गुणों की खान है नीम

नीम स्वाद में जितनी कड़वी होती है गुणों में उतनी ही मीठी होती है| नीम का वृक्ष आसपास की हवा को तो साफ करता ही है, इसके पत्ते से लेकर टहनियां तक अपनी अलग-अलग खूबियों के कारण औषधि के रूप में खूब लोकप्रिय हैं। आयुर्वेद में नीम की बड़ी महिमा बताई गई है। इस वृक्ष के ढेरों औषधीय गुण हैं। पौराणिक काल से ही नीम का उपयोग कई बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। आज भी बहुत सी ऐसी दवाइयां हैं जिनमें नीम के पत्तों का रस, नीम के पेड़ के दूसरों हिस्सों का इस्तेमाल होता है। नीम के पेड़ की छांव की तो बात ही कुछ और है क्योंकि यह उन वृक्षों में शुमार होता है जो सबसे ज्यादा वातावरण में ऑक्सीजन प्रदान करता है।

नीम के यूं तो ढेरों लाभ है। नीम की पत्तियों का लेप हर प्रकार के चर्म रोग को दूर करता है। नीम की पत्तियों को पीस कर उसे चेहरे पर लेप करने से फुंसियां और मुहांसे मिट जाते हैं। नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर तथा ठंडा करके उस पानी से मुंह धोने से मुहांसे दूर होते हैं। नीम का दातून करने से दांत चमकदार और मसूढ़े स्वस्थ होते हैं। नीम की पत्तियों का रस पीने से खून साफ होता है होता है और चेहरे की कांति बढ़ती है। दो भाग नीम की पत्तियों का रस और एक भाग शहद मिलाकर पीने से पीलिया रोग में काफी फायदा होता है। नीम की सूखी पत्तियों को जलाने से उत्पन्न धुएँ से मच्छर भाग जाते हैं।

नीम की पत्तियों को बारीक पीसकर इनका रस निकालकर एक गिलास हफ्ते में दो दिन पीने से पेट की बीमारियां नहीं होंगी। नीम के हरे पत्ते एवं काली मिर्च को लगभग दस दिनों तक फांकने से जुकाम व कफ दूर हो जाता है। दमा के रोगियों के लिए भी नीम बहुत लाभकारी होता है। नीम के पेड़ के तने से निकलने वाले रस को पीने से दमा ठीक हो जाता है। नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे का सौन्दर्य बढ़ता है।

नीम कीड़ों को मारता है। इसलिए इसकी पत्तों को कपड़ों व अनाज में रखा जाता है। नीम की 10 पत्ते रोज खाने से रक्तदोष खत्म हो जाता है। नीम के पंचांग, जड़, छाल, टहनियां, फूल पत्ते और निंबोली बेहद उपयोगी हैं। इसलिए पुराणों में इसे अमृत के समान माना गया है। नीम आंख, कान, गला और चेहरे के लिए उपयोगी है। आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।

दस्त हो रहे हों तो नीम का काढा बनाकर लें। (नीम के किसी भी प्रयोग को करने से पहले चिकित्सक परामर्श अवश्य लें। नीम के पत्ते को पीसकर अगर दाईं आंख में सूजन है तो बाएं पैर के अंगूठे पर लेप लगाएं। सूजन अगर बनाईं आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें। आंखों की लाली और सूजन ठीक हो जाती है। कान में दर्द या फोड़ा फुंसी हो गई हो तो नीम या निंबोली को पीसकर उसका रस कानों में टपकाए।

अगर कान से पीप आ रहा है तो नीम के तेल में शहद मिलाकर कान साफ करें, पीप आना बंद हो जाएगा। सर्दी जुकाम हो गया हो तो नीम की पत्तियां शहद मिलाकर चाटें। खराश तुरंत ठीक हो जाएगी।ह्रदय रोगों में भी नीम लाभदायक है। ह्रदय रोगी नीम के तेल का सेवन करें तो काफी फायदा होगा।

अगर आप अक्सर संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं तो नीम की कोंपलों को एक माह तक चबाना चाहिए। इस तु में पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नये आते हैं, जो हल्के लाल रंग के होते हैं। यही कोंपल कहलाते हैं। इनकी दो-तीन पत्तियां ले लें और धोकर चबा जाएं। अधिक ज्यादा कड़बी महसूस करें तो अगले दिन से थोड़ी अजवाइन के साथ चबाएं। इससे पूरे साल संक्रमण की बीमारियों से सुरक्षित रहेंगे। इतना ही नहीं, इससे आपके ऊपर जहरीले कीड़े, सांप, बिच्छू के काटने पर भी उतना असर नहीं होगा।

هناك 3 تعليقات:

Kailash Sharma يقول...

बहुत उपयोगी जानकारी...

HARSHVARDHAN يقول...

आपकी इस प्रस्तुति को आज की कड़ियाँ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Vineet Verma يقول...

भाई मैं आपका ब्लॉग देखता हूँ प्रतिदिन