यह कहानी बाराबंकी के इलियासपुर (लेसवा) गाँव की है। इस गाँव में एक प्राईमरी स्कूल है। शिव अपने परिवार का इकलौता बेटा है। शिव अपने ही गाँव के स्कूल में पांचवी कक्षा का छात्र है। वह सीधा- साधा और मेहनती बालक है। यह दूसरे लड़कों की अपेक्षा पढ़ने में भी बहुत अच्छा है। इस स्कूल में इसका केवल एक ही मित्र है। वह है ऋतुराज। ऋतुराज भी पढ़ने में बहुत अच्छा है। कक्षा में हमेशा प्रथम स्थान लाता है। कक्षा में कुछ शरारती बच्चों का गैंग है। जो आय दिन दादागिरी दिखाते हैं। स्कूल के बाहर निकलते ही लड़को से झगड़ा करते हैं। शिव इन बच्चों से प्रभावित होकर उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाता है। ऋतुराज यह देख तुरन्त शिवा को समझाने की कोशिश करता है। और कहता है - शिवा यह तुम क्या कर रहे हो। यह लोग पढ़ने नही आते हैं। ये लोग रात को चोरी भी करते हैं। तुम इनके साथ रहना चाहते हो। लेकिन शिवा ने ऋतुराज की एक न सुनी और उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ा ही लिया। शिवा अब ऋतुराज से दूर रहने लगा। ये शरारती बच्चे स्कूल से निकलकर बाहर बैठकर घंटो सिगरेट पीते। एक दिन सभी ने शिवा से कहा कि लो शिवा तुम भी पियो अलग क्यों खडे हो हम अभी से पीना नहीं सिखेंगे तो कब सिखेंगे। षिवा उनके कहने पर ध्यान नहीं दिया और दूर खड़ा रहा। उसने सिगरेट नहीं पी।
एक दिन गाँव में रामलीला हो रही थी। उस दिन शिवा भी अपने दोस्तों के साथ रामलीला देखने गया। वहां इनके दोस्तों ने बैठने को लेकर एक लड़के से झगड़ा कर लिया। वह लड़का तुरन्त अपने दोस्तों को बुलाकर लाया जो कि शिवा की उम्र से काफी बड़े थे। इन बड़े बच्चों को देखकर शिवा के सभी दोस्त भाग निकले। उन लोगों ने शिवा को पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई की। मार खाने के बाद शिवा को बहुत पछतावा हुआ कि मुझे तो व्यर्थ में ही मार पड़ गयी। अगर मैं आज ऋतुराज की बात मान लेता तो यह दिन नहीं देखने को मिलता। अगले दिन शिवा स्कूल जाकर ऋतुराज से माफी माँगी। ऋतुराज शिवा को माफ करके उसको गले से लगा लिया और कहने लगा कि जब जागो तभी सवेरा। आज शिवा ने यह ठान लिया कि पढ़ाई के अलावा कोई भी फिजूल कार्य नहीं करेगा।
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