गंगा भारत वर्षे भातृरूपेण संस्थिता/नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः जो स्वयं में एक इतिहास हो, जो देश की परम्परा, समाज, धर्म, कला, संस्कृति की जीवन रेखा हो, जिसे पतित पावन नदी का गौरव प्राप्त हो, जिससे देश-विदेश के लोग प्यार करते हों, जो हमेशा से समृद्धि से जुड़ी हो, आशा-निराशा, हार-जीत से जुड़ी हो, जिसने भारत की अनेक में भी एक संस्कृति का भरण पोषण किया हो, जो वर्षों से देश की सभी नदियों का नेतृत्व करती हो, जिसे हम और हमारे पुरखे माँ का दर्जा देते रहे हों, जिसने हिमालय से निकल कर मैदानों को सजाया-संवारा, खलिहानों में ही नहीं जिसने घरों में भी हरियाली भर दी हो, हम उसी मुक्तिदायिनी गंगा मईया की बात कर रहे हैं। गंगा से जुड़ा पौराणिक प्रसंग और एतिहासिक प्रसंग के साथ ही हमने आप को इसके द्वारा सिचाई, गंगा और इसके आसपास जे जीव-जंतुओं व गंगा के प्रदुषण के बारे में विस्तृत जानकारी दी थी अब पढ़िए इस कड़ी का अंतिम भाग ........|
गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए हुए प्रयास
सभ्यता का उद्गम स्थल रही गंगा भारतीय सामाजिक और राजनीतिक जीवन के प्रदूषण का एक प्रतिबिंब बन गयी है। बिजनौर, गढ़मुक्तेश्वर, मुरादाबाद, कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी, मुरादाबाद, बलिया, सोरों, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बिठूर,मिर्जापुर में इस समय गंगा पराभव के निम्नतम चरण में है।इन सभी बड़े शहरों में गंगा इतनी मैली हो चुकी है की कोई उस ओर रुख ही नहीं करता| गंगा को निर्मल स्वरुप देने के लिए कई बार छोटे-छोटे जनांदोलन भी हुए, जिसे प्रदेश और केंद्र सरकार ने नजरअंदाज कर दिया।
बनारस में नदी की सफ़ाई के नाम पर लिया गया स्टीमर अधिकारियों के पर्यटन में इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि गंगा की मुख्य धारा में जैसे ही आप जायें तो नरकंकाल का सामना होना आम बात है। बिजनौर से लेकर बलिया और उसके बाद हुगली तक नदी की मुख्यधारा इतनी दूषित हो गयी है कि लगता है मानो कोई नाला बह रहा है।
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रख्यात योग गुरू बाबा रामदेव के नेतृत्व में गंगा रक्षा मंच, भारत जागृति मिशन के अंतर्गत गंगा रक्षा पंचायतों का आयोजन, पर्यावरणविद् जेडी अग्रवाल, सुंदरलाल बहुगुणा, चंडीप्रसाद भट्ट या उत्तराखंड के विभिन्न संगठनों द्वारा चलाए जा रहे नदी बचाओ अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया किया। इसके साथ ही वर्ष 2009 में नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी की स्थापना की गई। जिसे यह सुनिश्चित करने के लिए एक बहुक्षेत्रीय प्रोग्राम तैयार करने का कार्य सौंपा गया है कि वर्ष 2020 के बाद अपशिष्ट जल को गंगा में बहने से कैसे रोका जाए।
इसके साथ ही देश की सरकार गंगा की सफाई के लिए विश्व बैंक और जापान से सहयोग के तौर पर 1 अरब 500 करोड़ की व्यवस्था कर रही है| ये धनराशी जल्द मिल भी जाएगी लेकिन यहाँ ये भी देखना होगा की कही पहले के करोड़ों रुपयों की तरह ये पैसा भी यूं ही न बह जाये| इस गंगा को साफ़ करने के लिए सिर्फ सरकारी इच्छाशक्ति की ही ज़रूरत नहीं है बल्कि गंगा की पवित्रता फिर से वापस लाने के लिए जनसमूह की इच्छाशक्ति का होना भी आवश्यक है।
