नीड़ का निर्माण.......

बया पक्षी अथवा वीवर बर्ड यानि कि प्लोसियस फिलीपीनस कम से कम तकरीबन चिडिय़ा के आकार का तथा अधिक से अधिक 15 सैंटीमीटर तक के आकार का आकर्षक पक्षी है| यह पक्षी पंजाब, उत्तर प्रदेश व देश के अन्य भागों तथा विश्व के सभी देशों में पाया जाता है। बया पक्षी साधारणतया दिसबर से मार्च महीने तक 20 से 30 पक्षियों के झुंड में कालोनी बना कर प्रज्नन करते हैं। इनका ब्रीडिंग सीजन आम तौर पर मानसून के दौरान से ही शुरू हो जाता है क्योंकि बरसात के मौसम में विशेष प्रकार की ऊंची घास गिन्नी ग्रास बहुतात में होती है।

प्रजननकाल में नर इसके साथ लंबी संगीतमय ची-ई की सुखद ध्वनि भी जोड लेता है। बोलते ये साथ मिलकर है और घोंसला बुनते समय अथवा घोंसलों से चिपके हुए साथ में तेजी से पर फडफ़डाते जाते हैं ताकि उस हिस्से में अगर कोई मादा आई हो तो उनकी ओर आकर्षित हो। इस बया और अन्य बयों की घोंसलें बनाने की रीतियां अनोखी हैं। नर एक ही स्थान पर एक के बाद एक करके कई घोंसलें बनाते है और मादा जब वे अधूरे होते है तभी उन्हे ले लेती हैं। इसके बाद ही नर के लगभग एक साथ ही इतनी मादाएं तथा इतने ही परिवार भी होते हैं। लौकीनुमा घोंसला हवा में लटकता झूलता रहता है उसमें प्रवेश की एक लंबी नली सी होती है यह पुआल अथवा मोटे पत्तों वाली घास से खपच्चियां चीर चीर कर घना बुना होता है। वे बबूल या ऐसे ही अन्य पेडों तथा ताड क़े डंठलों से प्राय: पानी के ऊपर एक साथ लटकते होते हैं। तूंबी के अंदर अंडो के स्थान के पास गीली मिट्टी का पलस्तर भी किया होता है पर इसका प्रायोजन क्या है समझ मे नहीं आता। अंडे 2 से 4 तक बिल्कुल सफेद होते हैं।

बयों की काफी आम और लगभग बराबर ही पाई जाने वाली दो अन्य प्रजातियां भी है एक पट्टीदार बया और दूसरा है काले कंठ वाला बया। नरों के प्रजननकालीन परों के कारण इनकी पहचान कर लेना बडा आसान है। पट्टीदार बया की छाती भूरी सी होती है उसपर चटक काली लकीरें पडी होती हैं और खोपडी चमकती पीली होती है। काले कंठ वाले बया की खोपडी सुनहली ग़ला सफेद तथा निचला भाग भी सफेद होता है पर बीच में छाती पर एक चौडी पट्टी पडी होती है। ये दोनो पानी या दलदली भूमि में उगी घास या नरकुल के बीच, बिन बिन कर अपने घोंसले बनाते है।

ليست هناك تعليقات: