जाने हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण और प्रारंभिक उपचार

दिल का दौरा वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति की धमनी में अवरोध आ जाता है और रक्त प्रवाह रुक जाता है। यदि रक्त प्रवाह को जल्दी से बहाल नहीं किया जाता तो ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के अभाव में दिल की माँसपेशियों को इस तरह नुकसान हो सकता है कि उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। इससे हार्ट भी फेल हो सकता है और रोगी की मृत्यु भी हो सकती है| 

ऐसी स्थिति में जब किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक होता है यानी दिल का दौरा पड़ता है, तो उसे बचाने के लिए आपके पास सिर्फ कुछ ही मिनट होते हैं। ऐसे में हार्ट-अटैक से संबंधित ‘फर्स्ट-एड’ की जानकारी हम सभी को होनी चाहिए। 

हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण-

रोगी को छाती के मध्य भाग में दवाब, बैचेनी, भयंकर दर्द, भारीपन और जकडन महसूस होती है। यह हालत कुछ समय रहकर समाप्त हो जाती है लेकिन कुछ समय बाद ये लक्षण फ़िर उपस्थित हो सकते हैं। इसके अलावा छाती के अलावा शरीर के अन्य भागों में भी बेचैनी महसूस होती है। भुजाओं ,कंधों, गर्दन, कमर और जबडे में भी दर्द और भारीपन महसूस होता है।

छाती में दर्द होने से पहिले रोगी को सांस में कठिनाई और घुटन के लक्षण हो सकते हैं। अचानक जोरदार पसीना होना, उल्टी होना और चक्कर आने के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। कभी-कभी बिना दर्द हुए दम घुटने जैसा महसूस होता है।

हार्ट अटैक में प्राथमिक उपचार-

यदि किसी को दिल का दौर (हार्ट अटैक) पड़ता है तो मरीज को चैन से लिटा दें मेडिकल सहायता मिलने से पहले ऐसे व्यक्ति को एस्पिरिन की टेबलेट चूसने को दें| एस्प्रीन चूसने से दिल के दौरे में मृत्यु दर 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है क्योंकि एस्पिरिन से खून पतला हो जाता है और खून का थक्का घुल जाने से खून अवरूद्ध रक्तवाहिका से गुजर जाता है। सबसे अच्छा तो यह है कि एस्पिरिन की आधी गोली को चूरा करके इसे जबान के नीचे रख लिया जाए ताकि ये जल्दी से खून में घुल जाए। वहीँ, जिन लोगों को पेट का अल्सर हो, और जिन्हें एस्पिरिन से एलर्जी हो, उन्हें एस्पिरिन नही दी जानी चाहिए|

जैसे ही पता चले कि मरीज को दिल का दौरा पड़ा है तत्काल उसकी छाती पर हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाएँ। एक दो बार पंपिंग एक्शन के बाद धड़कन फिर से बहाल हो जाती है। ऐसा तब करें जब मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो| 

वहां मौजूद लोगों को फौरन यथास्थिति बताकर एम्बुलेंस बुलवायें| अस्पतालों के आपात चिकित्सालयों को फोन करें। हो सके तो डाक्टरों को पहले ही सूचित करें कि आप एक दिल के मरीज को लेकर आ रहे हैं। 

यदि मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो उसे तत्काल कृत्रिम श्वास देने की व्यवस्था करें। मरीज का तकिया हटा दें और उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर उठा दें। इससे श्वास नलिका का अवरोध कम हो सकेगा। 

मरीज की नाक को दो उँगलियों से दबाकर रखें और मुँह से कृत्रिम साँस दें। नथुने दबाने से मुँह से दी जा रही साँस सीधे फेफड़ों तक जा सकेगी। लंबी साँस लेकर अपना मुँह मरीज के मुँह पर चिपका दें। मरीज के मुँह में धीमे-धीमे साँस छोड़ें। दो या तीन सेकंड में मरीज के फेफड़ों में हवा भर जाएगी। यह भी देख लें कि साँस देने पर मरीज की छाती ऊपर नीचे हो रही है या नहीं। कृत्रिम श्वास तब तक देते रहें जब तक अस्पताल से मदद नहीं पहुँच जाती। यदि मरीज अपने आप साँस लेने लगे तो कृत्रिम श्वास देना बंद कर दें।

कोई टिप्पणी नहीं: