वीराने शहर की दास्तान




हमने किताबों में पढ़ी होगी कभी ऐसा वक़्त कि जब घरों के दरवाजों पर ताले नहीं लगाये जाते थे लोग बिना खौफ के रहते थे। ऐसा ही एक गांव राजस्थान के रेगिस्तान के बीच में बसा था। गांव का मुख्‍य-द्वार और गांव के घरों के बीच बहुत लंबा फ़ासला था। लेकिन ध्‍वनि-प्रणाली ऐसी थी कि मुख्‍य-द्वार से ही क़दमों की आवाज़ गांव तक पहुंच जाती थी।


गांव के तमाम घर झरोखों के ज़रिए आपस में जुड़े थे इसलिए एक सिरे वाले घर से दूसरे सिरे तक अपनी बात आसानी से पहुंचाई जा सकती थी। घरों के भीतर पानी के कुंड, ताक और सीढि़यां कमाल के हैं। कहते हैं कि इस कोण में घर बनाए गये थे कि हवाएं सीधे घर के भीतर होकर गुज़रती थीं। ये घर रेगिस्‍तान में भी वातानुकूलन का अहसास देते थे। 



लेकिन एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि पूरा गांव रातों रात वीरान हो गया। चरों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा पसर गया। आज इस गांव में कदम रखते ही खंडहरों की दीवारों से रौंगटे खड़े कर देने वाली आवाजे आने लगती हैं। लोगों का कहना है कि इस गांव पर रूहानी ताकतों का कब्जा है ये रूहें ऐसी भयावह आवाज करती हैं जैसे कह रही हो यहां से चले जाओ।



लोगों का मानना है कि इस गांव के भीतर लोगों के कदम जैसे-जैसे बढ़ते हैं यहां का तापमान लगातार कम होता जाता है यहां तक कि कई जगह यह तापमान माइनस में भी पहुंच जाता है। वीरान खंडहरों में पसरा अँधेरा और सन्नाटा जैसे चीखने लगतीं हैं। ऐसा लगता है मानो ये आवाजें हमें वहां से चले जाने का आदेश दे रही हों। लोग कहते हैं कि इस गांव में भूतों का बसेरा है। 



ये कहानी है राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधारा गांव की। कहा जाता है कि यह गांव पिछले दो सौ सालों से रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं। प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता। ऐसा कहा जाता है कि गांव का यह वीराना एक दीवान के पाप के कारण है, यह गांव आज तक नहीं बस पाया उसके पीछे पालीवाल ब्राह्मणों का श्राप है जो उन्होंने राजा के पाप करने पर दिया था। आज वीरान खंडहरों में तब्दील हो चुका गांव बारहवीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों की राजधानी हुआ करता था, जिसकी सम्रद्धि के चर्चे पूरे राजस्थान में थे। यहां की इमारतों की वास्तुकला मन को मोहने वाली हुआ करती थी, आज भी यहां के खंडहरों की नक्कासी देखकर उन पालीवाल ब्राह्मणों की सम्रद्धि का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। 



कहा जाता है कि पालीवाल ब्राह्मणों की यह सम्रद्धि जैसलमेर के दीवान सालिम सिंह को फूटी आंख ना भाई और उसने कुलधारा सहित आस पास के चौरासी गांवों पर भारी लाद दिए। पालीवाल ब्राह्मणों ने इसका खुलकर विरोध किया लेकिन दीवान का अन्याय यहीं ख़त्म नहीं हुआ, अय्यास सालिम सिंह की नज़र कुलधारा की एक बहुत ही खूबसूरत लड़की पर पड़ी और वह उसे अपने हरम में लाने के लिए कुलधारा पर जोर देने लगा, वो किस भी तरह बस उससे पा लेना चाहता था लेकिन पालीवाल ब्राह्मणों ने साफ़ इनकार कर दिया, पलिवाल किसी भी कीमत पर अपनी बेटी उस राक्षस के हाथों में नहीं सौपना चाहते थे। गुस्साए सालिम सिंह के अत्याचार बढ़ते गए।



दीवान से तंग आकर एक दिन पालीवाल ब्राह्मणों ने तय किया कि वे इस गांव को छोड़कर कहीं और चले जायेंगे और एक रात वे गांव छोड़कर चले गए और जाते- जाते श्राप दे गए कि अब यह गांव कभी नहीं बसेगा। उसी श्राप के कारण आज कुलधारा का यह हाल है। भूत प्रेतों पर रिसर्च करने वाली एक टीम ने बताया कि कुछ तो असामान्य है यहाँ| टीम के एक सदस्य ने बताया कि विजिट के दौरान रात में कई बार मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, जब मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था।



पेरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया कि हमारे पास एक डिवाइस है जिसका नाम गोस्ट बॉक्स है। इसके माध्यम से हम ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधारा में भी ऐसा ही किया जहां कुछ आवाजें आई तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए।

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