मां, कितना मीठा, कितना अपना, कितना गहरा और कितना खूबसूरत शब्द है। समूची पृथ्वी पर बस यही एक पावन रिश्ता है जिसमें कोई कपट नहीं होता। कोई प्रदूषण नहीं होता। इस एक रिश्ते में निहित है छलछलाता ममता का सागर। शीतल और सुगंधित बयार का कोमल अहसास। इस रिश्ते की गुदगुदाती गोद में ऐसी अव्यक्त अनुभूति छुपी है जैसे हरी, ठंडी व कोमल दूब की बगिया में सोए हों। अब चाहे वह मनुष्य हो या फिर पंछी|
इस तस्वीर को देखकर आप कुछ चक्कर में जरूर पड़ गए होंगे कि आखिर यह माजरा क्या है। आपको बता दें कि इन बत्तख के बच्चों व मुर्गी का कोई तालमेल नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी हिल्डा नाम की यह मुर्गी इन बत्तख के बच्चों को पाल रही है।
दरअसल हुआ यूँ कि छह महीने पहले गलती से हिल्डा अंडों के गलत घोंसले पर बैठ गई थी जो उसका नहीं था। उस घोंसले में एक बत्तख ने 5 अंडे दे रखे थे जिसे हिल्डा गलती से एक माह तक सेती रही लेकिन जब अण्डों से बच्चे निकले तो वह हिल्डा के नहीं बल्कि बत्तख के थे| फिर भी हिल्डा ने इन बच्चों को अपना लिया है और इनकी अपनी तरफ से पूरा ख्याल रख रही है।
इस तस्वीर को देखकर आप कुछ चक्कर में जरूर पड़ गए होंगे कि आखिर यह माजरा क्या है। आपको बता दें कि इन बत्तख के बच्चों व मुर्गी का कोई तालमेल नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी हिल्डा नाम की यह मुर्गी इन बत्तख के बच्चों को पाल रही है।
दरअसल हुआ यूँ कि छह महीने पहले गलती से हिल्डा अंडों के गलत घोंसले पर बैठ गई थी जो उसका नहीं था। उस घोंसले में एक बत्तख ने 5 अंडे दे रखे थे जिसे हिल्डा गलती से एक माह तक सेती रही लेकिन जब अण्डों से बच्चे निकले तो वह हिल्डा के नहीं बल्कि बत्तख के थे| फिर भी हिल्डा ने इन बच्चों को अपना लिया है और इनकी अपनी तरफ से पूरा ख्याल रख रही है।
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