उप्र में नेताओं की चरण वंदना की परम्परा

उत्तर प्रदेश में आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल जैसे कुछ नौकरशाह अपनी ईमानदारी और कर्तव्य पालन के लिए उदाहरण पेश करते हैं तो कुछ नौकरशाह मंत्रियों की चापलूसी करने के लिए सरेआम उनके पैर छूकर नौकरशाही की गरिमा को ताक पर रख देते हैं। हालिया मामला इटावा जिले का है, जहां अपर पुलिस अधीक्षक ऋषिपाल सिंह और सिटी मजिस्ट्रेट शारदा प्रसाद यादव ने सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान स्थानीय विधायक एवं राज्य सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव के पैर छुए। 

मामले के तूल पकड़ने के बाद जब शिवपाल सिंह यादव से इस बाबत सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,"पैर छूना हमारी संस्कृति रही है। वैसे मैं तो सभी को यहां तक की पार्टी कार्यकर्ताओं को भी पैर छूने से मना करता हूं, लेकिन अगर कोई छू लेता है तो मैं क्या करूं।"

इससे पहले बीते साल भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अजय मोहन शर्मा द्वारा समाजवादी पार्टी के थिंक टैंक कहे जाने वाले सांसद रामगोपाल यादव के पैर छूने का फुटेज समाचार चैनलों पर प्रसारित होने के बाद अधिकारियों द्वारा नेताओं के पैर छूने के बढ़ते चलन पर खूब बहस हुई थी।

वरिष्ठ आईपीएस एवं राज्य के पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) राजकुमार विश्वकर्मा ने इस संबंध में कहा कि अफसर घर में मां-बाप का तो पैर छू सकते हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर किसी के पैर छूने का प्रावधान नहीं है। जानकारों का कहना है कि मंत्रियों की चापलूसी करके निजी स्वार्थ के लिए कुछ अफसर नौकरशाही की गरिमा को ताक पर रखकर पैर छूते हैं। इस तरह से वे संबंधित मंत्री या नेता के प्रति अपनी वफादारी साबित करते हैं, जो अफसरों के निर्धारित आचरण के खिलाफ है।

पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एस़ आऱ दारापुरी ने कहा कि इस तरह नेताओं की चरण वंदना करना 'कोड ऑफ कंडक्ट' के खिलाफ है। अगर ड्यूटी के दौरान किसी का अभिवादन करना है तो सैल्यूट ही एक निर्धारित अभिवादन का तरीका है। इस तरह के कृत्य करने वाले पर वैसे तो एक निर्धारित कार्रवाई के तहत दंड का प्रावधान है, लेकिन सत्ताधारी दल के नेता या मंत्री की चरण वंदना करने पर कार्रवाई की बात बेमानी हो जाती है।

दारापुरी के मुताबिक किसी अधिकारी द्वारा इस तरह निर्धारित आचरण के खिलाफ कृत्य करने पर उसकी कंट्रोलिंग अथारिटी द्वारा उसे कारण बताओ नोटिस दिया जाना चाहिए। जवाब संतोषजनक न पाए जाने पर दंड के लिए शासन से संस्तुति की जाए।

उन्होंने कहा कि शासन इस पर संबंधित अधिकारी को या तो लिखित चेतावनी या फिर उसकी चरित्र पंजिका में निंदा प्रविष्टि दर्ज करके दंड दे सकता है। उत्तर प्रदेश में अफसरों द्वारा गरिमा तो ताक पर रखकर चरण वंदना करना नई रवायत नहीं है। एक पुलिस उपाधीक्षक द्वारा पिछली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सरकार के शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री की जूती साफ करने का मामला सामने आया था। इस मामले ने मीडिया में आने के बाद खूब तूल पकड़ा था।

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