सुरम्य प्रकृति बेतला राष्ट्रीय उद्यान की पहचान


धरती अब तपने लगी है और गर्मी अभी से सताने लगी है तो क्यों न ऐसी जगह चला जाए जहां चलती ठंडी बयार के झकोरोंसे मन हर्षित हो उठे और वृक्षों की भरमार प्रकृति के अनोखे उपहार का एहसास कराए। आइए चलें बेतला राष्ट्रीय उद्यान जहां सालभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। बच्चों के मासूम मन यहां के वन्यजीवों को देख झूम उठता है और उनके अभिभावक प्राकृतिक छटा का लुत्फ उठाते नहीं थकते। 

यह राष्ट्रीय उद्यान झारखंड राज्य के पलामू प्रमंडल के पठारों पर है। प्रकृति में दिलचस्पी रखने वाले और अनुसंधान करने वालों के लिए यह स्थल उपयुक्त माना जाता है। यह क्षेत्र जैव विविधता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मुख्य रूप से साल वन, मिश्रित पर्णपाती वन एवं बांस इस क्षेत्र में उपलब्ध हैं। वर्ष 1974 में व्याघ्र परियोजना के लिए चयनित नौ उद्यानों में से एक, बेतला का भी चयन किया गया था। 1026 वर्ग किलोमीटर में फैले इस परियोजना के अलावा राष्ट्रीय उद्यान 226 वर्ग किलोमीटर भूमि में फैला हुआ है। 

परियोजना के अंतर्गत बाघ सहित अन्य बड़े-छोटे सभी वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण के अलावा उनके निवास (वन एवं वनस्पति संवर्धन) पर विशेष ध्यान दिया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान समय में यहां बाघ, सांभर, हिरण, बंदर, लंगूर, चीतल, लियोर्ड स्लोथ बीयर सहित कई वन्यजीव स्वच्छंद होकर विचरण करते हैं। साही, कोटरा, माउसडीयर, लंगूर, बंदर सहित कई वन्यप्राणी यहां बड़ी संख्या में हैं। यहां अब तक स्तनपायी की 47 प्रजातियों और पक्षियों की 174 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है। साथ ही 970 पौधों की प्रजातियों, घास की 17 प्रजातियों एवं 56 अन्य महत्वपूर्ण औषधीय पौधों की पहचान की गई है। 

परियोजना के निदेशक एस़ ई़ एच़ काजमी ने बताया कि यहां पर्यटकों का आना-जाना बराबर लगा रहता है। पर्यटकों को रहने के लिए यहां कई विश्रामागार हैं और उद्यान के अंदर घूमने के लिए विभाग द्वारा वाहन दिया जाता है। यह सुविधा पाने के लिए पर्यटकों को एक निर्धारित राशि खर्च करनी पड़ती है। विभाग ने एक ट्री-हाउस का भी निर्माण करवाया है। वे कहते हैं कि इसके अलावा भी कई होटल और लॉज यहां हैं, जिसमें आधुनिक सुविधाएं हैं। 

बेतला राष्ट्रीय उद्यान आने वाले पर्यटक वर्ष 1857 की क्रांति में मुख्य भूमिका निभाने वाले चेरो राजाओं द्वारा बनवाए गए दो प्राचीन किलों (पलामू किला) को भी देखना नहीं भूलते। इस इलाके की सुंदरता को तीन नदियां- उत्तर कोयल, औरंगा व बूढ़ा नदी और बढ़ा देती हैं। प्राकृतिक छटा का आंनद लेने के लिए आसपास के क्षेत्रों में मिरचइया झरना, सुग्गा बांध, लोध जलप्रपात, मंडल बांध भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यों तो सालभर यहां पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, मगर यहां पर्यटकों की आमद नवंबर से मार्च के बीच बढ़ जाती है। झारखंड के लातेहार जिले में पड़ने वाला बेतला राष्ट्रीय उद्यान रांची-डालटनगंज मार्ग पर राजधानी रांची से 156 किलामीटर की दूरी पर है, जबकि डाल्टनगंज रेलवे स्टेशन से महज 25 किलोमीटर दूर है।

पर्दाफाश डॉट कॉम से साभार

कोई टिप्पणी नहीं: