कभी रेस में अपनी जांबाजी दिखाने वाले घोड़े आज जिंदगी के लिए मौत से लड़ रहे
हैं। कुछ तो इस ज़िंदगी और मौत की लड़ाई में हार भी चुके हैं| यही घोड़े कल
तक अपनी पीट पर घुड़सवारों को बैठाकर आंधी तूफ़ान की तरह दौड़ लगाते थे लेकिन
आज वे भूख के कारण इतने कमजोर हो गए हैं एक पल के लिए भी खड़ा नहीं रहा जाता
चक्कर खाकर गिर जाते हैं। फिलहाल देश में पशुओं के अधिकारों के लिए लड़ने
वाले समूह ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले स्थित प्रजनन केंद्र से 49
घोड़ों को बदहाल हालत में छुड़ाया है|
बताते हैं कि फ्रेंडिकोज द्वारा संचालित चिकित्सा केंद्र में घोड़ों का इलाज चल रहा है। इनमें से चार की हालत गंभीर है। इन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है। बाकी घोड़ों की हालत भी ठीक नहीं है। सभी इतने कमजोर हो चुके हैं कि गश खाकर गिर जाते हैं। इनके इलाज में संगठन से जुड़े 25 लोग दिन रात लगे हुए हैं। विशेष ध्यान देने के लिए रॉयल रेसिंग क्लब के विशेषज्ञ डा.प्रभू को बुलाया गया है। इनके आने के बाद से इलाज में तेजी आई है लेकिन स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हो रहा है। हालाँकि घोड़ों को बचाने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है ताकि अन्य घोड़ों को बचाया जा सके|
यदि सूत्रों की माने तो इस स्टड फार्म में घोड़े 25 दिनों से भूखे थे| जिसकी जानकारी जानवरों की रक्षा के क्षेत्र में कार्यरत संगठन फ्रेंडिकोज को किसी तरह से मिली। संगठन के कई कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे तो वहाँ की हालत देखकर हताश रह गए| देखा कि कई घोड़े भूख के कारण मर चुके थे जबकि कई ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे थे| कार्यकर्ता जिंदगी व मौत से जूझ रहे 49 घोड़ों को लेकर दस ट्रक से आए। इनमें से पांच की हालत काफी गंभीर थी जिसकी मौत संगठन के चिकित्सा केंद्र में हो गई। एक छोटा बच्चा था वह भी इस बीच गुजर गया।
इस घटना को लेकर फ्रेंडिकोज की संचालिका गीता सेशमणि कहती हैं कि स्टड फार्म में घोड़ों की ऐसी हालत हो सकती है, ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था। यही वजह थी कि अलीगढ़ स्थित फार्म के घोड़ों की हालत देखकर मन व्यथित हो गया। रेस में भाग लेने वाले घोड़ों की शरीर की हड्डियां दिख रही थीं। 15-20 घोड़े सामने ही जमीन पर गिरे दिखे जो खत्म हो चुके थे। जो घोड़े खड़े वह चक्कर खाकर गिर रहे थे। ऐसा क्यों हुआ, क्यों घोड़ों को भूखे छोड़ दिया गया, आदि जानकारी हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।
फिलहाल इस फॉर्म का मालिक अभी फरार है और वहां मौजूद चार कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें पिछले एक वर्ष से वेतन नहीं मिला है| कर्मचारियों ने बताया कि दूसरे सारे कर्मचारी छोड़कर चले गए हैं और इस फॉर्म का इस्तेमाल रेस के घोड़ों के प्रजनन के लिए होता है| उन्होंने कहा कि यहां अधिकांश घोड़े अच्छी नस्ल के थे| फॉर्म में मौजूद कर्मचारियों ने राहत दल को बताया कि इन जानवरों को पिछले कई महीनों से ऐसी ही हालत में छोड़ा हुआ है| कर्मचारियों ने कहा कि शुरुआत में घोड़े घास-फूस खाकर गुजारा करते थे और इसके बाद उन्होंने अपना मल ही खाना शुरू कर दिया लेकिन पिछले कुछ सप्ताह से उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है|
बताते हैं कि फ्रेंडिकोज द्वारा संचालित चिकित्सा केंद्र में घोड़ों का इलाज चल रहा है। इनमें से चार की हालत गंभीर है। इन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है। बाकी घोड़ों की हालत भी ठीक नहीं है। सभी इतने कमजोर हो चुके हैं कि गश खाकर गिर जाते हैं। इनके इलाज में संगठन से जुड़े 25 लोग दिन रात लगे हुए हैं। विशेष ध्यान देने के लिए रॉयल रेसिंग क्लब के विशेषज्ञ डा.प्रभू को बुलाया गया है। इनके आने के बाद से इलाज में तेजी आई है लेकिन स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हो रहा है। हालाँकि घोड़ों को बचाने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है ताकि अन्य घोड़ों को बचाया जा सके|
यदि सूत्रों की माने तो इस स्टड फार्म में घोड़े 25 दिनों से भूखे थे| जिसकी जानकारी जानवरों की रक्षा के क्षेत्र में कार्यरत संगठन फ्रेंडिकोज को किसी तरह से मिली। संगठन के कई कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे तो वहाँ की हालत देखकर हताश रह गए| देखा कि कई घोड़े भूख के कारण मर चुके थे जबकि कई ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे थे| कार्यकर्ता जिंदगी व मौत से जूझ रहे 49 घोड़ों को लेकर दस ट्रक से आए। इनमें से पांच की हालत काफी गंभीर थी जिसकी मौत संगठन के चिकित्सा केंद्र में हो गई। एक छोटा बच्चा था वह भी इस बीच गुजर गया।
इस घटना को लेकर फ्रेंडिकोज की संचालिका गीता सेशमणि कहती हैं कि स्टड फार्म में घोड़ों की ऐसी हालत हो सकती है, ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था। यही वजह थी कि अलीगढ़ स्थित फार्म के घोड़ों की हालत देखकर मन व्यथित हो गया। रेस में भाग लेने वाले घोड़ों की शरीर की हड्डियां दिख रही थीं। 15-20 घोड़े सामने ही जमीन पर गिरे दिखे जो खत्म हो चुके थे। जो घोड़े खड़े वह चक्कर खाकर गिर रहे थे। ऐसा क्यों हुआ, क्यों घोड़ों को भूखे छोड़ दिया गया, आदि जानकारी हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।
फिलहाल इस फॉर्म का मालिक अभी फरार है और वहां मौजूद चार कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें पिछले एक वर्ष से वेतन नहीं मिला है| कर्मचारियों ने बताया कि दूसरे सारे कर्मचारी छोड़कर चले गए हैं और इस फॉर्म का इस्तेमाल रेस के घोड़ों के प्रजनन के लिए होता है| उन्होंने कहा कि यहां अधिकांश घोड़े अच्छी नस्ल के थे| फॉर्म में मौजूद कर्मचारियों ने राहत दल को बताया कि इन जानवरों को पिछले कई महीनों से ऐसी ही हालत में छोड़ा हुआ है| कर्मचारियों ने कहा कि शुरुआत में घोड़े घास-फूस खाकर गुजारा करते थे और इसके बाद उन्होंने अपना मल ही खाना शुरू कर दिया लेकिन पिछले कुछ सप्ताह से उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है|
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