भविष्य से जुड़े सभी प्रश्नों के सटीक उत्तर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्राप्त किए जा सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को ज्योतिष में महारत हासिल हो तो वह आने वाले कल में होने वाली घटनाओं की जानकारी दे सकता है। भविष्य जानने की कई विद्याएं प्रचलित हैं, इन्हीं में से एक विद्या है हस्तरेखा ज्योतिष। हाथों में दिखाई देने वाली रेखाएं और हमारे भविष्य का गहरा संबंध है। इन रेखाओं का अध्ययन किया जाए तो हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी जानकारी प्राप्त हो सकती है।
हाथ की बनावट द्वारा जातक के चरित्र व स्वभाव का अध्ययन करने में अंगूठे का वही स्थान है, जो मुखाकृति विज्ञान में नाक का है। अंगूठा केवल दिखाने के काम में नहीं आता, बल्कि वह जातक की इच्छाशक्ति को दर्शाता है। जातक के अंगूठे का अध्ययन चार बिंदुओं के अंतर्गत किया जा सकता है।
अंगूठे मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- लचकदार और दृढ़। लचकदार अंगूठा वह होता है जिसका ऊपरी भाग, अंगूठा कड़क करने पर पीछे की ओर मुड़ जाता है जबकि दृढ़ अंगूठे का ऊपरी भाग सीधा रहता है। लचकदार अंगूठे वाले जातक नरम स्वभाव के खुले दिल वाले होते हैं। वे किसी निर्णय पर टिके नहीं रह पाते। बार-बार निर्णय बदल देते हैं। वे अपरिचितों से आसानी से मित्रता कर लेते हैं। इसके विपरीत दृढ़ अंगूठे वाले जातक दृढ़ एवं स्थिर स्वभाव के होते हैं। वे तुरंत निर्णय नहीं लेते, बल्कि सोच-विचार कर निर्णय लेते हैं और उस पर अडिग रहते हैं। वे आसानी से मित्रता स्थापित नहीं करते।
हाथ को इस प्रकार फैलाने पर कि चारों अंगुलियां तो चिपकी रहें और अंगूठा उनसे अलग रहे, तब हमें अंगूठे और तर्जनी के मध्य कोण प्रतीत होता है। ऐसे जातक जिनकी तर्जनी अंगुली और अंगूठे के मध्य अधिक कोण बनता है, वे कोमल हृदय के, विद्याप्रेमी, कलाकार एवं कलाप्रेमी होते हैं। उनके मित्रों की संख्या अधिक और शत्रुओं की संख्या कम होती है। वे भाग्यवादी, शंकालु व धार्मिक होते हैं।
यदि समकोण बने तो समझ जाइए ऐसे जातक हठी होते हैं। उनमें प्रतिशोध की भावना भी अधिक रहती है। ये टूट सकते हैं, परंतु झुकते नहीं। वे मन में एक बार जो निश्चित कर लेते हैं उसे पूर्ण करके ही रहते हैं। वे स्वेच्छाचारी होते हैं| वहीँ यदि न्यून कोण बने तो समझ जाइए ऐसे अंगूठे वाले जातक निराशावादी और आलसी होते हैं। वे व्यसनों में रत और कर्ज में डूबे रहते हैं। वे धर्म-कर्म की अपेक्षा भूत-प्रेम में अधिक विश्वास करते हैं।
इसके अलावा आप अपना पोरुआ देखकर भी जान सकते हैं कि आपका स्वभाव कैसा है| अब आप पोरुआ कैसे जान पाएंगे तो आपको बता दें कि हथेली की ओर से अंगूठा तीन भागों में विभक्त रहता है जिन्हें पोरूआ कहा जाता है। प्रथम पोरूआ, जो नाखून से चिपका रहता है वह इच्छाशक्ति का सूचक है। द्वितीय पोरूआ तर्कशक्ति दर्शाता है एवं तीसरा पोरूआ प्रेमशक्ति प्रदर्शित करता है।
जिस जातक के अंगूठे का प्रथम पोरूआ, द्वितीय पौरूए से बड़ा होता है उसमें प्रबल इच्छाशक्ति होती है। वह तर्क की अपेक्षा इच्छा पर अधिक बल देता है। वे निर्णय लेने में हस्तक्षेप पसंद नहीं करते। जिस जातक के अंगूठे का द्वितीय पोरूआ बड़ा है और प्रथम अपेक्षाकृत छोटा होता है, उनमें तर्कशक्ति प्रबल होती है। वे प्रत्येक बात को तर्क से जांचते हैं। वे जब भी विजय पाते हैं, तर्क के बल पर ही पाते हैं।
जिस जातक के प्रथम व द्वितीय दोनों पौरूए बराबर होते हैं, वे सफल जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं। वे सभी कार्यों में सफल होते हैं। उनमें तर्कशक्ति और इच्छाशक्ति बराबर रहती है। अंगूठे का तृतीय भाग पोरूआ न होकर शुक्र का पर्वत ही होता है। यह प्रथम या द्वितीय पौरूए की अपेक्षा निश्चित ही बड़ा होता है।
यदि यह सुंदर व लालिमायुक्त हो, तब व्यक्ति प्रेम में बड़ा होता है। वे प्रेम में त्याग करने को तैयार रहते हैं। उनका वैवाहिक जीवन आनंददायक रहता है। यदि यह क्षेत्र दबा हुआ हो तो व्यक्ति निराशावादी होते हैं। उनके प्रेम में वासना व स्वार्थ छिपा रहता है। उनका वैवाहिक जीवन भी मधुर नहीं रहता।
SABHAR
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