एक ऐसा गांव जहां घरों में नहीं होते दरवाजे

आज जहां चोरी और लूट की वारदातों से सबक लेकर गांव-शहर सभी जगह लोग अपने घरों को सुरक्षित रखने के लिए तमाम प्रबंध करते हैं, वहीं इलाहाबाद में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते। उनका मानना है कि गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान काली मां उनके घरों की रक्षा करती हैं। 

इलाहाबाद जिले के सिंगीपुर गांव के सभी घरों ये समानता देखने को मिलती है कि उनमें दरवाजे नहीं हैं। कच्चे, पक्के और झोपड़े हर तरह के इस गांव तकरीबन 150 घर हैं। ग्रामीण सहजू लाल ने कहा, "ये बाकी लोगों को चौंकाने वाली हो सकती है, लेकिन हमारे लिए ये एक परंपरा बन चुकी है। हम दशकों से बिना दरवाजों के घरों में रह रहे हैं।"

इलाहाबाद शहर के करीब 40 किलोमीटर दूर सिंगीपुर गांव की आबादी करीब 500 है। गांव में निचले मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब तबके के लोग रहते हैं, जो फेरी लगाने, छोटी मोटी दुकानें चलाने और मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। गांव में दलितों, जनजातियों और पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है।

कोरांव थाना प्रभारी सुरेश कुमार सैनी ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कोई दूसरा इस तरह का गांव होगा, जहां लोग घरों में दरवाजे नहीं लगाते हों।" वह कहते हैं, "जब मुझे पहली बार इस गांव के बारे में पता चला तो मैं आश्चर्यचकित रह गया।" सैनी ने कहा कि उन्होंने गांव के किसी भी घर में पूर्ण रूप से लगे दरवाजे नहीं देखे। हां, कुछ घरों में ये देखा कि वे खस (घास) के पर्देनुमा चटाई लटकाए थे ताकि घर के अंदर का दृश्य बाहर से न दिखे।

उन्होंने कहा कि गांव में पिछले कई सालों से चोरी की कोई घटना नहीं हुई है। ग्रामीणों का विश्वास है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं और जो भी उनके घरों में चोरी का प्रयास करेगा, मां उसे दंड देंगी।ग्रामीण बड़े लाल निषाद बसंत लाल कहते हैं, "गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान मां काली पर हमें पूरा भरोसा है, इसीलिए हम अपने घरों की चिंता नहीं करते।" निषाद के मुताबिक उनके बुजुर्ग कहा कहते थे कि जिन लोगों ने इस गांव में चोरी की, उनकी या तो मौत हो गई या वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गए।

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هناك 3 تعليقات:

कालीपद "प्रसाद" يقول...

आस्ता और ईमानदारी का अच्छा उदहारण है !
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कविता रावत يقول...

सच में यह तो बड़े आश्चर्य की बात हैं ..... आज के समय में ऐसे गाँव को देखना बड़ा ही सुखद अहसास होता होगा ....शिर्डी से लगभग ७५ किलोमीटर शनि सिगनापुर में भी ऐसा ही नज़ारा देखने को मिलता हैं हालाँकि वहाँ अब के बने घरों में दरवाजे नज़र आ रहे थे ... लेकिन कुछ घरों को बिना दरवाजे के देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा था ...
बहुत बढ़िया जानकारी ...धन्यवाद ..
नववर्ष की शुभकामनायें!

Vineet Verma يقول...

आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें कविता जी