छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में कांग्रेस और भाजपा में बगावत
के सुर फूटने लगे हैं। इसके चलते यहां चुनावी फिजा बदलने-सी लगी है। हर
विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे दलों में घुसपैठ, तोड़-फोड़ और क्षेत्रीय
क्षत्रपों को अपने पाले में खींचने की भारी कसरत शुरू है। कई पूर्व मंत्री,
विधायक बागियों की कतार में खड़े दिखाई दे रहे हैं। इस उठापटक के कारण
यहां दोनों दलों के बने-बनाए समीकरण बिगड़ने लगे हैं।
अभी नामांकन का दौर पूरा ही हुआ है। ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में बागियों की बगावत तेज हो गई है। राजनीतिक दल रूठे नेताओं, कार्यकताओं को मनाने में जुट गए हैं। इसके कारण उम्मीदवार ठीक से प्रचार करने क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे हैं। शहरों-कस्बों में इक्का-दुक्का पोस्टर ही लगे हैं। गांवों में कोई सरगर्मी नहीं है। सुरक्षा बल के जवान शहरों से लेकर गांवों तक नजर आ रहे हैं। नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार संबंधी कुछ बैनर-पोस्टर अंदर जंगलों में जरूर दिख जाते हैं।
प्रदेश के मंत्री विक्रम उसेंडी के सामने कांग्रेस से मंतूराम पवार चुनाव मैदान में हैं। लेकिन भाजपा के जिला महामंत्री भोजराज नाग ने विद्रोही तेवर अख्तियार कर लिया है। काफी मान-मनव्वल के बावजूद भोजराज नहीं मान रहे हैं। उनकी नाराजगी मंतूराम की राह आसान करेगी।
भानुप्रतापपुर में भी भाजपाइयों में ही ज्यादा घमासान देखा जा रहा है। भाजपा ने यहां से वर्तमान विधायक ब्रह्मानंद नेताम का टिकट काटकर सतीश लाटिया को उम्मीदवार बनाया है। अब अनधिकृत उम्मीदवार के रूप में ब्रह्मानंद का नाद लाटिया को परेशान कर रहा है। कांग्रेस के मनोज मंडावी इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश में है।
कांकेर : कांग्रेस से आए कोड़ोपी पर अपनों का कोप :
इस महत्वपूर्ण सीट पर भाजपा ने सुमित्रा मारकोले का टिकट काटा और संजय कोड़ोपी को प्रत्याशी बनाया है। वह हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं। इसलिए स्थानीय कार्यकताओं में ज्यादा नाराजगी है। पूर्व मंत्री अघन सिंह भी अपने तेवर दिखा रहे हैं। यहां के मतदाताओं का मिजाज उलटफेर करने का रहा है। कांग्रेस से शंकर ध्रुवा को टिकट दिया गया है। वह भी यहां उलटफेर के लिए हाथ-पांव मार रही है।
केसकाल : खाकी वाले खादी की दौड़ में
यहां भाजपा और कांग्रेस में सतह पर तो गुटबाजी नजर नहीं आती। पर भीतरघात की संभावना दोनों दलों में बनी हुई है। दोनों तरफ से परफॉरमेंस को लेकर जंग शुरू है। यहां पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए संतराम कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। कांग्रेस के पूर्व मंडी अध्यक्ष धनीराम मरकाम भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
चित्रकोट : परिणाम प्रभावित कर सकते हैं लच्छूराम
यहां की आबो हवा और जलप्रपात लोगों को सहसा अपनी तरफ आकर्षित करती है। पर इस बार सबकी निगाहें भाजपा के पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप पर हैं। वह परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। कांग्रेस के दीपक बैज की स्थिति भी उतनी ठीक नहीं जितना कांग्रेसी बताते हैं। भाकपा के सोनाधर नाग की सक्रियता को भी यहां कम नहीं आंका जा सकता। त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना है।
दंतेवाड़ा : भीमा को देवती से भय
बस्तर टाइगर के इस इलाके में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। विरोधों के बावजूद भाजपा के भीमा मंडावी अभियान में जुटे हैं। दिवंगत महेंद्र कर्मा की पत्नी कांग्रेस की देवती कर्मा परंपरागत वोट साधने में जुटी हैं। भाकपा भी यहां हाथ पैर मार रही है। भाकपा के बोमड़ाराम कवासी के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है।
बीजापुर : सभी को है बगावत का डर
वैसे तो यहां भाजपा, कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। यहां कांग्रेस से विक्रम शाह मंडावी हैं। पर कई लोग बगावत पर उतारू हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष नीना रावतिया यहां मिच्चा मुतैया व अन्य बागियों के दम पर निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। भाजपा के महेश गागड़ा के लिए यह राहत की बात है।
