उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के एक गांव में एक ऐसी सांप की बांबी है, जहां परिक्रमा मात्र लगाने से ही जहरीले नाग का जहर तत्काल छूमंतर हो जाता है| नाग पंचमी को इस बांबी में ग्रामीण लोग पूजा-अर्चना कर इच्छाधारी नाग को बांबी में ही बसे रहने की आरजू-मिन्नत करते हैं.
बांदा जनपद की अतर्रा तहसील के नाहर पुरवा गांव के बीचों बीच करिश्माई सांप की यह बांबी बनी हुई है| मिट्टी के भारी टीले से बनी बांबी को गांव के ग्रामीण 'नाहर देवता' के नाम से पुकारते हैं| इस गांव के लोगों का कहना है कि वर्षों पहले इस बांबी में इच्छाधारी नाग-नागिन का जोड़ा रहा करता था| नहर देवता की वजह से ही इस गांव का नाम भी 'नहर पुरवा' पड़ा है|
यहां आज भी आस-पास के गांवों में अगर जहरीले सांप ने किसी को काटा तो उसके बालों में नाहर देवता के नाम की गांठ लगाकर नाहर बाबा के जयकारों के साथ परिक्रमा लगाने भर से वह ठीक हो जाता है| इस करिश्मे से प्रभावित होकर हर साल नाग पंचमी को नाग देवता की पूजा-अर्चना कर यहीं बसे रहने को राजी करते हैं|
बांदा जनपद की अतर्रा तहसील के नाहर पुरवा गांव के बीचों बीच करिश्माई सांप की यह बांबी बनी हुई है| मिट्टी के भारी टीले से बनी बांबी को गांव के ग्रामीण 'नाहर देवता' के नाम से पुकारते हैं| इस गांव के लोगों का कहना है कि वर्षों पहले इस बांबी में इच्छाधारी नाग-नागिन का जोड़ा रहा करता था| नहर देवता की वजह से ही इस गांव का नाम भी 'नहर पुरवा' पड़ा है|
यहां आज भी आस-पास के गांवों में अगर जहरीले सांप ने किसी को काटा तो उसके बालों में नाहर देवता के नाम की गांठ लगाकर नाहर बाबा के जयकारों के साथ परिक्रमा लगाने भर से वह ठीक हो जाता है| इस करिश्मे से प्रभावित होकर हर साल नाग पंचमी को नाग देवता की पूजा-अर्चना कर यहीं बसे रहने को राजी करते हैं|
इस गांव के बुजुर्ग हीरालाल लोधी ने बताया कि गांव बसने से पूर्व इस बांबी में एक इच्छाधारी नाग-नागिन का जोड़ा रहा करता था जो नाग पंचमी की आधी रात को मानव रूप धारण कर अठखेलियां किया करता था| उनके परिवार के एक बुजुर्ग को इस जोड़े ने सपने में यहां अपने बसनेर करने की जानकारी दी और बताया कि जहरीले सांप के डसे व्यक्ति द्वारा सात परिक्रमा लगाने से तुरंत जहर उतर जाएगा| तब से यही मान्यता चली आ रही है|
नाग पंचमी के दिन आस-पास के गांवों के लोग नाग देवता की विधि विधान से पूजा करते हैं और नाग देवता के यहीं बसे रहने की आरजू-मिन्नत करते हैं| उन्होंने बताया कि यहां न तो कोई दवा दी जाती है और न ही झाड़-फूंक ही होती है| सिर्फ पीड़ित के सात परिक्रमा लगाने मात्र से जहरीले नाग का जहर ठीक हो जाता है|
pardaphash
नाग पंचमी के दिन आस-पास के गांवों के लोग नाग देवता की विधि विधान से पूजा करते हैं और नाग देवता के यहीं बसे रहने की आरजू-मिन्नत करते हैं| उन्होंने बताया कि यहां न तो कोई दवा दी जाती है और न ही झाड़-फूंक ही होती है| सिर्फ पीड़ित के सात परिक्रमा लगाने मात्र से जहरीले नाग का जहर ठीक हो जाता है|
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