बर्फ की चादर में लिपटा रूमानी सोलंग

मनाली घाटी का सोलंग नाला ऐसा स्थल है जो सैलानियों, साहसिक पर्यटन के शौकीनों, को बार-बार यहां आने का न्योता देता दिखता है। साल के हर मौसम में सोलंग का अलग अलग रंग होता है। गर्मियों में यहाँ बिछी हरियाली मन को शांति देती है, सर्दियों में लगता है कि बर्फ के देश आ गए हों। सोलंग नाले के पास बसी है सोलंग घाटी। ये नाला ही ब्यास नदी का उद्गम स्त्रोत माना जाता है। नाले के ऊपर ब्यास कुंड स्थित है। गर्मियों में सोलंग में आकाश में उड़ने वाले साहसिक खेलों का आयोजन होता है, और सर्दियों में यहां की बर्फानी ढलानों पर फिसलता रोमांच देखने लायक है। सोलंग में कई राष्ट्रीय शीतकालीन खेल आयोजित हो चुके हैं। सोलंग की ढलानें स्कीइंग के लिए दुनिया की लाजवाब प्राकृतिक ढलानों में शुमार की जाती हैं।

सोलंग से प्रकृति का प्यार
मनाली से सोलंग की दूरी 3 किलोमीटर है। समुद्र तल से 2480 मीटर की उंचाई पर स्थित सोलंग में प्रकृति की छटा देखने लायक है। रई, तोच्च तथा खनोर के फरफराते पेड़ वातावरण में रूमानी संगीत घोलते प्रतीत होते हैं। इसकी पृष्ठभूमि में चांदी से चमकते पहाड़ हैं, जिनका सौंदर्य शाम की लालिमा में और भी निखर जाता है। मनाली से सोलंग आप टैक्सी, कार या दुपहिया वाहन द्वारा भी जा सकते है और सोलंग के रूमानी सौंदर्य को आत्मसात करके शाम को आप मनाली पहुंच सकते हैं। यहीं रुकना चाहें तो यहां रिजॉर्ट भी हैं। सर्दियों में यहां पर्वत श्रृंखलाएं बर्फ की सफेद चादर में लिपट जाती हैं तो यहां का द्रश्य ही बदल जाता है। जिधर नज़र दौड़ाएं, बर्फ ही बर्फ। जमीन पर बर्फ, दरख्तों पर बर्फ, नदी-नालों में तैरती बर्फ यही नहीं पहाड़ों से नागिन कि तरह लिपटी बर्फ अदभुत और शब्दों से परे होता है। सोलंग जब बर्फ से अपना श्रृंगार करता है तब इसका नैसर्गिक रूप देखते ही बनता है और इसी में बंध कर सैलानी यहां से वापस जाने का नाम नहीं लेते।

फूलों की मादक सुगंध

सोलंग में जब रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं तब मादकता चारो ओर बिखर जाती है। प्रकृति अपने कितने रूप बदल सकती है, यह हमें सोलंग आकर पता चलता है। मस्त हवा के झोंके, पंछियों का कलरव और दूर झरने का कोलाहल माहोल को जादुई बना देता है। यहाँ आकर ही पता चलता है की प्रकृति ने हमें कितने रंगों ने नवाजा है |
तो फिर किस बात का है इंतजार सोलंग में इस बार मनाईये अपनी छुट्टी |

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