दिल्ली के विधानसभा चुनाव में धमाकेदार और एक लहर की तरह छा जाने वाले अरविंद केजरीवाल वर्षो तक एक गुमनाम सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दिल्ली में रहने वाले निर्धनों के बीच उम्मीद की किरण की तरह काम करते रहे। कल का सामाजिक कार्यकर्ता राजनीति के क्षितिज पर आज जिस तरह खड़ा है उसे राजनीतिक सुनामी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
पहली बार अरविंद के नाम से देश तब वाकिफ हुआ जब वर्ष 2011 में महाराष्ट्र से आए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने 12 दिनों तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल विधेयक पारित करने की मांग को लेकर अनशन किया था। उस समय अरविंद अन्ना के प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे थे और आंदोलन की पूरी कमान उन्हीं के हाथों में थी।
आंदोलन के इस कुशल प्रबंधक ने अपने मेंटर अन्ना हजारे से भिन्न राह पकड़ते हुए आम आदमी पार्टी के नाम से राजनीतिक दल का गठन किया और दिल्ली विधानसभा चुनाव को लक्ष्य कर काम शुरू किया। उनके प्रबंध कौशल का ही परिणाम है कि महज एक वर्ष पुरानी उनकी पार्टी ने न केवल 15 वर्षो से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को उखाड़ फेंका, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता रथ का पहिया भी थाम दिया।
इतना ही नहीं, दिल्ली में कांग्रेस की छवि मानी जाने वाली शीला दीक्षित को केजरीवाल ने करारी शिकस्त दी और दिल्ली में भाजपा के वोट प्रतिशत को भी कम कर दिया। दिल्ली के नए मुख्यमंत्री अरविंद के सामने कई चुनौतियां हैं। उनकी पहली चुनौती यह है कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में उनकी पार्टी के 28 विधायक ही हैं। यानी वह एक अल्पमत सरकार के मुखिया होंगे। यह ऐसी स्थिति है जिसमें सरकार को हर विधायी फैसले के लिए अपने कटु विरोधी दल का मुंह जोहना होगा।
लेकिन अरविंद के मित्र बताते हैं कि वह हमेशा से योद्धा रहे हैं।
हरियाणा के हिसार जिले के सिवानी गांव में 16 अगस्त 1968 को एक मध्यवर्गीय परिवार में उनका जन्म हुआ था। अंग्रेजी माध्यम के मांटेसरी स्कूल में शिक्षा प्रारंभ करने वाले केजरीवाल को परिवार वाले चिकित्सक बनाने का सपना देखते थे। लेकिन उन्होंने परिवार की मर्जी के खिलाफ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में दाखिला लिया और वहां उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे भारतीय राजस्व सेवा में आए और भ्रष्टाचार के लिए सर्वाधिक बदनाम माने जाने वाले आयकर विभाग में अधिकारी नियुक्त हुए।
राजस्व सेवा की नौकरी छोड़ सामाजिक बदलाव के लिए सड़क पर उतरे केजरीवाल को वर्ष 2006 में रोमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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