होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। इस बार रंगो का यह त्यौहार 23 व 24 मार्च को पड़ रहा है|
आखिर क्यों मनाई जाती है होली-
रंगों से भरा रंगीला त्योहार, बच्चे, वृद्ध, जवान, स्त्री-पुरुष सभी के ह्रदय में जोश, उत्साह, खुशी का संचार करने वाला पर्व है। इसके एक दिन पहले वाले सायंकाल के बाद भद्ररहित लग्न में होलिका दहन किया जाता है। इस अवसर पर लकडियां, घास-फूस, गोबर के बुरकलों का बडा सा ढेर लगाकर पूजन करके उसमें आग लगाई जाती है। वैदिक काल में इस पर्व को नवात्रैष्टि यज्ञ कहा जाता था। उस समय खेत के अधपके अन्न को यज्ञ में दान करके प्रसाद लेने का विधान समाज में व्याप्त था। अन्न को होला कहते है, इसी से इसका नाम होलिकोत्सव पडा। वैसे होलिकोत्सव को मनाने के संबंध में अनेक मत प्रचलित है। कुछ लोग इसको अग्निदेव का पूजन मानते हैं, तो कुछ इसे नवसंम्बवत् को आरंभ तथा बंसतांमन का प्रतीक मानते हैं। इसी दिन प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था। अतः इसे मंवादितिथि भी कहते हैं।
एक कथा के अनुसार इस पर्व का संबंध प्रहलाद से है। हिरण्यकश्यपु ने प्रहलाद को मारने के लिए अनेक उपाय किए पर वह मारा नहीं। हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। इसलिए हिरण्यकश्यपु ने इस वरदान का लाभ उठाकर लकडियों के ढेर में आग लगवाई। फागुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक आठ दिन होलाष्टक मनाया जाता है । इसी के साथ होली उत्सव मनाने की शुरुआत होती है। होलिका दहन की तैयारी भी यहाँ से आरंभ हो जाती है। इस पर्व को नवसंवत्सर का आगमन तथा वसंतागम के उपलक्ष्य में किया हुआ यज्ञ भी माना जाता है। वैदिक काल में इस होली के पर्व को नवान्नेष्टि यज्ञ कहा जाता था। पुराणों के अनुसार ऐसी भी मान्यता है कि जब भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था, तभी से होली का प्रचलन हुआ।
सबसे ज्यादा प्रचलित हिरण्यकश्यप की कथा है, जिसमें वह अपने पुत्र प्रहलाद को जलाने के लिए बहनहोलिका को बुलाता है। जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठती हैं तो वह जल जाती है और भक्त प्रहलाद जीवित रह जाता है। तब से होली का यह त्योहार मनाया जाने लगा है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है। कहा जाता है कि फागुन पूर्णिमा – होली के दिन जो लोग चित्त को एकाग्र करके हिंडोले (झूला) में झूलते हुए भगवान विष्णु के दर्शन करते हैं, वे निश्चय ही वैकुंठ को जाते हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार नारदजी ने महाराज युधिष्ठिर से कहा था कि हे राजन! फागुन पूर्णिमा – होली के दिन सभी लोगों को अभयदान देना चाहिए, ताकि सारी प्रजा उल्लासपूर्वक हँसे और अट्टहास करते हुए यह होली का त्योहार मनाए। इस दिन अट्टहास करने, किलकारियाँ भरने तथा मंत्रोच्चारण से पापात्मा राक्षसों का नाश होता है।
होली – होलिका पूजन के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए :-
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः ।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ॥
होलिका दहन-
होली पूजन के पश्चात होलिका का दहन किया जाता है। यह दहन सदैव उस समय करना चाहिए जब भद्रा लग्न न हो। ऐसी मान्यता है कि भद्रा लग्न में होलिका दहन करने से अशुभ परिणाम आते हैं, देश में विद्रोह, अराजकता आदि का माहौल पैदा होता है। इसी प्रकार चतुर्दशी, प्रतिपदा अथवा दिन में भी होलिका दहन करने का विधान नहीं है। होलिका दहन के दौरान गेहूँ की बाल को इसमें सेंकना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन के समय बाली सेंककर घर में फैलाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। दूसरी ओर होलिया का यह त्योहार नई फसल के उल्लास में भी मनाया जाता है।
