बोधगया : विस्फोटों के बावजूद परवान चढ़ा पर्यटन

बिहार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और बौद्ध संप्रदाय के प्रसिद्ध तीर्थस्थल बोधगया में पर्यटन के मौसम पर आतंकवादियों द्वारा किए गए बम विस्फोटों का कोई असर नहीं पड़ा है। नवंबर के मध्य से ही देसी और विदेशी पर्यटकों की आमद यहां बढ़ गई है। 

महाबोधि मंदिर प्रबंध कार्यकारिणी समिति (बीटीएमसी) के पदाधिकारियों का कहना है कि हाल के दिनों में महाबोधि मंदिर के गुंबद में स्वर्ण अच्छादन होने के बाद पर्यटन में मंदिर का आकर्षण और बढ़ गया है। 

आंकड़ों के मुताबिक, 15 से 28 नवंबर तक 44 हजार से ज्यादा देसी पर्यटक और 15 हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटकों ने महाबोधि मंदिर का भ्रमण किया। 

उल्लेखनीय है कि बीटीएमसी ने 15 नवंबर से मंदिर प्रवेश के लिए नि:शुल्क प्रवेश टिकट की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसमें देसी और विदेशी श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग रंग का टिकट उपलब्ध है। 

बीटीएमसी को आशा है कि आने वाले दिनों में बौद्धों के काग्यू मोनलम और निगमा मोनलम सहित अन्य पूजा समारोह क आयोजन होना है, जिसमें बौद्ध भिक्षुओं, श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि होगी। 

गौरतलब है कि महाबोधि मंदिर परिसर में जुलाई महीने में आतंकवादियों द्वारा किए गए श्रृंखलाबद्ध विस्फोट में दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए थे। 

बिहार की राजधानी पटना से मात्र 100 किलोमीटर दूर गया से सटे बोधगया में प्रतिवर्ष लाखों देसी और विदेशी पर्यटक आते हैं। मान्यता है कि बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे तपस्या कर रहे गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। इस कारण इसे 'ज्ञानस्थली' भी कहा जाता है। बोधगया बौद्धधर्म के अनुयायियों के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थान है। 

बोधिवृक्ष के पास ही महाबोधि मंदिर स्थापित है। कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने सबसे पहले यहां एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया था। वर्तमान महाबोधि मंदिर पांचवीं या छठी शताब्दी का बताया जाता है।

गौरतलब है कि वर्ष 2002 में यूनेस्को ने इस मंदिर परिसर को विश्व धरोहर घोषित किया है। महाबोधि मंदिर की बनावट सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तूपों से मिलती-जुलती है। 

मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की पद्मासन मुद्रा में विराट मूर्ति है। कहा जाता है कि जहां भगवान बुद्ध की मूर्ति स्थापित है वहीं बुद्घ को ज्ञान प्राप्त हुआ था। ऐसे तो यह जगह बौद्ध संप्रदाय के लोगों के लिए प्रमुख है परंतु प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सभी संप्रदाय के लोग यहां आते हैं। 

यहां घूमने आने के लिए नंवबर से फरवरी तक का उत्तम समय माना जाता है। इस कारण यहां के लोग इसे पर्यटन का मौसम मानते हैं।

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