मकर संक्रान्ति हिन्दुओं के प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है| पौष मास
में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर इस पर्व को मनाया जाता
है| इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है और
दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं|
मकर संक्रान्ति का आध्यात्मिक रूप से भी विशेष महत्व है| क्या आपको पता है की इस दिन लोग खिचड़ी क्यों खाते हैं अगर नहीं तो हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार बताते हैं कि मकर संक्राति के मौके पर नये चावल की खिचड़ी बनाकर सूर्य देव एवं कुल देवता को प्रसाद स्वरूप भेट करने की परंपरा है। लोग इस दिन एक दूसरे के घर खिचड़ी भेजते हैं और सुख शांति की कामना करते हैं। इस प्रथा के पीछे एक कारण यह है कि भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि का आधार सूर्य देव को माना गया है। इसलिए सूर्य का आभार प्रकट करने के लिए नये धान से पकवान एवं खिचड़ी बनाकर सूर्य देवता को भोग लगाते हैं।
खिचड़ी तो आप लोग हर दिन बनाकर खाते हैं लेकिन मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का स्वाद अनुपम होता है। मकर संक्राति की खिचड़ी नये चावल, उड़द की दाल, मटर, गोभी, अदरक, पालक एवं अन्य तरह की सब्जियों को मिलाकर तैयार की जाती है। इस खिचड़ी में आस्था का स्वाद भी मिला होता है जो अन्य दिनों की खिचड़ी में नहीं होता है। आपको पता है इस तरह सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाने की परम्परा की शुरूआत करने वाले बाबा गोरखनाथ थे। ऐसी मान्यता है कि बाबा गोरखनाथ भगवान शिव के अंश हैं। इसलिए इनके द्वारा शुरू की गयी परम्परा लोग श्रद्धापूर्वक निभाते चले आ रहे हैं।
मकर संक्रान्ति का आध्यात्मिक रूप से भी विशेष महत्व है| क्या आपको पता है की इस दिन लोग खिचड़ी क्यों खाते हैं अगर नहीं तो हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार बताते हैं कि मकर संक्राति के मौके पर नये चावल की खिचड़ी बनाकर सूर्य देव एवं कुल देवता को प्रसाद स्वरूप भेट करने की परंपरा है। लोग इस दिन एक दूसरे के घर खिचड़ी भेजते हैं और सुख शांति की कामना करते हैं। इस प्रथा के पीछे एक कारण यह है कि भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि का आधार सूर्य देव को माना गया है। इसलिए सूर्य का आभार प्रकट करने के लिए नये धान से पकवान एवं खिचड़ी बनाकर सूर्य देवता को भोग लगाते हैं।
खिचड़ी तो आप लोग हर दिन बनाकर खाते हैं लेकिन मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का स्वाद अनुपम होता है। मकर संक्राति की खिचड़ी नये चावल, उड़द की दाल, मटर, गोभी, अदरक, पालक एवं अन्य तरह की सब्जियों को मिलाकर तैयार की जाती है। इस खिचड़ी में आस्था का स्वाद भी मिला होता है जो अन्य दिनों की खिचड़ी में नहीं होता है। आपको पता है इस तरह सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाने की परम्परा की शुरूआत करने वाले बाबा गोरखनाथ थे। ऐसी मान्यता है कि बाबा गोरखनाथ भगवान शिव के अंश हैं। इसलिए इनके द्वारा शुरू की गयी परम्परा लोग श्रद्धापूर्वक निभाते चले आ रहे हैं।
www.pardaphash.com
ليست هناك تعليقات:
إرسال تعليق