होलिका दहन के पश्चात उसकी जो राख निकलती है, जिसे होली – भस्म कहा जाता है, उसे शरीर पर लगाना चाहिए। होली की राख लगाते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए :-
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रम्हणा शंकरेण च ।
अतस्त्वं पाहि माँ देवी! भूति भूतिप्रदा भव ॥
ऐसा माना जाता है कि होली की जली हुई राख घर में समृद्धि लाती है। साथ ही ऐसा करने से घर में शांति और प्रेम का वातावरण निर्मित होता है।
दुनिया में होली के अनेकों रंग
रंगों का त्यौहार 'होली' का पर्व शुरु हो गया है| होलिका रुपी सामाजिक बुराई और आपसी द्वेष को जड़ से मिटाने का त्यौहार है 'होली'| यह त्यौहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में धूम-धाम से मनाया जाता है| ये जानकार आपको आश्चर्य होगा कि होली भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है| इस अवसर पर कई दिनों तक समारोह आयोजित किये जाते हैं और आधिकारिक रूप से होली के आगमन की सूचना दी जाती है|
पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में भारतीय परंपरा के अनुरूप होली मनाई जाती है| प्रवासी भारतीय दुनिया के जिन-जिन कोनों में जाकर बसे हैं वहां पर होली मनाने की परंपरा है| जिस तरह से भारत में कई प्रकार से होली मनाई जाती है ठीक वैसे ही दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अगल-अलग तरह से होली मनाने का प्रावधान है| कैरिबियाई देशों में लोग इस त्यौहार का बेसब्री से इन्तजार करते हैं|
19वीं सदी के आखिरी और 20वीं सदी की शुरुआत में भारतीय लोग कैरिबियाई देश गए थे| इस दौरान गुआना और सुरिनाम जैसे देशों में बड़ी संख्या में भारतीय जा बसे, जिससे वहां की मिट्टी से भी भारतीय त्यौहारों और रस्मों-रिवाजों की महक आने लगी और लोग धीरे-धीरे इसके रंग में रंगने लगे| वैसे होली को लेकर गुआना में एक अलग ही क्रेज है| गुआना के गांवों में इस अवसर पर विशेष तरह के समारोहों का आयोजन होता है| यहां पर संगीत, नाच-गाना और सांस्कृतिक उत्सवों के जरिए होली मनाई जाती है| यही नहीं अन्य देशों में भी वैसे ही होली मनाई जाती है जैसे कि भारत में|
इसके साथ ही इटली, फ्रांस और अमेरिका में भी होली की धूम होती है| इटली में लोग मूर्तियों का निर्माण करते हैं| इसके बाद इन मूर्तियों को रथ में रखकर जुलूस निकालते हैं| जब ये जुलूस मुख्य चौक पर पहुंचता है तो वहां रखी सूखी लकड़ियों को रथ में रखकर उसमे आग लगा दी जाती है| इस दौरान लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और नाच-गाना करते हैं|
इसी तरह फ्रांस में घास से बनी मूर्ति को लोग पूरे शहर में गाजे-बाजे के साथ घूमाते हैं| इसके बाद एक निश्चित स्थान पर पहुंचने पर वह भद्दे शब्द बोलते हुए मूर्ति में आग लगा देते हैं| ऐसा कहा जाता है कि यहां के लोग जिस मूर्ति में आग लगाते हैं वह बुराई की देवी होती है जिसे वह जड़ से खत्म करने के लिए आग के हवाले करते हैं| जर्मनी में भी होली का क्रेज किसी अन्य देश से कम नहीं है| यहां पर होली कुछ अलग तरीके से मनाई जाती है| लोग पेड़ों को काटकर उसके आस-पास घास का ढेर लगा देते हैं| इसके बाद उसमे आग लगाकर परिक्रमा करते हैं| लोग एक-दूसरे के कपड़ों में ठप्पे लगाने के साथ रंग खेलते हैं|
इस तरह होली का त्यौहार सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है| बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाली होली का त्यौहार हमारे संपूर्ण जीवन में रच बस गया है| इस पर्व पर रंग की तरंग में छाने वाली मस्ती वातावरण में आनंद भर देती है और दिल झूमकर इसके रंग में सराबोर हो जाता है|
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