानी जैकी श्रॉफ की मौत हो जाती है। अब आमिर खान जिदंगी का एक ही मकसद होता अपनी पिता की मौत का बदला लेना। इस प्लान में जिमनास्टिक आलिया यानी (कैटरीना कैफ) जो इस फिल्म की लीड हीरोइन है वह आमिर की सहायता करती है। आमिर सर्कस में ठीक उसी तरह काम करता है जिस तरह उनके पिता करते है। आमिर पिता की मौत का बदला लेने के लिए सर्कस मालिक के यहां से लूट करके फरार हो जाता है। क्योंकि उसे शक था कि उसके पिता की मौत में सर्कस मालिक का हाथ था। कहानी में आमिर कभी पकडे नहीं जाते इस कहानी का यही और ट्वीस्ट है । जय दीक्षित (अभिषेक बच्चन) और अली अकबर (उदय चोपडा) की एंट्री होती है। दोनों का मकसद किसी भी तरह आमिर को पकडा था। लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं। ये दोनों साहिर को पकडने के लिए जाल बिछाते है। आलिया यानी कैटरीना कैफ साहिर के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है। 

आमिर ने साहिर के रोल बखूबी निभाया और अपनी अदाकारी का जलवा दिखाया है। अपने दूसरे रोल में आमिर शुरुआत में ओवर एक्टिंग करते नज़र आते हैं, लेकिन बाद के सीन्स में वो फिल्म को पूरी तरह संभाल लेते हैं। नेगेटिव किरदार में भी आमिर खूब जमे हैं। वहीं कैटरीना कैफ यानी कि आलिया ने अपने अभिनय और स्टैंट से खूब प्रभावित किया। वहीं उदय चोपडा और अभिषेक वहीं अपने पुराने पुलिस वाले रोल में हैं। फ़िल्म का निर्देशन कमाल का है। लेखक से निर्देशक बने कृष्ण आचार्य ने अपनी भरपूर कोशिश की है जो दिखती भी है। इस फ़िल्म का संगीत पहले से ही धूम मचा चूका है। अगर आपक आमिर को पहली बार निगेटिव किरदार और कैट के स्टंट देखना चाहतें हैं तो आपको ये फ़िल्म जरुर देखनी चाहिए।

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