भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना

रक्षा बंधन हिन्दुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार है . श्रावण  मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्यौहार भाई बहन के प्यार क प्रतीक है. इस दिन सभी बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई की लम्बी उम्र की कामना करती हैं. भाई अपनी बहन को रक्षा करने का वचन देता है .
भाई बहन का यह पवन पर्व आज से ही नहीं बल्कि युगों-युगों से चलता चला आ रहा है. पुराणों में भी इस पर्व का व्याख्यान किया गया है . आपको बताते चलें कि महाभारत में पांडवों की पत्नी द्रोपदी भगवन श्री कृष्ण की तर्जनी से निकल रहे रक्त स्राव को देखकर उनकी उंगली पर अपनी साड़ी का एक कोना फाड़कर बांध दिया था. उस वक्त श्री कृष्ण ने द्रोपदी को रक्षा करने का वचन दिया था. वहीँ श्री कृष्ण ने जब दुर्योधन की भारी सभा में दुह्शासन साड़ी खीच कर उनको निह्वस्त्र किया जा रहा था तब भगवन ने रक्षा की थी. इसका एक और उदहारण आपको बताते चले कि जब देवता और दानवों के बीच युद्ध शुरू हुआ .देवताओं पर राक्षस भारी पड़ रहे थे तब इन्द्र की पत्नी ने उस वक्त अपने पति की कलाई पर रेशम का धागा बांध दिया और वह दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था. कहते हैं इन्द्र की जीत इसी धागे की मंत्र शक्ति  से हुई थी . पौराणिक युग के साथ साथ एतिहासिक युग में भी यह त्यौहार काफी प्रचलित था कहते हैं कि राजपूत जब युद्ध के लिए जाते थे तब महिलाएं उनके मस्तक पर कुमकुम का टीका लगाती थी और हाथ में रेशम का धागा बांधती थी . महिलाओं को यह विश्वास होता था कि उनके पति विजयी होकर लौटेंगे.
आपको यह भी बता दे कि मेवाड़ की महारानी कर्मवती के राज्य पर जब बहादुर शाह जफ़र द्वारा हमला की सूचना मिली तब रानी ने अपनी कमजोरी को देखते हुए मुग़ल शासक हुमायूँ को राखी भेजी. हुमायूँ ने राखी की लाज रख ली और उसने तुरंत सेना को तैयार कर बहादुर शाह पर आक्रमण कर दिया और रानी कर्मावती और उनके राज्य की रक्षा कर ली.
इस तरह से तमाम येसे प्रसंग हैं जो भ्रात्र स्नेह से जुड़े हुए हैं .      

ليست هناك تعليقات: