हर किसी के घर में मंदिर होता है चाहे वह बड़ा हो या फिर छोटा, खैर छोटे बड़े से क्या लेना देना मंदिर तो मंदिर होता है भगवान मंदिर में नहीं आपके ह्रदय में वास करते हैं| आज हम आपको बताते हैं कि मंदिर में जो आप फुल पट्टी चढाते हैं तो उन्हें कब और किस समय मंदिर से बाहर करना चाहिए|
देवी-देवताओं पूजा के संबंध में कई महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करना सभी श्रद्धालुओं के लिए अनिवार्य माना गया है। विधिवत पूजन के साथ ही भक्त को देवी-देवताओं की कृपा तुरंत प्राप्त हो जाती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आपको बता दें कि घर में भगवान को फूल-फल आदि चढ़ाए जाते हैं, उसके बाद सामान्यत: भगवान को चढ़ाए गए फूल जब मुरझा जाए तो उन्हें उतारकर बहती नदी के प्रवाहित कर दिया जाता है जो कि अनुचित है। विद्वानों के अनुसार जल को दूषित करना पाप माना जाता है। ऐसे में इन हार-फूल को भगवान की प्रतिमा से उतारकर अपने माथे लगाना चाहिए, इसके बाद इन्हें किसी ऐसे स्थान पर डाल देना चाहिए जहां ये किसी के पैरों में आए और इन फूलों का अपमान न हो।
हार-फूल आदि को किसी पेड़ की जड़ों में डाला जा सकता है जिससे इनका उपयोग खाद के रूप हो जाए और उस पेड़ को लाभ प्राप्त हो। भगवान को अर्पित की गई सभी वस्तुएं पवित्र हो जाती हैं और किसी भी प्रकार इनका अपमान किया जाना, सीधे-सीधे भगवान का ही अनादर करने के समान है। प्रसाद आदि अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए, इसे अन्य भक्तों में वितरित कर देना चाहिए।
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E mail : vineet.pardaphash@gmail.com
देवी-देवताओं पूजा के संबंध में कई महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करना सभी श्रद्धालुओं के लिए अनिवार्य माना गया है। विधिवत पूजन के साथ ही भक्त को देवी-देवताओं की कृपा तुरंत प्राप्त हो जाती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आपको बता दें कि घर में भगवान को फूल-फल आदि चढ़ाए जाते हैं, उसके बाद सामान्यत: भगवान को चढ़ाए गए फूल जब मुरझा जाए तो उन्हें उतारकर बहती नदी के प्रवाहित कर दिया जाता है जो कि अनुचित है। विद्वानों के अनुसार जल को दूषित करना पाप माना जाता है। ऐसे में इन हार-फूल को भगवान की प्रतिमा से उतारकर अपने माथे लगाना चाहिए, इसके बाद इन्हें किसी ऐसे स्थान पर डाल देना चाहिए जहां ये किसी के पैरों में आए और इन फूलों का अपमान न हो।
हार-फूल आदि को किसी पेड़ की जड़ों में डाला जा सकता है जिससे इनका उपयोग खाद के रूप हो जाए और उस पेड़ को लाभ प्राप्त हो। भगवान को अर्पित की गई सभी वस्तुएं पवित्र हो जाती हैं और किसी भी प्रकार इनका अपमान किया जाना, सीधे-सीधे भगवान का ही अनादर करने के समान है। प्रसाद आदि अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए, इसे अन्य भक्तों में वितरित कर देना चाहिए।
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