कोंटा : भाकपा की प्रभावी मौजूदगी रोचक
छत्तीसगढ़ की सम्भवत: यह पहली सीट होगी जिसे भाजपा, कांग्रेस दोनों ही अपने खाते में परिणाम आने तक नहीं जोड़ेंगे। यहां पर अभी से त्रिकोणीय घमासान के आसार हैं। भाकपा के मनीष कुंजाम की प्रभावी मौजूदगी है। वह यहां के अंदरूनी इलाकों में पकड़ बना चुके हैं। यहां से खाता खोलने के लिए भाजपा की जमुना मांझी और मौसम मुत्ती दांवपेंच लगा रही हैं। कांग्रेस के वत्र्तमान विधायक कवासी लखमा के लिए फिलहाल कठिनाई है। नक्सल हमलों के बाद यहां के राजनीतिक हालात जुदा-जुदा हैं।
कोंडागांव : पिता-पुत्र ने किया नाक में दम
इस विधानसभा क्षेत्र से रमन सरकार की एकमात्र महिला मंत्री चुनाव मैदान में हैं। मंत्री लता उसेंडी और कांग्रेस से मोहन मरकाम के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी मानकूराम सोढ़ी और उनके पुत्र पूर्व मंत्री शंकर का विद्रोह कांग्रेस को परेशान कर सकता है। बागी अकेले कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता। भाजपाइयों में भी कुछ बगावती सुर देखने को मिले हैं।
नारायणपुर : पुराने के मुकाबले नए चेहरा पर दांव
बस्तर का यह क्षेत्र आज भी बलिराम कश्यप को नहीं भूला है। केदार कश्यप उनके बाद ही याद आते हैं। केदार के वोट बैंक में भानपुरी क्षेत्र के चंदन कश्यप सेंधमारी कर सकते हैं। कांग्रेस में गुटबाजी फिलहाल नहीं दिख रही। इस लिहाज से मुकाबला ठीक-ठाक है। पर मंत्री और नए चेहरे की राजनीतिक लड़ाई क्या गुल खिलाती हैं, यह वक्त बताएगा।
बस्तर : दोनों ही दलों में कलह
बस्तर में कांग्रेस के लखेश्वर बघेल का सियासी दांव-पेंच शुरू हो गया है। भाजपा से सुभाउ कश्यप भी तैयारी में हैं। कलह तो दोनों जगह है, समय रहते इस पर जो काबू कर सकेगा, वह अपने पक्ष में माहौल बना पाएगा।
जगदलपुर : संतोष के खिलाफ भाजपाइयों में असंतोष
बस्तर के एकमात्र शहरी क्षेत्र जगदलपुर से भाजपा ने संतोष बाफना को दोबारा टिकट दिया है। भाजपा का एक धड़ा काफी नाराज है। इस बात से बाफना भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। कांग्रेस के बिलकुल नए चेहरे सामू कश्यप को भी पार्टी के पुराने लोग पचा नहीं पा रहे हैं। हालांकि वह दावा कर रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई माहौल नहीं है।
अभी नामांकन का दौर पूरा ही हुआ है। ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में बागियों की बगावत तेज हो गई है। राजनीतिक दल रूठे नेताओं, कार्यकताओं को मनाने में जुट गए हैं। इसके कारण उम्मीदवार ठीक से प्रचार करने क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे हैं। शहरों-कस्बों में इक्का-दुक्का पोस्टर ही लगे हैं। गांवों में कोई सरगर्मी नहीं है। सुरक्षा बल के जवान शहरों से लेकर गांवों तक नजर आ रहे हैं। नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार संबंधी कुछ बैनर-पोस्टर अंदर जंगलों में जरूर दिख जाते हैं।
प्रदेश के मंत्री विक्रम उसेंडी के सामने कांग्रेस से मंतूराम पवार चुनाव मैदान में हैं। लेकिन भाजपा के जिला महामंत्री भोजराज नाग ने विद्रोही तेवर अख्तियार कर लिया है। काफी मान-मनव्वल के बावजूद भोजराज नहीं मान रहे हैं। उनकी नाराजगी मंतूराम की राह आसान करेगी।
भानुप्रतापपुर में भी भाजपाइयों में ही ज्यादा घमासान देखा जा रहा है। भाजपा ने यहां से वर्तमान विधायक ब्रह्मानंद नेताम का टिकट काटकर सतीश लाटिया को उम्मीदवार बनाया है। अब अनधिकृत उम्मीदवार के रूप में ब्रह्मानंद का नाद लाटिया को परेशान कर रहा है। कांग्रेस के मनोज मंडावी इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश में है।
कांकेर : कांग्रेस से आए कोड़ोपी पर अपनों का कोप :
इस महत्वपूर्ण सीट पर भाजपा ने सुमित्रा मारकोले का टिकट काटा और संजय कोड़ोपी को प्रत्याशी बनाया है। वह हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं। इसलिए स्थानीय कार्यकताओं में ज्यादा नाराजगी है। पूर्व मंत्री अघन सिंह भी अपने तेवर दिखा रहे हैं। यहां के मतदाताओं का मिजाज उलटफेर करने का रहा है। कांग्रेस से शंकर ध्रुवा को टिकट दिया गया है। वह भी यहां उलटफेर के लिए हाथ-पांव मार रही है।
केसकाल : खाकी वाले खादी की दौड़ में
यहां भाजपा और कांग्रेस में सतह पर तो गुटबाजी नजर नहीं आती। पर भीतरघात की संभावना दोनों दलों में बनी हुई है। दोनों तरफ से परफॉरमेंस को लेकर जंग शुरू है। यहां पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए संतराम कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। कांग्रेस के पूर्व मंडी अध्यक्ष धनीराम मरकाम भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
चित्रकोट : परिणाम प्रभावित कर सकते हैं लच्छूराम
यहां की आबो हवा और जलप्रपात लोगों को सहसा अपनी तरफ आकर्षित करती है। पर इस बार सबकी निगाहें भाजपा के पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप पर हैं। वह परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। कांग्रेस के दीपक बैज की स्थिति भी उतनी ठीक नहीं जितना कांग्रेसी बताते हैं। भाकपा के सोनाधर नाग की सक्रियता को भी यहां कम नहीं आंका जा सकता। त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना है।
दंतेवाड़ा : भीमा को देवती से भय
बस्तर टाइगर के इस इलाके में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। विरोधों के बावजूद भाजपा के भीमा मंडावी अभियान में जुटे हैं। दिवंगत महेंद्र कर्मा की पत्नी कांग्रेस की देवती कर्मा परंपरागत वोट साधने में जुटी हैं। भाकपा भी यहां हाथ पैर मार रही है। भाकपा के बोमड़ाराम कवासी के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है।
बीजापुर : सभी को है बगावत का डर
वैसे तो यहां भाजपा, कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। यहां कांग्रेस से विक्रम शाह मंडावी हैं। पर कई लोग बगावत पर उतारू हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष नीना रावतिया यहां मिच्चा मुतैया व अन्य बागियों के दम पर निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। भाजपा के महेश गागड़ा के लिए यह राहत की बात है।
कोंटा : भाकपा की प्रभावी मौजूदगी रोचक
छत्तीसगढ़ की सम्भवत: यह पहली सीट होगी जिसे भाजपा, कांग्रेस दोनों ही अपने खाते में परिणाम आने तक नहीं जोड़ेंगे। यहां पर अभी से त्रिकोणीय घमासान के आसार हैं। भाकपा के मनीष कुंजाम की प्रभावी मौजूदगी है। वह यहां के अंदरूनी इलाकों में पकड़ बना चुके हैं। यहां से खाता खोलने के लिए भाजपा की जमुना मांझी और मौसम मुत्ती दांवपेंच लगा रही हैं। कांग्रेस के वत्र्तमान विधायक कवासी लखमा के लिए फिलहाल कठिनाई है। नक्सल हमलों के बाद यहां के राजनीतिक हालात जुदा-जुदा हैं।
कोंडागांव : पिता-पुत्र ने किया नाक में दम
इस विधानसभा क्षेत्र से रमन सरकार की एकमात्र महिला मंत्री चुनाव मैदान में हैं। मंत्री लता उसेंडी और कांग्रेस से मोहन मरकाम के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी मानकूराम सोढ़ी और उनके पुत्र पूर्व मंत्री शंकर का विद्रोह कांग्रेस को परेशान कर सकता है। बागी अकेले कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता। भाजपाइयों में भी कुछ बगावती सुर देखने को मिले हैं।
नारायणपुर : पुराने के मुकाबले नए चेहरा पर दांव
बस्तर का यह क्षेत्र आज भी बलिराम कश्यप को नहीं भूला है। केदार कश्यप उनके बाद ही याद आते हैं। केदार के वोट बैंक में भानपुरी क्षेत्र के चंदन कश्यप सेंधमारी कर सकते हैं। कांग्रेस में गुटबाजी फिलहाल नहीं दिख रही। इस लिहाज से मुकाबला ठीक-ठाक है। पर मंत्री और नए चेहरे की राजनीतिक लड़ाई क्या गुल खिलाती हैं, यह वक्त बताएगा।
बस्तर : दोनों ही दलों में कलह
बस्तर में कांग्रेस के लखेश्वर बघेल का सियासी दांव-पेंच शुरू हो गया है। भाजपा से सुभाउ कश्यप भी तैयारी में हैं। कलह तो दोनों जगह है, समय रहते इस पर जो काबू कर सकेगा, वह अपने पक्ष में माहौल बना पाएगा।
जगदलपुर : संतोष के खिलाफ भाजपाइयों में असंतोष
बस्तर के एकमात्र शहरी क्षेत्र जगदलपुर से भाजपा ने संतोष बाफना को दोबारा टिकट दिया है। भाजपा का एक धड़ा काफी नाराज है। इस बात से बाफना भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। कांग्रेस के बिलकुल नए चेहरे सामू कश्यप को भी पार्टी के पुराने लोग पचा नहीं पा रहे हैं। हालांकि वह दावा कर रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई माहौल नहीं है।
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