जब सरकार और जनता की मजबूत इच्छाशक्ति के कारण लंदन की घोर प्रदूषित टेम्स नदी साफ-सुथरी हो सकती है तब गंगा भी हो सकती है। सिर्फ राष्ट्रीय नदी घोषित कर देने से ही कुछ नहीं होगा ज़रूरत है एक मुहीम की क्योंकि पर्वतराज हिमालय से निकलकर हरिद्वार से मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करने वाली गंगा दक्षिण पूर्व दिशा में टेढ़ी-मेढ़़ी बहती हुई छोटी नदियों को अपने में जोडती हुई 2510 किमी की लंबी यात्रा कर खाड़ी में गंगासागर के समुद्र में जा मिलती है और सारे रास्ते अपनी दुर्दशा पर रोती है।
जब सरकार और जनता की मजबूत इच्छाशक्ति के कारण लंदन की घोर प्रदूषित टेम्स नदी साफ-सुथरी हो सकती है तब गंगा भी हो सकती है। सिर्फ राष्ट्रीय नदी घोषित कर देने से ही कुछ नहीं होगा ज़रूरत है एक मुहीम की क्योंकि पर्वतराज हिमालय से निकलकर हरिद्वार से मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करने वाली गंगा दक्षिण पूर्व दिशा में टेढ़ी-मेढ़़ी बहती हुई छोटी नदियों को अपने में जोडती हुई 2510 किमी की लंबी यात्रा कर खाड़ी में गंगासागर के समुद्र में जा मिलती है और सारे रास्ते अपनी दुर्दशा पर रोती है।
वो शहर जहाँ सबसे ज्यादा मैली है मोक्षदायिनी
जनसँख्या ----- शहर का नाम
1927029 हरिद्वार
3,682,194 वाराणसी
1887577 फरुक्खाबाद
1658005 कन्नौज
457295 कानपुर
1117094 इलाहबाद
1657140 मिर्जापुर
1885470 पटना
3032226 भागलपुर
7102430 मुर्शिदाबाद
5520389 हुगली
भगीरथ ने अपने प्रयासों से गंगा को पृथ्वी पर तो ला दिया लेकिन इसकी पवित्रता को बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की ही नहीं हम सब की भी है। यदि गंगा का अस्तित्व मिट गया तब उनका क्या होगा जो गंगा की बदौलत ही जी रहे हैं। जिनकी सुख-समृद्वि और अनवरत चलने वाली जीवन की धारा इसी पर टिकी है। गंगा का लुप्त होना एक सभ्यता के अंत होने जैसा होगा। इसलिए अभी संभल जाये वरना आने वाली पीढियां हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी|
गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए हुए प्रयास
सभ्यता का उद्गम स्थल रही गंगा भारतीय सामाजिक और राजनीतिक जीवन के प्रदूषण का एक प्रतिबिंब बन गयी है। बिजनौर, गढ़मुक्तेश्वर, मुरादाबाद, कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी, मुरादाबाद, बलिया, सोरों, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बिठूर,मिर्जापुर में इस समय गंगा पराभव के निम्नतम चरण में है।इन सभी बड़े शहरों में गंगा इतनी मैली हो चुकी है की कोई उस ओर रुख ही नहीं करता| गंगा को निर्मल स्वरुप देने के लिए कई बार छोटे-छोटे जनांदोलन भी हुए, जिसे प्रदेश और केंद्र सरकार ने नजरअंदाज कर दिया।
बनारस में नदी की सफ़ाई के नाम पर लिया गया स्टीमर अधिकारियों के पर्यटन में इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि गंगा की मुख्य धारा में जैसे ही आप जायें तो नरकंकाल का सामना होना आम बात है। बिजनौर से लेकर बलिया और उसके बाद हुगली तक नदी की मुख्यधारा इतनी दूषित हो गयी है कि लगता है मानो कोई नाला बह रहा है।
