'क्वीन' एक लड़की के अधूरे सपनों को पूरा करने की दास्तान

प्रमुख कलाकार: कंगना रनौत, राजकुमार राव और लिजा हेडन।
निर्देशक: विकास बहल।
संगीतकार: अमित त्रिवेदी।

अभिनेत्री कंगना रनौत की फ़िल्म क्वीन शुक्रवार को रिलीज हो गई। इस फ़िल्म के द्वारा कंगना ने साबित कर दिया कि वो इस दौर की सबसे बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक हैं। वो किसी भी तरह की भूमिका को बखूबी निभा सकतीं हैं। फ़िल्म में कंगना रानौत का किरदार किसी का भी दिल जीत सकता है। बेशक कंगना की पिछली फिल्म रज्जो बॉक्स आफिस पर कहीं टिक ना पाई हो लेकिन इस रज्जो के किरदार को कंगना ने पर्दे पर पूरी ईमानदारी के साथ जीवंत किया। इस फ़िल्म को क्रिटिक्स ने भी काफी सराहा और कंगना की काफी तारीफ की। ये फ़िल्म कंगना की सारी फिल्मों से हट कर साबित होगी। 

'क्वीन' कहानी है दिल्ली के राजौरी गार्डन की रानी (कंगना रानौत) की एक बिंदास लड़की है। जिसके जीने का अंदाज काफी निराला है। रानी की शादी विजय (राजकुमार राव) से होने वाली है। रानी तमाम सपनों से हटकर अब अपने शादी के सपने देखने लगती है। उसका सपना होता है कि वो फ्रांस जा कर अपना हनीमून मनाये और इसके लिए उसने फ़्रांस के एम्सटर्डम में हनीमून के पैकेज की बुकिंग भी करा ली है। लेकिन विजय शादी से दो दिन पहले रानी को मिलने के लिए बुलाता है और उसे बताता है कि वो उससे शादी नहीं कर सकता। ये सुनकर एक पल को रानी सुन्न पड़ जाती है। उसके सारे सपने एक झटके में बिखर जातें हैं। फिर भी वो अपने आप को संभाल लेती है और अपने सपने पूरे करने के लिए वो अकेले ही हनीमून पर चली जाती है। इस फैसले में उसका परिवार भी उसका साथ देता है। वो फ़्रांस पहुँच जाती है। फ़्रांस पहुँच कर उसके तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है उसकी लाईफ काफी एडवेंचरस हो जाती है। रानी के सफ़र के कई सीन बड़े ही शानदार है। कहानी काफी हट के है। फ़िल्म देखते वक़्त ये नहीं सोचा जा सकता क्या सही ? क्या गलत? बस कंगना का किरदार असलियत के क़रीब लगता है और उसकी बेवफ़ूकी की हरकतों पर भी आपको उस किरदार से हमदर्दी होती है। इसके अलावा दादी का किरदार भी बहुत अच्छा है। 

रानी का किरदार निभा रही कंगना रानौत ने कमाल का अभिनय किया है। इस फ़िल्म में कंगना ने मिडल क्लास की लडकी का रोल निभाया है जो अपने किरदार से हमें यह सीख देती है कि कैसे किसी एक चले जाने से दूसरों के सपने नहीं टूटते, हमे सिखाती है की हम अपने सपनों को कैसे पूरा कर सकतें हैं। उनकी दोस्त के किरदार निभाने वाली लीज़ा हेडन भी पीछे नहीं रही हैं।राजकुमार राव का रोल बहुत ज़्यादा नहीं है मगर उन्होंने अच्छा अभिनय किया है। निर्देशक विकास बहाल ने फ़िल्म की कहानी को हकीकत का रूप देने की भरपूर कोशिश की है। एक महिला प्रधान फिल्म में पूरा मनोरंजन करते हुए बेहतरीन संदेश दे दिया है। फ़िल्म का संगीत भी ठीक-ठाक है।

कोई टिप्पणी नहीं: