उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा स्थित राजा रामबख्श सिंह के किले में हजारो टन खजाना दबा होने का दावा करने वाले सोभन सरकार ने अब आदमपुर के गंगा के किनारे 2500 टन सोना दबा होने का दावा किया है| शोभन सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर फतेहपुर के आदमपुर में गंगा किनारे 2500 टन सोना दबा होने का दावा करते हुए सर्वे कराने की अनुमति मांगी है। उनका कहना है कि इसके लिए खुदाई और सुरक्षा में होने वाले खर्च को वे वहन करने को तैयार हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, संत शोभन सरकार की ओर से यह याचिका उनके चेला ओमबाबा ने दाखिल की है। याचिका बुधवार को न्यायमूर्ति वीके शुक्ल और न्यायमूर्ति सुमित कुमार की कोर्ट में पेश हुई। हालाँकि दोनों न्यायाधीश ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है और इसे अन्य पीठ को दिए जाने का आदेश करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश नारायण शर्मा व चंदन शर्मा बहस करेंगे।
शोभन सरकार का कहना है कि उन्होंने आदमपुर में सोना दबा होने का सर्वे कराने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी सहित कई विभागों को पत्र लिखा है। इस पर 20 अक्टूबर को टीम कानपुर के लिए रवाना भी हुई थी। सर्वे का खर्च 7 लाख 86 हजार 652 रुपये याची ने जमा भी कर दिए हैं। इस राशि के अलावा यातायात खर्च 84 हजार 400 व आईआईटी, कानपुर को 3 लाख 37 हजार 80 रुपये दिए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि वह सुरक्षा के लिए जो भी खरच लगेगा उसका भी वहन कर लेंगे|
गौरतलब है कि इससे पहले पर्दाफाश ने अपने पाठकों को बताया था कि आदमपुर में 2500 टन सोना होने की खबर से इस खजाने को पाने के लिए हर कोई पैतरा चल रहा है। सोने की चाहत में अज्ञात लोगों ने यहां 30 घनफुट खुदाई कर डाली। सूत्रों के अनुसार, यहां सोने का खजाना होने की घोषणा के बाद से ही मलवां पुलिस उस स्थल की निगरानी में लगी है, लेकिन खुदाई की उन्हें भनक तक नहीं लगी। ग्रामीणों के अनुसार, मामला प्रकाश में आने के बाद से यहां तैनात पुलिस के सिपाही रात भर गांव में आराम से सोते रहे और खुदाई करने वाले अपना काम करते रहे।
तड़के ग्रामीणों में इसकी चर्चा फैली तो सिपाही भाग कर मौके पर पहुंचे और आनन-फानन में खुदाई वाले गड्ढे की पुन: मिट्टी से पुराई करा दी। इस बीच फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक शिवसागर सिंह ने सोने के भंडार जैसी किसी खबर से इंकार किया है। उन्होंने बताया कि रात को मंदिर के पास किसी ने थोड़ी-बहुत खुदाई की थी। वहां किसी तरह की अशांति न हो इसके लिए कुछ सिपाही तैनात कर दिए गए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि शोभन सरकार ने जो कहा है वह सही है, क्योंकि अब तक यहां कई तांत्रिक भी खुदाई का प्रयास कर चुके थे, लेकिन किसी के हाथ कुछ भी नहीं लगा। शोभन सरकार की घोषणा के बाद से उन्नाव जनपद का डौंडियाखेड़ा और जनपद का आदमपुर हर जुबान पर चर्चा का विषय बना हुआ है। आदमपुर गांव में हालांकि सरकार की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
खागा कस्बे के करीब स्थित कुकरा कुकरी ऐलई ग्राम का टीला तथा टिकरी गांव का टीला इन दिनों जिज्ञासु लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इन स्थानों पर लोगों की चहल कदमी बढ़ गई है, जबकि कुछ ऐसे विवादास्पद स्थानों के प्रति भी लोग आकर्षित हुए हैं जिन्हें लोगों ने अपना कब्जा जमा रखा है। जनपद मुख्यालय के भिटौरा ब्लॉक अंर्तगत गंगा तट पर स्थित आदमपुर गांव में सोने का खजाना दबे होने की चर्चा ने क्षेत्र के पुरातात्विक महत्व के स्थानों का जनाकर्षण बढ़ा दिया है। लोगों के बीच ऐसे स्थान चर्चा के विषय बने हुए हैं।
लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक घटनाओं या प्राकृतिक आपदाओं से भूगर्भ में समा चुके पुराने वैभव का समाज व राष्ट्रहित में उपयोग के प्रति संत शोभन सरकार की पहल पर सरकार की सक्रियता को प्रशासन विस्तार दे दे तो खागा की सरजमीं भी देश का भाग्य बदलने में सहायक साबित हो सकती है। जनचर्चा के अनुसार, नगर के संस्थापक राजा खड़क सिंह के इतिहास से जुड़ा कुकरा कुकरी स्थल में भी अकूत भू-संपदा होने की संभावना है।
इस स्थान को लेकर लंबे समय तक सक्रिय रहे पत्रकार सुमेर सिंह का कहना है कि इस टीले के आसपास के ग्रामीणों को कई मर्तबा बहुमूल्य नगीने पत्थर व सिक्के हाथ लगे हैं। इनका कहना है कि टीले की थोड़ी बहुत खुदाई उन्होंने करा दी थी, जिसमें कतिपय भग्नावशेष उनके हाथ लगे थे। बताया कि इस बारे मे उन्होंने पुरातत्व विभाग को पत्र भी लिखा था लेकिन कोई जवाब न मिलने के कारण निराश हो कर बैठ गए।
अब जबकि आदमपुर के खजाने की बात सामने आ गई है, इन दिनों उस स्थान पर लोगों की चहल कदमी बढ़ गई है। प्राचीन धरोहरों और सामानों के शौकीन कुंवर लाल रामेंद्र सिंह के अनुसार, इस स्थान के चक्कर लगाते हुए उन्हें कई बार ऐसे तांत्रिक भी मिले हैं, जिन्होंने टीले के अंदर बहुमूल्य संपदा होने के का दावा किया है।
फिलहाल इन दिनों इस स्थान पर धनाकांक्षी लोगों की चहल पहल बढ़ गई है। नहर किनारे रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि आजकल शाम को कुछ लोग टीले के आसपास मंडराते देखे जाते हैं। नगर के दक्षिण-पूर्व सीमा के बाहर ऐलई गांव के पहले प्रवेश मार्ग के पास जिस टीले पर माइक्रो टावर लगा है, वह भी इस समय चर्चा में शुमार है।
बताते हैं कि सन् 1984 में जब टावर लगाने के लिए टीले की सतही की खुदाई हुई थी, उस समय भारी मात्रा में चांदी व ताबे के सिक्के निकले थे। अरबी भाषा की लिखाई वाले ये सिक्के कुछ ग्रामीणों के हाथ भी लगे थे, लेकिन डर और लोभ की वजह से लोगों ने सिक्कों के बाबत चुप्पी साध ली। लगभग 200 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैले इस टीले के आसपास अब आबादी बढ़ जाने के बावजूद रात मे टीले का वातावरण रहस्यमय रहता है, ग्रामीण भी टीले में जाने से भय खाते हैं।
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