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रख्यात योग गुरू बाबा रामदेव के नेतृत्व में गंगा रक्षा मंच, भारत जागृति मिशन के अंतर्गत गंगा रक्षा पंचायतों का आयोजन, पर्यावरणविद् जेडी अग्रवाल, सुंदरलाल बहुगुणा, चंडीप्रसाद भट्ट या उत्तराखंड के विभिन्न संगठनों द्वारा चलाए जा रहे नदी बचाओ अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया किया। इसके साथ ही वर्ष 2009 में नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी की स्थापना की गई। जिसे यह सुनिश्चित करने के लिए एक बहुक्षेत्रीय प्रोग्राम तैयार करने का कार्य सौंपा गया है कि वर्ष 2020 के बाद अपशिष्ट जल को गंगा में बहने से कैसे रोका जाए।
इसके साथ ही देश की सरकार गंगा की सफाई के लिए विश्व बैंक और जापान से सहयोग के तौर पर 1 अरब 500 करोड़ की व्यवस्था कर रही है| ये धनराशी जल्द मिल भी जाएगी लेकिन यहाँ ये भी देखना होगा की कही पहले के करोड़ों रुपयों की तरह ये पैसा भी यूं ही न बह जाये| इस गंगा को साफ़ करने के लिए सिर्फ सरकारी इच्छाशक्ति की ही ज़रूरत नहीं है बल्कि गंगा की पवित्रता फिर से वापस लाने के लिए जनसमूह की इच्छाशक्ति का होना भी आवश्यक है।
जब सरकार और जनता की मजबूत इच्छाशक्ति के कारण लंदन की घोर प्रदूषित टेम्स नदी साफ-सुथरी हो सकती है तब गंगा भी हो सकती है। सिर्फ राष्ट्रीय नदी घोषित कर देने से ही कुछ नहीं होगा ज़रूरत है एक मुहीम की क्योंकि पर्वतराज हिमालय से निकलकर हरिद्वार से मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करने वाली गंगा दक्षिण पूर्व दिशा में टेढ़ी-मेढ़़ी बहती हुई छोटी नदियों को अपने में जोडती हुई 2510 किमी की लंबी यात्रा कर खाड़ी में गंगासागर के समुद्र में जा मिलती है और सारे रास्ते अपनी दुर्दशा पर रोती है।
जब सरकार और जनता की मजबूत इच्छाशक्ति के कारण लंदन की घोर प्रदूषित टेम्स नदी साफ-सुथरी हो सकती है तब गंगा भी हो सकती है। सिर्फ राष्ट्रीय नदी घोषित कर देने से ही कुछ नहीं होगा ज़रूरत है एक मुहीम की क्योंकि पर्वतराज हिमालय से निकलकर हरिद्वार से मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करने वाली गंगा दक्षिण पूर्व दिशा में टेढ़ी-मेढ़़ी बहती हुई छोटी नदियों को अपने में जोडती हुई 2510 किमी की लंबी यात्रा कर खाड़ी में गंगासागर के समुद्र में जा मिलती है और सारे रास्ते अपनी दुर्दशा पर रोती है।
वो शहर जहाँ सबसे ज्यादा मैली है मोक्षदायिनी
जनसँख्या ----- शहर का नाम
1927029 हरिद्वार
3,682,194 वाराणसी
1887577 फरुक्खाबाद
1658005 कन्नौज
457295 कानपुर
1117094 इलाहबाद
1657140 मिर्जापुर
1885470 पटना
3032226 भागलपुर
7102430 मुर्शिदाबाद
5520389 हुगली
भगीरथ ने अपने प्रयासों से गंगा को पृथ्वी पर तो ला दिया लेकिन इसकी पवित्रता को बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की ही नहीं हम सब की भी है। यदि गंगा का अस्तित्व मिट गया तब उनका क्या होगा जो गंगा की बदौलत ही जी रहे हैं। जिनकी सुख-समृद्वि और अनवरत चलने वाली जीवन की धारा इसी पर टिकी है। गंगा का लुप्त होना एक सभ्यता के अंत होने जैसा होगा। इसलिए अभी संभल जाये वरना आने वाली पीढियां हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी|
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